Delhi Nizamuddin Markaz: मरकज में गंदगी देखकर चकरा गए सफाईकर्मी
निजामुद्दीन में आयोजित तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में सिर्फ लॉकडाउन का उल्लंघन ही नहीं हुआ था बल्कि यहां साफ-सफाई का भी ध्यान नहीं रखा गया था।
नई दिल्ली [अरविंद कुमार द्विवेदी]। निजामुद्दीन में आयोजित तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में सिर्फ लॉकडाउन का उल्लंघन ही नहीं हुआ था, बल्कि यहां साफ-सफाई का भी ध्यान नहीं रखा गया था। मरकज की इमारत से बुधवार सुबह तक सभी जमातियों को निकालकर अस्पताल व क्वारंटाइन सेंटर में भेज दिया गया। लेकिन दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग की टीम जब बिल्डिंग को सैनिटाइज करने पहुंची तो उसके होश उड़ गए। यहां इतनी गंदगी थी कि सैनिटाइजेशन करने पहुंचे कर्मचारियों का सिर चकरा गया।
दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी ) सेंट्रल जोन के डीएचओ डॉ. विवेकानंद भगत के नेतृत्व में बुधवार को इस पूरे इलाके को तीन बार सैनिटाइज किया गया। बेसमेंट व ऊपरी मंजिलों को मिलाकर कुल नौ मंजिला इस इमारत को सैनिटाइज करने में चार कर्मचारियों को एक घंटे से अधिक समय लग गया। जबकि इन लोगों के पास दवा छिड़कने की ऐसी आधुनिकतम मशीनें थीं जो तीन-चार मिनट में 10 लीटर घोल को फॉग के रूप में स्प्रे करती थी। यह 15 मीटर की रेंज तक फॉग का स्प्रे कर सकती है।
निगम सूत्र ने बताया कि मरकज में इतनी दुर्गंध आ रही थी कि वहां पर एक-एक पल रुकना भारी पड़ रहा था। सैनिटाइजेशन के लिए केमिकल के छिड़काव के दौरान उन्हें उबकाई तक आ रही थी। कर्मचारी ने बताया कि मरकज में बने शौचालय इतने छोटे-छोटे थे कि उसमें बमुश्किल एक आदमी ही खड़ा हो पाता। एक-एक कमरे में सोते थे कई लोग निगम के एक कर्मचारी ने बताया कि इमारत में बहुत छोटे-छोटे कमरे थे। उनमें जमीन पर प्लास्टिक की चटाइयां बिछी हुईं थीं। छोटी-छोटी चटाइयों पर चार-चार तकिये लगे थे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक-एक कमरे में कई लोग सोते थे। इस दौरान शारीरिक दूरी का भी पालन नहीं किया जा रहा था।
इमारत की पहली मंजिल के हॉल के बीच में करीब दो फुट गहरी दो हौदियां बनी हुई हैं। इसके गंदे पानी में बड़ी-बड़ी मछलियां भी पाली हुई थीं। फिलहाल तो निगम के कर्मचारियों ने इस पानी को नहीं निकाला है क्योंकि इससे मछलियों के मरने का खतरा था। लेकिन सूत्रों का कहना है कि जल्द ही इसे भी खाली कर दिया जाएगा। तीन-चार हजार से ज्यादा जूते-चप्पल रखे हैं मरकज की रैक में करीब चार हजार जोड़ी जूते-चप्पल रखे हुए थे। इसके अलावा गंदे कपड़े, चादरें व तकिया, अलग-अलग भाषाओं में तमाम किताबें कागजात आदि बिखरे पड़े थे।
कहीं जानबूझकर तो नहीं थूका!
निगम सूत्र ने बताया कि इमारत में हर ओर दीवारों, दरवाजों, सीढि़यों की रे¨लग व ड्रमों को काटकर बनाए गए गमलों, बैठने की जगहों पर थूक के निशान थे। आशंका है कि जब स्वास्थ्य विभाग व पुलिस की टीम ने इन लोगों को यहां से निकालना शुरू किया तो इन लोगों ने जानबूझकर पूरी इमारत में थूका ताकि स्वास्थ्य विभाग व पुलिसकर्मियों को भी कोरोना वायरस का संक्रमण हो जाए। गौरतलब है कि बसों में भरकर ले जाने के दौरान भी इन लोगों ने बस, सड़क व आसपास के लोगों पर थूका ताकि संक्रमण और फैले।