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जिग-जैग तकनीक वाले ईट भट्ठों का वातावरण पर विनाशकारी प्रभाव: एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सोमवार को एनसीआर मेंजिग-जैगतकनीक पर चलने वाले ईंट भट्टों को चलाने की अनुमति देने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उनके संचालन का वायु गुणवत्ता पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 09:59 PM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 09:59 PM (IST)
जिग-जैग तकनीक वाले ईट भट्ठों का वातावरण पर विनाशकारी प्रभाव: एनजीटी
जिग-जैग तकनीक वाले ईट भट्ठों का वातावरण पर विनाशकारी प्रभाव: एनजीटी

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सोमवार को एनसीआर में 'जिग-जैग' तकनीक पर चलने वाले ईट भट्ठों को चलाने की अनुमति देने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उनके संचालन का वायु गुणवत्ता पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को पांच विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने का निर्देश दिया है, जो किसी भी तरह से ईट भट्ठों की गतिविधियों के लिए निगरानी करेगी। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सीपीसीबी की रिपोर्ट के मद्देनजर, मौजूदा समय में एनसीआर में ईट भट्ठों के संचालन की अनुमति देना संभव नहीं है। पीठ ने कहा कि ईट-भट्ठा मालिकों के सभी आवेदन, सीपीसीबी रिपोर्ट की अस्वीकृति और ईट भट्ठों के संचालन के खिलाफ अंतरिम आदेश को देखते हुए ऐसी गतिविधि की अनुमति देना आगे चलकर नुकसान देगा। एनजीटी ने कहा कि यह सचेत है कि ईट भट्ठे आवश्यक हो सकते हैं और इस आदेश का उद्देश्य किसी भी वैध व्यापारिक गतिविधि को रोकना नहीं है बल्कि ताजा हवा में सांस लेने के अधिकार को लागू करना है, जो कि मौजूदा समय में सही है। आने वाले समय के लिए एनजीटी ने कहा कि सीपीसीबी तीन सप्ताह के भीतर एक विशेषज्ञ समिति का गठन कर सकती है, जो छह सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट दे सकती है। फिलहाल याचिका को खारिज किया जाता है।

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