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भरापूरा परिवार पर मां कीमौत से बेखबर

एक मकान की दूसरी मंजिल पर कमरे में मां का शव तीन दिन तक पड़ा रहा लेकिन चौथी मंजिल पर रह रहे बेटे या अन्य स्वजनों को इसकी भनक तक नहीं लगी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 12:37 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2020 12:37 AM (IST)
भरापूरा परिवार पर मां कीमौत से बेखबर
भरापूरा परिवार पर मां कीमौत से बेखबर

जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली : लोग कोरोना के कारण शारीरिक दूरी बनाने लगे हैं, लेकिन समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो 80 वर्षीय बुजुर्ग मा को देखने दो मंजिल नीचे भी नहीं आ सकते। एक मकान की दूसरी मंजिल पर कमरे में मां का शव तीन दिन तक पड़ा रहा, लेकिन चौथी मंजिल पर रह रहे बेटे या अन्य स्वजनों को इसकी भनक तक नहीं लगी। मामला मालवीय नगर इलाके का है। किरायेदारों ने बदबू आने पर बेटे व अन्य स्वजनों को सूचना दी। बीते रविवार को पुलिस मौके पर पहुंची और दरवाजा तोड़ शव को बाहर निकाला।

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पुलिस अधिकारी ने बताया कि राजरानी गुलाटी मालवीय नगर में परिवार के साथ रहती थी। उनका चार मंजिला मकान है, जिसमें वह दूसरी मंजिल पर रहती थीं। चौथी मंजिल पर बेटा राजेश गुलाटी परिवार के साथ रहता है, जबकि तीसरे तल पर किरायेदार हैं। बुजुर्ग महिला का एक बेटा चिराग दिल्ली में परिवार के साथ रहता है। रविवार दोपहर दूसरी मंजिल से तेज बदबू आने पर किरायेदारों ने राजेश के परिवार को इसकी सूचना दी। नीचे आने पर उन्होंने देखा कि दरवाजा अंदर से बंद है। उनकी सूचना पर पहुंची मालवीय नगर थाना पुलिस दरवाजा तोड़कर कमरे में दाखिल हुई। पुलिस के अनुसार, कमरे में महिला का शव पड़ा था। पुलिस अधिकारी ने बताया कि शव सड़ने लगा था। संभवत तीन दिन पहले मौत हो चुकी थी। पोस्टमार्टम के बाद शव स्वजनों को सौंप दिया गया।

वहीं दिल्ली महिला आयोग ने मालवीय नगर में तीन दिन से मृत बुज़ुर्ग महिला का शव मिलने के मामले में दिल्ली पुलिस को नोटिस भेजा। आयोग ने पुलिस से जांच की जानकारी भी मागी है।

प्राकृतिक मौत का जताया जा रहा अंदेशा

महिला को मधुमेह की बीमारी थी। बुजुर्ग होने के चलते वह चलने-फिरने में असमर्थ थीं। ऐसे में अंदेशा लगाया जा रहा है कि महिला की मौत प्राकृतिक है। बेटे राजेश ने बताया कि वह कुछ दिनों के लिए मदनगीर में रहने वाली बहन के घर गया हुआ था। मां तीन-चार दिन में दूध और ब्रेड लेने के लिए ही दरवाजा खोलती थी और सामान लेकर दरवाजा बंद कर लेती थी। ऐसे में घर में मौजूद बच्चों को उनकी मौत के बारे में जानकारी नहीं मिली।


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