देश की 100 सशक्त महिलाओं में नोएडा की रूमा-उर्मिला भी, राष्ट्रपति करेंगे सम्मानित
नोएडा में रहने वाली दो महिलाओं ने असाधारण हालात में खुद को नई पहचान दी है।उर्मिला व रूमा को जनहित में कार्य करने के लिए सम्मानित किया जाएगा।
नोएडा (प्रभात उपाध्याय)। महिला सशक्तीकरण में शहर की दो महिलाओं ने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रलय व फेसबुक द्वारा आयोजित 100 विमेन अचीवर में जगह बनाई है। उर्मिला भार्गव को कॉमर्स, इंडस्ट्री एंड इंटरप्रिन्योरशिप और रूमा रोका को डिसएबिलिटी एंड डिसएडवांटेज वर्ग में यह खिताब मिला है।
दोनों महिलाएं 22 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में आयोजित भोज में शामिल होंगी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी उन्हें सम्मानित करेंगे। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रलय ने जुलाई 2015 में फेसबुक के साथ देश में 100 विमेन अचीवर प्रतियोगिता शुरू की थी। इसके लिए ऑनलाइन नामिनेशन में हजारों महिलाओं ने नॉमिनेशन किया।
जिन महिलाओं के संघर्ष की कहानी को फेसबुक पर न्यूनतम सौ लाइक मिले उन्हें ज्यूरी वर्ग में स्थान मिला। ज्यूरी में विशेषज्ञ ने सौ महिलाओं को अंतिम सूची में शामिल किया।
असंभव को संभव में बदलने की जिद ने दिलाया मुकाम
नोएडा सेक्टर-50 में रहने वाली उर्मिला भार्गव ने असंभव को संभव में बदलने की अपनी जिद से यह मुकाम हासिल किया है। मूल रूप से मथुरा निवासी 80 वर्षीय उर्मिला भार्गव ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमएड किया है। वर्ष 1959 में उनकी शादी मथुरा के ही मदन मोहन भार्गव से हुई। पति निजी कंपनी में इंजीनियर थे।
भ्रष्टाचार विरोधी प्रवृत्ति के कारण वह नौकरी छोड़ वर्ष 1973 में दिल्ली आ गए। साहिबाबाद में रिफाइनरी लगाने के लिए जमीन ली। तीन साल तक बिजली नहीं मिली। वर्ष 1976 में जैसे-तैसे बिजली मिलने के बाद मशीनें लगी। उसी साल जुलाई में मदन मोहन भार्गव का हार्ट अटैक से निधन हो गया।
उर्मिला भार्गव बताती हैं कि हादसे के बाद लगा कि सब कुछ खत्म हो गया। उस समय छोटा बेटा अनंत भार्गव छह साल, बेटी रीना 11 साल और बड़ा बेटा असीम मात्र सोलह साल के थे। परिवार के साथ-साथ रिश्तेदारों ने कहा कि कंपनी की जमीन बेच दें और कोई नौकरी ज्वाइन कर लें। पर हार नहीं मानी।
बैंक से लोन लिया और मार्च 1977 में यूनिट शुरू हो गई। उर्मिला भार्गव बताती हैं कि इस समय उनकी आईएफपी पेट्रो प्रोडक्ट नाम की कंपनी का सालाना टर्न ओवर 10 करोड़ रुपये से अधिक है और कंपनी में 60 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं।
मूक बधिरों को दे रही हैं रोजगार परक शिक्षा
वर्ष 2005 में रूमा रोका एक दिन दूरदर्शन पर समाचार देख रहीं थीं। मुख्य बुलेटिन खत्म होने के बाद मूक बधिरों के लिए सांकेतिक भाषा में समाचार शुरू हुआ। उनके दिमाग में तुरंत एक बात कौंधी कि क्या मूक बधिरों को सामान्य लोगों की तरह नौकरी मिल पाती होगी।
यह विचार आने के बाद रूमा ने मूक बधिरों को रोजगार परक शिक्षा देने के लिए नोएडा डेफ सोसायटी की स्थापना की। खुद भी सांकेतिक भाषा सीखी। सेक्टर- 36 में चलने वाली यह संस्था अभी तक 4500 से अधिक मूक बधिरों को सांकेतिक भाषा, अंग्रेजी, कंप्यूटर और सामान्य ज्ञान का प्रशिक्षण दे चुकी है।
इनमें 1150 छात्रों को विभिन्न कंपनियों में रोजगार भी मिल चुका है। मूल रूप से पश्चिम बंगाल निवासी 54 वर्षीय रूमा बताती हैं कि प्रशिक्षण नि:शुल्क देती हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक रूमा के पति काइजर रोमा निजी कंपनी में कार्यरत हैं। वहीं बेटा मृणाल इंजीनियर और दूसरा बेटा शमशेर निजी कंपनी में कार्यरत है।