थम नहीं रहा है डिप्थीरिया से बच्चे की मौत का सिलसिला
किंग्सवे कैंप स्थित उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल में डिप्थीरिया (दमघोंटू) के शिकार बच्चे की मौत का सिलसिला जारी है। शुक्रवार देर रात भी अस्पताल में भर्ती एक बच्ची ने दम तोड़ दिया। पौने एक बजे रात में जोया नाम की बच्ची की मौत हो गई। 14 दिनों के अंदर अस्पताल में भर्ती 13 बच्चे काल के गाल में समा चुके हैं। हैरानी की बात यह है कि इस बीमारी की रोकथाम के लिए शनिवार तक कोई कारगर इंतजाम नहीं किए गए।
जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली :
किंग्सवे कैंप स्थित उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल में डिप्थीरिया (दमघोंटू) के शिकार बच्चे की मौत का सिलसिला जारी है। शुक्रवार देर रात भी अस्पताल में भर्ती एक बच्ची ने दम तोड़ दिया। पौने एक बजे रात में जोया नाम की बच्ची की मौत हो गई। 14 दिनों के अंदर अस्पताल में भर्ती 13 बच्चे काल के गाल में समा चुके हैं। हैरानी की बात यह है कि इस बीमारी की रोकथाम के लिए शनिवार तक कोई कारगर इंतजाम नहीं किए गए।
अस्पताल में मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश, दिल्ली आदि के 50 से अधिक बच्चे भर्ती हैं, जो डिप्थीरिया के चपेट में हैं, लेकिन उनके लिए शनिवार को भी डिप्थीरिया एंटी टॉक्सिन वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो सके थे। अस्पताल प्रशासन का यह तर्क था कि वैक्सीन लाने के लिए कर्मचारी को हिमाचल प्रदेश भेजा गया है। यही कारण है कि मौत के साये में जी रहे बच्चे के परिजनों के माथे पर ¨चता की लकीरें देखी जा रही हैं और अपने बच्चों को मौत के मुंह से निकालने के लिए अस्पताल में मौजूदा सीमित संसाधनों के बीच जद्दोजहद कर रहे हैं। अपने बच्चों के लिए परिजन उत्तर प्रदेश के अलीगढ़, दिल्ली के सीलमपुर और राजौरी गार्डन आदि जगहों से वैक्सीन ला रहे हैं। जबकि कई ऐसे बच्चे हैं, जिनके परिजनों को यह वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो पा रही है। उनके बच्चे की हालत लगातार बिगड़ रही है। कुछ ऐसे भी बच्चे हैं, जिन्हें वैक्सीन लगाने के बाद भी उनकी हालात में अपेक्षित सुधार नहीं हो पा रहा।
खुर्जा (उत्तर प्रदेश) के धीरज बताते हैं कि उनकी छह साल की बेटी आराध्या सात दिनों से अस्पताल में भर्ती है। इंजेक्शन लगाने के बाद भी उसकी हालत में खास सुधार होता नहीं दिख रहा है। अलीगढ़ की सीमा कहती हैं कि उनके पांच साल के बेटे अयान की तबीयत बिगड़ रही है। अस्पताल प्रशासन की ओर से अब तक इंजेक्शन आदि के प्रबंध नहीं किए गए हैं। बच्चे के परिजन किसी तरह इंजेक्शन उपलब्ध करा रहे हैं। अस्पताल में भर्ती कई बच्चों की हालत गंभीर बनी हुई है। अस्पताल में इंतजाम के नाम पर सिर्फ सफाई-व्यवस्था को पहले से बेहतर किया गया है।