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गुलशन कुमार के हत्यारे ने समी को सहयोग का दिया था भरोसा

राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली अलकायदा आतंकी समी उन रहमान से पूछताछ में इंटेलिजेंस ब्यूरो

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Sep 2017 03:01 AM (IST)Updated: Thu, 21 Sep 2017 03:01 AM (IST)
गुलशन कुमार के हत्यारे ने समी 
को सहयोग का दिया था भरोसा
गुलशन कुमार के हत्यारे ने समी को सहयोग का दिया था भरोसा

राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली

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अलकायदा आतंकी समी उन रहमान से पूछताछ में इंटेलिजेंस ब्यूरो (आइबी) व दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को पता चला है कि उसके संबंध अंडरव‌र्ल्ड से भी हैं। वर्ष 2014 में बांग्लादेश की जेल में समी की मुलाकात कैसेट किंग टी सीरीज कंपनी के मालिक गुलशन कुमार के हत्यारे अब्दुल राव से हुई थी। अब्दुल ने उसे आतंकी गतिविधियों में हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया था। वर्ष 1997 में दाऊद इब्राहिम के गुर्गो ने मुंबई में गुलशन कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी थी। उम्रकैद की सजा पाए सभी दोषी महाराष्ट्र की जेल में बंद हैं।

स्पेशल सेल के मुताबिक वर्ष 2002 में मुख्य आरोपी अब्दुल राव को पैरोल मिल गई थी। जेल से बाहर आते ही वह फरार हो गया था। वर्ष 2014 में बांग्लादेश की पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। उसी समय आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में समी को भी दबोचा गया था। दोनों को जेल में एक ही वार्ड में रखा गया था। अब्दुल ने समी को बताया था कि भारत में बड़े बदमाशों से उसके संबंध हैं। आतंकी घटनाओं के लिए हथियार व अन्य सामान उपलब्ध कराने में वह उसकी मदद कर सकता है। अब्दुल ने उसे अपने साथ काम करने के लिए भी कहा था। अक्टूबर 2016 में बांग्लादेश पुलिस ने अब्दुल को मुंबई पुलिस को सौंप दिया था, तभी से वह महाराष्ट्र की जेल में बंद है।

स्पेशल सेल का कहना है कि अलकायदा ने समी को भारत इसलिए भेजा था, ताकि म्यांमार में रो¨हग्या मुस्लिमों के साथ अत्याचार होने के मसले पर वह मुस्लिम युवाओं को भड़काकर आतंकी बना सके। मिजोरम व मणिपुर में वह बेस बनाना चाह रहा था। वहां उसने स्थानों का भी चयन कर लिया था। तीन महीने से वह विभिन्न शहरों में घूम-घूमकर युवाओं को अपने साथ जोड़ रहा था, ताकि उन्हें कैंप में हथियारों का प्रशिक्षण दिया जा सके। इसी सिलसिले में पांच सप्ताह पहले वह दिल्ली आया था। यहां कई मौलवियों के घर में वह रुका था। स्पेशल सेल उन लोगों के बारे में पता लगा रही है, जिनके यहां वह रुका था।


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