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दुर्लभ सर्जरी रही कामयाब: जन्म के 12 घंटे के भीतर नवजात को लगा स्थायी पेसमेकर

दिल की जन्मजात बीमारी से पीड़ित नवजात बच्चे के जन्म के 12 घंटे के भीतर फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के डॉक्टरों ने उसकी सर्जरी कर स्थायी पेसमेकर लगाया। इससे बच्चे को जिंदगी मिल सकी। डॉक्टरों ने 29 अगस्त को यह सर्जरी की थी।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 17 Oct 2020 07:52 PM (IST)Updated: Sun, 18 Oct 2020 07:59 AM (IST)
दुर्लभ सर्जरी रही कामयाब: जन्म के 12 घंटे के भीतर नवजात को लगा स्थायी पेसमेकर
एक मिनट में सिर्फ 40 बार धड़क रहा था नवजात का दिल।

नई दिल्ली, रणविजय सिंह। दिल की जन्मजात बीमारी से पीड़ित नवजात बच्चे के जन्म के 12 घंटे के भीतर फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के डॉक्टरों ने उसकी सर्जरी कर स्थायी पेसमेकर लगाया। इससे बच्चे को जिंदगी मिल सकी। डॉक्टरों ने 29 अगस्त को यह सर्जरी की थी। पेसमेकर लगाने के बाद बच्चे के दिल ने ठीक से काम करना शुरू कर दिया और उसकी धड़कन सामान्य हो गई।

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दुर्लभ सर्जरी 

डॉक्टर इससे दुर्लभ सर्जरी बता रहे हैं। डॉक्टर कहते हैं कि 20 हजार में से एक बच्चे को दिल की जन्मजात बीमारी होती है। अब बच्चे का स्वास्थ्य ठीक है। अस्पताल के पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी के निदेशक डॉ. गौरव कुमार ने कहा कि बच्चे को स्थायी रूप से पेसमेकर के सहारे रहना पड़ेगा। वह बड़ा होकर सामान्य जीवन गुजार सकेगा। उसके पिता दिल्ली में ही सीआरपीएफ में सब इंस्पेक्टर हैं। उनकी पत्नी दीप्ति का गर्भावस्था के 35 सप्ताह में दिल्ली के एक अन्य अस्पताल में प्रसव हुआ था। इस तरह बच्चे का जन्म प्रीमैच्योर (समय पूर्व) हुआ था और उसका वजन 2.1 किलोग्राम था।

दिल एक मिनट में सिर्फ 40 बार धड़क रहा था

डॉ. गौरव कुमार ने कहा कि वजन कम हाेने के साथ-साथ बच्चे की लंबाई भी कम थी। जन्म के बाद उसका दिल एक मिनट में सिर्फ 40 बार धड़क रहा था। जबकि नवजात बच्चों का दिल एक मिनट में 140 से 160 बार धड़कना चाहिए। धड़कन बहुत कम होने के कारण शरीर के अन्य हिस्सों में ब्लड बहुत कम पहुंच रहा था। यही वजह है कि वजन व लंबाई कम थी। यदि पेसमेकर नहीं लगाया जाता उसके जीवन को खतरा था। इसलिए जन्म के बाद ही संबंधित अस्पताल के डॉक्टरों ने कार्डियक सर्जन से दिखाने की सलाह दी।

कामयाब रही डॉक्‍टरों की मेहनत

लिहाजा, परिजनों ने फोर्टिस अस्पताल में संपर्क किया। इसके बाद उसे तुरंत फोर्टिस अस्पताल में स्थानांतरित किया गया। अस्पताल पहुंचने पर जांच में पता चला कि बच्चे का दिल व फेफड़े बहुत खराब स्थिति में थे। इस वजह से जल्द पेसमेकर लगाना जरूरी था। समस्या यह थी कि इतने छोटे बच्चे को एनेस्थीसिया देने व सर्जरी में जोखिम होता है। फिर भी उसकी हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने सर्जरी कर उसे स्थायी पेसमेकर लगाया।

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