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प्रकृति के साथ इंसानी रिश्ते के सामंजस्य को दर्शाती है निर्जला एकादशी

आज निर्जला एकादशी व्रत है। प्रकृति से जुड़ा यह पर्व बड़े बुजुर्गों के प्रति सम्मान प्रकट करने का एक अवसर प्रदान करता है। जाने माने संस्कृत विद्वान तथा पद्मश्री से सम्मानित डॉ रमाकांत शुक्ल प्रकृति से जुड़े इस पर्व के बारे में बताते हैं कि यह पर्व प्रकृति के साथ इंसानी रिश्ते के सामंजस्य को दर्शाता है। गर्मी का मौसम जब पूरे उत्कर्ष पर रहता है तब इस पर्व को मनाकर उस तपती धूप के साथ इंसान एक सामंजस्य स्थापित करने की कोशिश करता है। आप घड़ा दान करते हैं शीतल जल परोसते हैं ग्रीष्म ऋतु के फलों का दान करते हैं। पंखा दान करते हैं। दान से जुड़ी इन तमाम चीजों से ग्रीष्म ऋतु से इंसान का सामंजस्यपूर्ण रिश्ता बनता है। यह एक तरह से प्रकृति के प्रति हमारा सम्मान व्यक्त करता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 08:54 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2020 06:15 AM (IST)
प्रकृति के साथ इंसानी रिश्ते के सामंजस्य को दर्शाती है निर्जला एकादशी
प्रकृति के साथ इंसानी रिश्ते के सामंजस्य को दर्शाती है निर्जला एकादशी

जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : आज निर्जला एकादशी व्रत है। प्रकृति से जुड़ा यह पर्व बड़े-बुजुर्गो के प्रति सम्मान प्रकट करने का एक अवसर प्रदान करता है। जाने-माने संस्कृत विद्वान तथा पद्मश्री से सम्मानित डॉ रमाकांत शुक्ल प्रकृति से जुड़े इस पर्व के बारे में बताते हैं कि यह पर्व प्रकृति के साथ इंसानी रिश्ते के सामंजस्य को दर्शाता है। गर्मी का मौसम जब पूरे उत्कर्ष पर रहता है, तब इस पर्व को मनाकर उस तपती धूप के साथ इंसान एक सामंजस्य स्थापित करने की कोशिश करता है। आप घड़ा दान करते हैं, शीतल जल परोसते हैं, ग्रीष्म ऋतु के फलों का दान करते हैं। पंखा दान करते हैं। दान से जुड़ी इन तमाम चीजों से ग्रीष्म ऋतु से इंसान का सामंजस्यपूर्ण रिश्ता बनता है। यह एक तरह से प्रकृति के प्रति हमारा सम्मान व्यक्त करता है।

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उधर निर्जला एकादशी को देखते हुए क्षेत्र के तमाम बाजारों में बड़ी तादाद में लोग घड़े व पंखे खरीदते नजर आए। विश्वास पार्क निवासी अनिता ने बताया कि वे पिछले एक दशक से निर्जला एकादशी का व्रत रख रही हैं। इस दिन सास को पंखा, घड़ा, शर्बत बनाने के लिए जरूरी चीनी, खांड देने का रिवाज है। पंखा खरीद रही अनिता बताती हैं कि भले ही वे सास को ये सारा सामान बतौर उपहार देंगी, लेकिन वे स्वयं व्रत रखेंगी। वहीं, मंसाराम पार्क से उत्तम नगर में खरीददारी करने पहुंची रिकी बताती हैं कि निर्जला एकादशी व्रत उन्हें जरूरतमंदों की मदद करने की प्रेरणा देता है। वे बताती हैं कि उनके घर के आसपास रहने वाले कई लोग ऐसे हैं जो इन दिनों परेशान हैं। ऐसे लोगों को यदि आप गर्मी के इस मौसम में शीतलता प्रदान करने वाली ये चंद वस्तुएं देंगे तो आप जरा सोचें कि ये कितना पुण्य का कार्य है। बॉक्स

यूं तो हर वर्ष गर्मी के मौसम में घड़े की मांग बाजार में अधिक होती है, लेकिन निर्जला एकादशी के समय घड़े की मांग में एकाएक तेज वृद्धि होती है। पिछले दो दिनों से हमारा कारोबार संतोषप्रद रहा। लॉकडाउन के समय यह एक अच्छा संकेत है।

प्रेम, घड़ा विक्रेता बॉक्स

हमने लोगों से यह आग्रह किया है कि निर्जला एकादशी पर लोग अपने घर के आसपास रहने वाले जरूरतमंदों को शीतलता प्रदान करने वाले मौसमी फल, पंखे, घड़ा, शर्बत के लिए चीनी, दूध का दान दें।

भूषण लाल पाराशर, चेयरमैन श्री राम, मंदिर, जनकपुरी बॉक्स

निर्जला एकादशी व्रत करने वाला व्यक्ति पूरे दिन जल का सेवन नहीं करता है। यह बात आपके शरीर के कष्ट सहन करने की क्षमता को बढ़ाती है, जिससे आपकी सहनशीलता बढ़ती है। आप सहअस्तित्व की भावना का सम्मान करने लगते हैं। यह इस पर्व की बहुत बड़ी विशेषता है।

डॉ. रमाकांत शुक्ल, पद्मश्री से सम्मानित संस्कृत विद्वान


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