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संजीव चतुर्वेदी जनहित याचिका का निजी विवाद में कर रहे इस्तेमाल : केंद्र

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि एम्स के पूर्व चीफ

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Sep 2017 10:06 PM (IST)Updated: Mon, 04 Sep 2017 10:06 PM (IST)
संजीव चतुर्वेदी जनहित याचिका का निजी विवाद में कर रहे इस्तेमाल : केंद्र
संजीव चतुर्वेदी जनहित याचिका का निजी विवाद में कर रहे इस्तेमाल : केंद्र

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि एम्स के पूर्व चीफ विजिलेंस अधिकारी (सीवीओ) संजीव चतुर्वेदी जनहित याचिका को ढाल बनाकर निजी हितों को साधने का प्रयास कर रहे हैं। जो एनजीओ इस संबंध में याचिका लगा रहा है, वह वास्तव में चतुर्वेदी के लिए ही कार्य कर रहा है।

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कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की खंडपीठ के समक्ष याचिका के जवाब में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा कि सेंटर फॉर पब्लिक इंट्रस्ट लेटिगेशन (सीपीआइएल) ठीक वही मुद्दा उठा रहा है, जिसे चतुर्वेदी ने वर्ष 2012 से 2014 तक एम्स सीवीओ रहते हुए उठाया था। एनजीओ ने इस मुद्दे को उठाते हुए जनहित याचिका के माध्यम से सीबीआइ जांच की मांग की। बाद में पीछे हटते हुए संजीव चतुर्वेदी को पक्ष बनाने की मांग की। इससे स्पष्ट है कि एनजीओ संजीव चतुर्वेदी के इशारे पर ही काम कर रहा है। फिलहाल उत्तराखंड में कार्यरत संजीव चतुर्वेदी भारतीय वन सेवा के अधिकारी हैं। वह इस मामले में कई हलफनामा दाखिल कर चुके हैं। उनके निजी मुद्दों को जनहित याचिका के नाम पर नहीं उठाया जाना चाहिए। मामले की अगली सुनवाई अब 12 अक्टूबर को होगी।

गौरतलब है कि सीपीआइएल ने जनहित याचिका के माध्यम से एम्स में संजीव चतुर्वेदी के कार्यकाल के दौरान उठाए गए भ्रष्टाचार के मामलों की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की थी। मामला उजागर करने पर संजीव चतुर्वेदी को पद से हटा दिया गया था। सीबीआइ ने हलफनामे में कहा है कि एम्स के किसी भी अधिकारी के खिलाफ संजीव की रिपोर्ट के आधार पर प्रथमदृष्टि में सुबूत नहीं मिले हैं, जिससे कि उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा सके। यही बात केंद्र सरकार की तरफ से कही गई।


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