अब एक क्लिक में देखिए दिल्ली के ऐतिहासिक दस्तावेज
राजधानी दिल्ली की सशक्त ऐतिहासिक पृष्ठभूमि रही है। दूसरे शब्दों में कहें तो शहर का इतिहास महाभारत के जितना ही पुराना है। यही कारण है कि प्राचीनकाल से अब तक इस शहर पर सैकड़ों लेखकों द्वारा हजारों किताबें लिखी गई हैं। भूमि व सम्पत्तियों की खरीद-फरोख्त से जुड़े कई दस्तावेज हैं जिनके बारे में लोग जानकारी जुटाना चाहते हैं। इस प्रकिया को दिल्ली अभिलेखागार ने ई-अभिलेख पोर्टल व वेबसाइट के जरिए आसान बना दिया है। पोर्टल व वेबसाइट के जरिए लोग अब न सिर्फ एक क्लिक में दिल्ली के ऐतिहासिक दस्तावेज देख सकेंगे, बल्कि अपने शहर के समृद्ध इतिहास से रूबरू भी हो सकेंगे। दिल्ली अभिलेखागार ने दिल्ली सरकार के सहयोग से करीब 200 वर्षों का रिकार्ड्स पहली बार ऑनलाइन किया है, जहां दिल्ली से जुड़ी वर्ष 1
हंस राज, नई दिल्ली
राजधानी दिल्ली की सशक्त ऐतिहासिक पृष्ठभूमि रही है। दूसरे शब्दों में कहें तो शहर का इतिहास महाभारत के जितना ही पुराना है। यही कारण है कि प्राचीनकाल से अब तक इस शहर पर सैकड़ों लेखकों की ओर से हजारों किताबें लिखी गई हैं। भूमि व संपत्तियों की खरीद-फरोख्त से जुड़े कई दस्तावेज हैं जिनके बारे में लोग जानकारी जुटाना चाहते हैं। इस प्रकिया को दिल्ली अभिलेखागार ने ई-अभिलेख पोर्टल व वेबसाइट के जरिये आसान बना दिया है। पोर्टल व वेबसाइट के जरिये लोग अब न सिर्फ एक क्लिक में दिल्ली के ऐतिहासिक दस्तावेज देख सकेंगे, बल्कि अपने शहर के समृद्ध इतिहास से रूबरू भी हो सकेंगे। दिल्ली अभिलेखागार ने दिल्ली सरकार के सहयोग से करीब 200 वर्ष का रिकार्ड पहली बार ऑनलाइन किया है, जहां दिल्ली से जुड़ी वर्ष 1803 से लेकर 1993 तक के महत्वपूर्ण दस्तावेज उपलब्ध करवाए गए हैं। देश के स्वतंत्रता संग्राम संघर्ष से लेकर आजादी और उसके बाद बदलते भारत की तस्वीर को संजोते हुए सभी दस्तावेज अब लोगों की उंगलियां पर उपलब्ध होंगी। बुधवार को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के हाथों इसका शुभारंभ किया गया।
लॉगिन करके कर सकेंगे अवलोकन : ई-अभिलेख व वेबपोर्टल पर मौजूद दस्तावेजों का अवलोकन करने के लिए द्धह्लह्लश्च://ड्डह्मष्द्धद्ब1द्गह्य.स्त्रद्गद्यद्धद्ब.द्दश्र1.द्बठ्ठ/ड्डढ्डद्धद्बद्यद्गद्मद्ध पर अपना खाता बनाना होगा और वहां लॉगिन करके लोग दस्तावेजों का अवलोकन कर सकेंगे। हालांकि अभी दस्तावेज को डाउनलोड करने या उसका ¨प्रट आउट लेने की सुविधा नहीं दी गई है। संजय गर्ग के मुताबिक मार्च 2019 से पहले ये दोनों सुविधाएं उपलब्ध करवा दी जाएंगी। एक तय शुल्क देकर लोग दस्तावेज डाउनलो¨डग और ¨प्रट आउट सुविधा का लाभ भी ले सकेंगे।
कई अहम दस्तावेज हैं उपलब्ध : वेबपोर्टल व वेबसाइट पर जाकर बहादुरशाह जफर का मुकद्दमा, मुगल सम्राट शाह आलम के फरमान व सनद, 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दस्तावेज, 1911 में दिल्ली को राजधानी घोषित करने के आदेश के बाद जमीनों का अधिग्रहण, ब्रिटिश शासन में दिल्ली में ढांचागत विकास, दिल्ली के स्वतंत्रता सेनानियों से संबंधित अभिलेख, तिहाड़ जेल में बंद कैदियों का लेखा-जोखा, दिल्ली के स्वतंत्रता सेनानियों व पुराने भवनों के पुराने फोटोग्राफ समेत कई दुर्लभ ग्रंथ उपलब्ध है, जिसे लॉगिन करके देखा जा सकता है।
वर्ष 2020 तक पूरा हो जाएगा प्रोजेक्ट : अभिलेखागार के उप महानिदेशक संजय गर्ग के मुताबिक शाह आलम के जमाने से आजादी के आंदोलन तक दिल्ली में हुए सभी महत्वपूर्ण बदलाव की अभिलेखों और दस्तावेजों को संरक्षित करने की प्रक्रिया का एक भाग अभी पूरा हुआ है। आधुनिक तकनीक के जरिये डिजिटलाइजेशन और माइक्रोफिल्मिंग का प्रयोग करके चार करोड़ से अधिक पुराने दस्तावेजों का रिकॉर्ड ऑनलाइन करने का प्रोजेक्ट चल रहा है जो वर्ष 2022 तक पूरा होगा। उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट का उद्देश्य चार करोड़ से अधिक पन्नों में उपलब्ध दिल्ली के ऐतिहासिक दस्तावेजों को पोर्टल पर लाना है। अब तक लगभग 1 करोड़ 70 लाख दस्तावेजों को स्कैन किया गया है, जिनमें से 60 लाख दस्तावेजों को सही तरीके से टैग करके पोर्टल पर अपलोड कर दिया क्या है। 31 अगस्त 2017 से शुरू हुए इस प्रोजेक्ट पर करीब 25 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
दिल्ली के बिना देश का इतिहास अधूरा : सिसोदिया
ई-अभिलेख वेब पोर्टल व वेबसाइट का शुभारंभ करते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि राजधानी के इतिहास को पारदर्शी रूप से और दिल्ली को भ्रष्टाचारमुक्त बनाने के उद्देश्य से सरकार ने इस दिशा में प्रयास किया। दिल्ली के पुरातत्व विभाग और इससे जुड़े अधिकारियों की मेहनत का नतीजा ई-अभिलेख पोर्टल में दिल्ली के एक बड़े कालखंड का इतिहास समाहित है और जनता से संबंधित हैं। उन्होंने कहा कि देश का इतिहास तब तक अधूरा है जब तक दिल्ली का इतिहास उसमें शामिल न किया जाए। इस प्रयास से हमारे इतिहास को हमारी आने वाली पीढि़यों के लिए संरक्षित रखा जा सकेगा।