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पराली जलाने के मामले में पड़ोसी राज्‍य सरकारें किसानों की मदद के लिए नहीं करती कोई कार्रवाई: अरविंद केजरीवाल

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पराली जलाने के मामले में पड़ोसी राज्‍य सरकारों पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया। उन्‍होंने कहा कि पराली जलाने के मुद्दे पर किसानों की मदद के लिए पड़ोसी राज्य सरकारें कोई काम नहीं कर रही हैं।

By Ppradeep ChauhanEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 12:54 PM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 12:54 PM (IST)
पराली जलाने के मामले में पड़ोसी राज्‍य सरकारें किसानों की मदद के लिए नहीं करती कोई कार्रवाई: अरविंद केजरीवाल
दिल्‍ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पूसा बायो-डि कंपोजर को अपनाने पर जोर दिया।

नई दिल्‍ली, जागरण संवाददाता। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पराली जलाने के मामले में पड़ोसी राज्‍य सरकारों पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया। उन्‍होंने कहा कि पराली जलाने के मुद्दे पर किसानों की मदद के लिए पड़ोसी राज्य सरकारें कोई काम नहीं कर रही हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता मध्य अक्टूबर से खराब होने लगेगी। दिल्ली में सर्दियों की शुरुआत के साथ ही बड़े स्तर पर वायु प्रदूषण का सामना करना पड़ता है।

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इसी मौसम में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में खेतों में धान की पराली जलाई जाती है। केजरीवाल ने कहा कि अभी दिल्ली में हवा साफ है और प्रदूषणकारी तत्व पीएम का स्तर अच्छा और संतोषजनक श्रेणियों में है। लेकिन अक्टूबर में राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता को बरकरार रखने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। ताकि हर साल की भांत‍ि इस साल पराली जलाए जाने के मामलों पर रोक लग सके। सर्दी के मौसम में पराली का धुआं चारों तरफ फैलने से सड़कों पर हादसों की संख्‍या में भी इजाफा हो जाता है।

बता दें कि दिल्ली सरकार पूसा बायो-डि कंपोजर को अपनाने पर जोर दे रही है। यह तरल पदार्थ कथित तौर पर पराली को खाद में बदल सकता है। दिल्ली सरकार केंद्र से पड़ोसी राज्यों से इसे किसानों के बीच मुफ्त वितरित करने के लिए कहने का आग्रह कर रही है। दिल्ली सरकार ने पिछले दिनों कहा था कि दिल्ली में पिछले साल किसानों के बीच बायो-डि कंपोजर मुफ्त में वितरित किया था जिसका 39 गांवों में 1,935 एकड़ कृषि भूमि पर उपयोग किया गया था। उसके बेहतर परिणाम सामने आए थे।

केंद्र सरकार को दिल्‍ली सरकार के इस आग्रह पर ध्‍यान देना चाहिए ताकि पराली जलाए जाने के मामलों में कमी आ सके। पराली के जहरीले धुएं से हर साल बड़ी संख्‍या में बीमार होते हैं। बच्‍चों व बुजुर्गो को सांस लेने में तकलीफ होती है। उन्‍होंने फेफड़े, कैंसर और अन्‍य गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ता है।


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