अब सफर में आराम से कर सकेंगे मोबाइल चार्ज
ट्रेन के स्लीपर और जनरल कोच मे सफर के दौरान यह चिंता रहती है कि यदि मोबाइल फोन की बैटरी खत्म हो गई तो इसे चार्ज कैसे करेंगे। इस परेशानी से बचने के लिए यात्री सफर के दौरान बहुत संभलकर मोबाइल फोन का प्रयोग करते हैं।
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। ट्रेन के स्लीपर और जनरल कोच मे सफर के दौरान यह चिंता रहती है कि यदि मोबाइल फोन की बैटरी खत्म हो गई तो इसे चार्ज कैसे करेंगे। इस परेशानी से बचने के लिए यात्री सफर के दौरान बहुत संभलकर मोबाइल फोन का प्रयोग करते हैं। लेकिन आने वाले दिनों में यह परेशानी दूर हो जाएगी। इसके लिए प्रत्येक कोच में पर्याप्त संख्या में चार्जिंग प्वाइंट लगाने का काम शुरू कर दिया गया है। नए कोच के साथ ही पुराने कोच मे भी यह बदलाव किया जा रहा है ताकि यात्री बगैर किसी चिंता के मोबाइल फोन का उपयोग कर सके।
वातानुकूलित श्रेणी की बोगियों में सफर करने वालों को सीट के पास ही चार्जिंग प्वाइंट मिल जाता है, लेकिन फिलहाल बहुत कम ही ट्रेनों के गैर वातानुकूलित श्रेणी की बोगियों में यह सुविधा उपलब्ध है। लंबी दूरी की अधिकतर ट्रेनों के स्लीपर कोच में दोनों छोर पर एक-एक चार्जिग प्वाइंट होता है, जहां मोबाइल चार्ज करने के लिए यात्री लाइन लगाकर खड़े रहते हैं। कई बार उनमे झगड़ा भी हो जाता है।
यात्रियों की इस परेशानी को दूर करने के लिए रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने इस वर्ष रेल बजट में जनरल कोच मे भी मोबाइल चार्जिंग की सुविधा उपलब्ध कराने की घोषणा की थी। इस पर काम भी शुरू हो गया है। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि प्रत्येक जनरल कोच में 18 चार्जिंग प्वाइंट उपलब्ध कराया जाना है। इसी तरह से स्लीपर क्लास में भी इसकी संख्या बढ़ाकर 18 कर दी जाएगी ताकि यात्रियों को मोबाइल फोन या लैपटॉप चार्ज करने के लिए सीट से उठकर कहीं और नही जाना पड़े।
उत्तर रेलवे में 168 जनरल कोच और 255 स्लीपर कोच में नए मानक के अनुसार, चार्जिंग प्वाइंट लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसमें से 155 जनरल कोच तथा 89 स्लीपर कोच में यह काम पूरा कर लिया गया है। वहीं, दिल्ली रेल मंडल में इस वित्त वर्ष मे लगभग 200 कोच में यह सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य है।
उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी नीरज शर्मा के मुताबिक नए कोच में पहले से चार्जिंग प्वाइंट बनकर आ रहा है। पुराने कोच में भी यह काम शुरू कर दिया गया है। उत्तर रेलवे में अगले वर्ष मार्च तक कुल 423 कोच में यह सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। इसके बाद बचे हुए कोच में भी चरणबद्ध तरीके से यह काम किया जाएगा।