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जान गंवाकर अजनबी को लुटने से बचाया, पुलिस ने कहा- लूट नहीं झगड़े का था मामला

वसीम ने ऑटो रुकवा दिया और उसे बिठाने लगे। इसी दौरान पीछे से आए बदमाश ने कहा कि ये ऑटो में नहीं बैठेगा।

By Edited By: Published: Fri, 07 Sep 2018 08:03 PM (IST)Updated: Fri, 07 Sep 2018 08:30 PM (IST)
जान गंवाकर अजनबी को लुटने से बचाया, पुलिस ने कहा- लूट नहीं झगड़े का था मामला
जान गंवाकर अजनबी को लुटने से बचाया, पुलिस ने कहा- लूट नहीं झगड़े का था मामला

नई दिल्ली [जेएनएन]। उस्मानपुर इलाके में शास्त्री पार्क लाल बत्ती पर शुक्रवार तड़के एक युवक ने अजनबी को लुटने से तो बचा लिया लेकिन इसकी कीमत उसे जान देकर चुकानी पड़ी। मृतक की पहचान वसीम (25) के रूप में हुई है। पुलिस ने हत्या का केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। हालांकि पुलिस उपायुक्त अतुल कुमार ठाकुर ने लूटपाट की कोशिश से इन्कार किया है।

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हाथ जोड़कर मदद मांग रहा था युवक 
जानकारी के मुताबिक, मूलरूप से मियां कॉलोनी, मुरादाबाद, उप्र निवासी वसीम परिवार के साथ विजय विहार, लोनी में रहते थे। वह कश्मीरी गेट स्थित एक ट्रैवल एजेंसी में सहायक का काम करते थे। शुक्रवार तड़के करीब चार बजे वह कश्मीरी गेट से ऑटो लेकर मामा मुस्तकिम और भाई शाकिब के साथ घर लौट रहे थे। जैसे ही सभी शास्त्री पार्क लाल बत्ती के पास पहुंचे तो देखा कि एक युवक हाथ जोड़कर मदद मांग रहा है।

बदमाश ने चाकू से किया हमला 
वसीम ने ऑटो रुकवा दिया और उसे बिठाने लगे। इसी दौरान पीछे से आए बदमाश ने कहा कि ये ऑटो में नहीं बैठेगा। इस पर वसीम युवक के बचाव में ऑटो से नीचे उतर गए। बदमाश ने उनके गले पर चाकू से हमला कर दिया। गले की नस कटने की वजह से खून निकलने लगा। यह देख आरोपी वहां से भाग निकला।

दोनों के बीच हुआ था झगड़ा 
भाई और मामा वसीम को लेकर नजदीकी अस्पताल पहुंचे लेकिन तब तक वह दम तोड़ चुके थे। सूचना पाकर पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। जिसे बचाने में वसीम की जान गई, वह वरुण हैं। वरुण ने बताया कि वह लोनी में रहते हैं और पीतमपुरा की एक कंपनी में काम करते हैं। शुक्रवार तड़के वह पंजाब से आ रहे थे। लाल बत्ती पर वह बस से उतर गए। इसके बाद ढलान की तरफ जाकर लघुशंका करने लगे। इसी दौरान बदमाश उनसे लूटपाट करने लगा। बचने के लिए वह भागकर ऑटो के पास पहुंचे और यह हादसा हो गया। हालांकि पुलिस का कहना है कि जहां वरुण लघुशंका कर रहे थे, वहां पर आरोपी रेहड़ी लगाता था। इस वजह से झगड़ा हुआ था।

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घर में गूंजने वाली थी किलकारी
वसीम के माता-पिता का 15 साल पहले निधन हो गया था। इसके बाद मुस्तफाबाद में रहने वाली नानी वसीम व उनके दो भाइयों नदीम और फारुख को लेकर दिल्ली आ गईं। उन्होंने ही तीनों का लालन-पालन किया। सभी की शादी की। तीनों अपने-अपने परिवार के साथ लोनी में रहने लगे। वसीम के परिवार में पत्नी महजबी, पांच साल और तीन साल की दो बेटियां हैं। परिजनों ने बताया कि महजबी आठ महीने की गर्भवती हैं। घर में जल्द ही किलकारी गूंजने वाली थी। इसी बीच इस घटना से मातम पसर गया। वसीम की कमाई से ही घर का चूल्हा जलता था।


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