एनएसयूआइ की मांग, उनका प्रत्याशी बने डूसू अध्यक्ष या फिर दोबारा हो चुनाव
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) अध्यक्ष पद से एबीवीपी के अंकिव के
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) अध्यक्ष पद से एबीवीपी के अंकिव के इस्तीफे के बाद शुक्रवार को नेशनल स्टूडेट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआइ) और आइसा (अखिल भारतीय छात्र संघ) ने एक साथ की प्रेसवार्ता। एनएसयूआइ ने डीयू प्रशासन को दो विकल्प दिए हैं। पहला यह कि एनएसयूआइ के डूसू अध्यक्ष पद के उम्मीदवार सन्नी छिल्लर को अध्यक्ष बनाया जाए या फिर अध्यक्ष पद का दोबारा से चुनाव हो। वहीं, मामले में शुक्रवार को एनएसयूआइ के छात्र नेता और डूसू के सचिव आकाश चौधरी ने कुलपति प्रो. योगेश त्यागी को पत्र लिखकर मांग की है कि अध्यक्ष पद पर फिर से चुनाव हो। लिंग्दोह समिति की सिफारिशें सिर्फ सुझाव के लिए हैं।
एनएसयूआइ की राष्ट्रीय प्रभारी रुचि गुप्ता ने प्रेस वार्ता में कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन को दो विकल्प दे दिए गए हैं। भारतीय संविधान के लोगों के प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत किसी ने भ्रष्ट प्रथा को अपनाते हुए चुनाव जीता है तो उस व्यक्ति को पद से हटाकर चुनाव के नतीजों के समय जो दूसरे पद पर होता है उसे निर्वाचित माना जा सकता है। वहीं फिर से चुनाव कराने की बात इस आधार पर कह रहे हैं क्योंकि अंकिव बैसोया ने फर्जी डिग्री के आधार पर डीयू में दाखिला लिया था। इसलिए वह डीयू के छात्र नहीं हैं और न ही चुनाव लड़ने के लिए योग्य ही थे। उनकी डूसू चुनाव की जीत अमान्य है। उन्होंने कहा कि अगर डीयू प्रशासन अंकिव के डूसू चुनाव के नामांकन की तारीख के समय उनके दस्तावेजों की सही से जांच करता तो उनका नामांकन रद हो जाता। इस तरह सन्नी छिल्लर ही डूसू चुनाव जीतते। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि एबीवीपी एक तरह से डीयू पर कब्जा करने की कोशिश कर रही है। प्रेस वार्ता में आइसा की दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष कंवलप्रीत कौर शामिल हुई। गौरतलब है कि अंकिव का फर्जी डिग्री विवाद का मामला हाई कोर्ट में लंबित है, जिस पर 20 नवंबर को सुनवाई होनी है।
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अंकिव का दाखिला रद करने का किया दावा
रुचि ने दावा करते हुए कहा कि उन्हें किसी से जानकारी मिली थी कि डीयू के बुद्धिस्ट विभाग के प्रमुख ने अंकिव का दाखिला 13 नवंबर को रद करते हुए इसकी सूचना डीयू प्रशासन को भेज दी थी। वहीं डूसू के सचिव आकाश चौधरी ने दावा किया कि विभाग के प्रमुख को तमिलनाडु के तिरुवल्लुवर विश्वविद्यालय से औपचारिक सूचना प्राप्त हो चुकी थी कि अंकिव की डिग्री फर्जी है।
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बुद्धिस्ट विभाग ने रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर दाखिला रद करने की सूचना दी है। इसकी एक प्रति एसएचओ को भी दी गई है। हमने भी रजिस्ट्रार को पत्र लिखा है। प्रशासन की ओर से कहने पर ही हम कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।
हरेंद्र सिंह, एडिशनल डीसीपी