आपत्तिजनक पोस्ट, फोटो व वीडियो के लिए दिल्ली पुलिस के पास नहीं है लैब
आम नागरिकों की ताकत बनकर उभरा सोशल मीडिया बीते वर्षों में अफवाह फैलाने का माध्यम भी बना है, जोकि दिल्ली पुलिस के लिए चुनौती बन चुका है। लेकिन, स्मार्ट दिल्ली पुलिस के पास सोशल मीडिया की निगरानी करने वाली सोशल मीडिया लैब नहीं है।
नई दिल्ली [ विनीत त्रिपाठी ] । आम नागरिकों की ताकत बनकर उभरा सोशल मीडिया बीते वर्षों में अफवाह फैलाने का माध्यम भी बना है, जोकि दिल्ली पुलिस के लिए चुनौती बन चुका है। लेकिन, स्मार्ट दिल्ली पुलिस के पास सोशल मीडिया की निगरानी करने वाली सोशल मीडिया लैब नहीं है।
दिल्ली में हर साल 100 से अधिक दंगे होते हैं, जिनको भड़काने का काम सोशल मीडिया के जरिए ही किया जाता है। डॉ. पंकज नारंग की हत्या के बाद भी सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाई गई, जिससे पुलिस की मुसीबत बढ़ गई।
सोशल मीडिया लैब के जरिए फेसबुक और टवीटर जैसी सोशल मीडिया साइट पर डाली जाने वाली आपत्तिजनक पोस्ट, फोटो और वीडियो की सत्यता का न सिर्फ पता लगाया जा सकता है, बल्कि खंडन भी किया जा सकता है।
विकासपुरी थाना क्षेत्र में दांत के डॉक्टर पंकज नारंग की निर्मम तरीके से हुई हत्या की घटना को सोशल मीडिया साइट फेसबुक और टवीटर पर सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई। ऐसी पोस्ट को सही मानकर हजारों लोगों एक-दूसरे के समुदाय के खिलाफ कमेंट किए।
तेजी से वायरल हुए फोटो और आपत्तिजनक पोस्ट को काउंटर करने या तत्काल उसे रोकने का दिल्ली पुलिस के पास कोई तकनीकी या तरीका नहीं था। दिल्ली पुलिस ने अपने टवीटर एकाउंट के जरिये सही तथ्य पेश करने की कोशिश की, लेकिन फेसबुक और टवीटर के जरिये फैल रही अफवाह को काउंटर करना बड़ी चुनौती साबित हुआ।
ऐसे काम करता है सोशल मीडिया लैब
सोशल मीडिया लैब एक सर्वर से चलता है और सोशल साइट की निगरानी करता है। इसका सॉफ्टवेयर विशेष तौर पर तैयार किया गया है। सॉफ्टवेयर में आपत्तिजनक शब्द (उदाहरण- दंगा, बवाल, कांवड़,) को डालकर छोड़ दिया जाए तो वह उस शब्द से संबंधित जितनी भी आपत्तिजनक पोस्ट, फोटो या वीडियो सोशल मीडिया साइट पर डाली जाएंगी।
सर्वर सभी जानकारी को एकत्रित करता रहेगा। इसके जरिये निगरानी करने वाले कर्मचारी उक्त शब्दों का इस्तेमाल करने वाले लोगों के आपत्तिजनक पोस्ट, कमेंट और लाइक को चिंहित कर सकता है। साथ ही यह भी पता लगा सकता है कि पहली पोस्ट किसने अपडेट की थी किया।
भ्रामक और आपत्तिजनक पोस्ट का कर सकते हैं खंडन
सर्वर के माध्यम से सोशल मीडिया साइट पर डाली गई पोस्ट का खंडन सही तथ्य के साथ किया जा सकता है। सोशल मीडिया लैब के जरिये तत्काल उस पोस्ट पर सही तथ्य और फोटो-वीडियो की सत्यता का प्रमाण पोस्ट कर लोगों को जागरुक किया जा सकता है।
इससे न सिर्फ अफवाह को आगे बढऩे से रोका जा सकता है, बल्कि पोस्ट को डालने वाले से तत्काल संपर्क कर उसे पोस्ट को डिलीट करने को कहा जा सकता है। इसके साथ ही पोस्ट को ब्लाक करने की प्रक्रिया भी अपनाई जा सकती है।
एक गलत पोस्ट पर हुआ था मुजफ्फरनगर दंगा
वर्ष 2103 में मुजफ्फरनगर में सोशल मीडिया पर शेयर की गई एक गलत वीडियो पर दंगा हुआ था। जिसमें दिखाया गया था कि कवाल क्षेत्र में दो युवकों को चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी गई, जबकि वह वीडियो किसी खाड़ी देश का था।
वीडियो से ही लोगों की भावनाएं भड़की थी और पूरे वेस्ट यूपी में दंगा फैल गया था। इसके बाद ही मेरठ के तत्कालीन डीआईजी रमित शर्मा के लंबे प्रयास के बाद मेरठ डीआईजी ऑफिस में सोशल मीडिया लैब मई 2015 में स्थापित की गई।
'सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाह की जानकारी लोगों से मिलती है और गलत जानकारी पर दिल्ली पुलिस टवीटर के जरिये सही तथ्य को लोगों के सामने रखता है। सोशल मीडिया को मॉनिटर करने या उस पर आने वाली पोस्ट का खंडन करने की कोई सुविधा अब तक नहीं है।'
ताज हसन, विशेष आयुक्त क्राइम, मुख्य प्रवक्ता, दिल्ली पुलिस