बेटा-बेटी को रसमलाई में जहर देकर फांसी के फंदे पर झूल गया युवक, हैरान कर देने वाली है वजह
आर्थिक तंगी से परेशान युवक ने बेटा-बेटी को रसमलाई में जहर देकर खुद फांसी लगा ली। पुलिस ने तीनों के शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। आर्थिक तंगी से परेशान युवक ने बेटा-बेटी को रसमलाई में जहर देकर खुद फांसी लगा ली। घटना सोमवार देर रात के बाद सिहानी गेट थानाक्षेत्र में नूरनगर की है। सुबह तीन बजे दूसरे कमरे में सो रही पत्नी उठी तो पता चला। सूचना पर पहुंची पुलिस ने तीनों के शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। घटना के बाद पत्नी बार-बार बेहोश हो रही है।
नगर निगम के रिटायर्ड माली भगवान सिंह नूरनगर में पत्नी और तीन बेटों के साथ रहते हैं। छोटा बेटा अनुज अविवाहित है। मनोज के परिवार में पत्नी और बच्चा और बड़े बेटे सुंदर पाल(43) के परिवार में पत्नी, बेटी व दो बेटे हैं। सुंदर दो महीने से घर पर ही था, जबकि पत्नी शशि स्वास्थ्य विभाग के पोलियो समेत अन्य अभियानों में काम करती थीं।
सुंदर ने सोमवार रात बेटी माही(12) और बेटा नमन(5) और तुषार(15) को लूडो खेलने के लिए बुलाया। तुषार मानसिक रूप से कमजोर है। बच्चों को बुलाकर कहा कि मैं तुम्हारे लिए रसमलाई लेकर आया हूं। इसके बाद चारों लूडो खेलने लगे। शशि आईं और कहा कि सुबह तड़के ही उन्हें पोलियो अभियान में जाना है। इसलिए वह सो रहे सोने जा रही हैं। रात करीब साढ़े 10 बजे वह नमन को अपने साथ लेकर दूसरे कमरे में चली गईं।
तड़के तीन बजे उनकी नींद खुली तो देखा कि सुंदर के कमरे की लाइट जल रही है। शशि ने कमरे का गेट खोला तो सामने सुंदर का शव पंखे से लटका था, जबकि माही व तुषार जमीन पर पड़े थे। पास रखी मेज पर रसमलाई बिखरी थी। कमरे का दृश्य देखकर शशि जोर से चिल्लाईं। आवाज सुन घर के अन्य सदस्य व पड़ोसी उठकर आ गए।
नहीं चल रहा था कोई काम
सुंदर के पिता भगवान सिंह घटना के बारे में कुछ भी सही-सही नहीं बता पा रहे हैं। उनका कहना है कि सुंदर कुल्लू मनाली में किराए पर कमरा लेकर ढाबा चलाता था। दो महीने से वह घर पर ही था। ढाबा तीन साल पहले शुरू किया था। इससे पहले वह अपनी कैब चलाता था। पिता ने ही उसे कार खरीदवाई थीं। पड़ोसियों के मुताबिक उसका कोई भी काम सही तरह से नहीं चल पा रहा था।
बेच दिया था 100 गज का प्लॉट
भगवान सिंह ने बताया कि उन्होंने 100-100 गज के तीन प्लॉट खरीदे थे। रिटायरमेंट के बाद इन्हें तीनों बेटों के नाम कर दिया। सुंदर ने करीब दो हफ्ते पहले ही अपने हिस्से का 100 गज का प्लॉट बेच दिया था। उसकी आर्थिक तंगी को लेकर भगवान सिंह का कहना है कि उन्हें कुछ भी स्पष्ट नहीं पता। सुंदर उनसे या घर पर अन्य किसी सदस्य से बात नहीं करता था। कुल्लू मनाली से आने के बाद उसने यह भी नहीं बताया कि ढाबा बंद कर दिया है या दुबारा जाएगा। हालांकि पुलिस के मुताबिक ढाबे में नुकसान के कारण वह घर लौटा था।
सिहानी गेट थाना प्रभारी संजय पांडे का कहना है कि तीनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। पीएम रिपोर्ट आने पर ही मौत के कारणों का स्पष्ट पता चलेगा। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि सुंदर आर्थिक रूप से परेशान था। संभवतः इसी कारण उसने ऐसा कदम उठाया है।
मां ने बचा ली नमन की जान
सुंदर चारों बच्चों के साथ लूडो खेल रहा था। शशि सोने की बात कहकर चली गईं, लेकिन कुछ देर बाद ही वह सुंदर के कमरे में लौटीं। वहां से नमन को अपने साथ यह कहकर ले गईं कि अकेले नींद नहीं आ रही है। यदि नमन को वह नहीं ले जातीं तो शायद वह भी रसमलाई खा लेता।