Delhi: केंद्र के विरोध में मशाल जुलूस निकालने पहुंचे यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता, पुलिस ने हिरासत में लिया
कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद राहुल गांधी की संसद की सदस्यता खत्म करने का विरोध करने रविवार को जंतर-मंतर पर युवा कांग्रेस के कार्यकर्ता पहुंचे। उन्होंने केंद्र सरकार के विरोध में जंतर-मंतर रोड पर मशाल जुलुस निकालने की कोशिश की
नई दिल्ली, एएनआई। कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद राहुल गांधी की संसद की सदस्यता खत्म करने का विरोध करने रविवार को जंतर-मंतर पर युवा कांग्रेस के कार्यकर्ता पहुंचे। उन्होंने केंद्र सरकार के विरोध में जंतर-मंतर रोड पर 'मशाल जुलुस' निकालने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उससे पहले ही यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया।
''सावरकर नहीं गांधी हूं, माफी नहीं मांगूंगा''
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि मेरा नाम सावरकर नहीं, गांधी है और गांधी कभी माफी नहीं मांगते। कांग्रेस मुख्यालय में शनिवार को मीडिया से बात करते हुए राहुल ने कहा, ''अदाणी मुद्दे पर लोकसभा में मेरे अगले भाषण से डरी सरकार ने इसे रोकने के लिए संसद की सदस्यता रद कराई है। बावजूद इसके यह सवाल मैं पूछता रहूंगा कि किसने अदाणी की शेल कंपनी में 20,000 करोड़ रुपये का निवेश किया?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा पर वार करते हुए राहुल ने आरोप लगाया कि सरकार के लिए 'देश अदाणी है और अदाणी देश' है। सरकार-भाजपा के ओबीसी विरोधी आरोपों और सत्ता की धमकियों से नहीं डरने की ताल ठोकते हुए राहुल गांधी ने कहा कि सदस्यता की उन्हें परवाह नहीं। सरकार चाहे आजीवन अयोग्य ठहरा दे या जेल में डाल दे, वे डरने वाले नहीं, क्योंकि वे लोकतंत्र की आवाज बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। यह लड़ाई सच्चाई की है और उनकी तपस्या है। इसे वे किसी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे।
गुरुवार को हुई राहुल गांधी की सदस्यता रद्द
गुरुवार को 2019 के मानहानि मामले में सूरत की एक अदालत द्वारा राहुल को दोषी ठहराए जाने के बाद उनकी ससंदीय सदस्यता रद्द कर दी गई। कर्नाटक में 2019 के लोकसभा चुनावों में एक रैली में 'मोदी' सरनेम का उपयोग करने वाली टिप्पणी के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद अयोग्य ठहराए गए कांग्रेस सांसद को दो साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।
हालांकि, बाद में अदालत ने 30 दिनों की अवधि के लिए उनकी सजा को निलंबित करते हुए 15,000 रुपए के मुचलके पर उसकी जमानत मंजूर कर ली, जिसके दौरान वह अपनी सजा को उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकते हैं।