Move to Jagran APP

कोरोना संक्रमण के इस दौर से आप जीतेंगे जरूर यह जंग, अपनों की कोशिशों के संग...

दोस्तो अगर कोरोना दोगुनी गति से फैल भी रहा है तो उसमें आपको तनाव लेने की जरूरत नहीं है। आपको बेहतर वातावरण और पौष्टिक खाना देने के लिए माता-पिता हैं। पढ़ाई में लगातार मार्गदर्शन देने के लिए शिक्षक हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 03 May 2021 04:06 PM (IST)Updated: Mon, 03 May 2021 04:09 PM (IST)
कोरोना संक्रमण के इस दौर से आप जीतेंगे जरूर यह जंग, अपनों की कोशिशों के संग...
ऑनलाइन रहें लेकिन नकारात्मक चीजों से खुद को दूर रखें।

नई दिल्‍ली, यशा माथुर। कोरोना के कारण आप एक बार फिर से घर में बंद हो गए हैं। आपकी परीक्षाएं हुईं नहीं, खेलने को मिल नहीं रहा, दोस्तों से मुलाकात नहीं हो रही ऐसे में आप मायूस हो सकते हैं। लेकिन आपको सही रास्ता दिखाने के लिए आपके मम्मी-पापा से लेकर टीचर तक आपके साथ हैं। खुद को क्रिएटिव चीजों में व्यस्त रखें। अपने दोस्तों से ऑनलाइन संपर्क न तोड़ें। ऑनलाइन रहें लेकिन नकारात्मक चीजों से खुद को दूर रखें।

loksabha election banner

बनाएं नई दिनचर्या: आपके हर काम के लिए समय नियत होगा तो आप उसी के हिसाब से अपने दिन की योजना बना पाएंगे लेकिन जब आपको पता ही नहीं है कि कब क्या करना है तो हर वक्त ऐसा ही लगेगा कि अब क्या करें? इस विषम परिस्थिति से आपको एक स्मार्ट रूटीन ही बचा सकता है। अध्यापिका अंकिता महाजन बेशक छोटे बच्चों को पढ़ाती हैं लेकिन कहती हैं, 'मैं समझती हूं बच्चों का एक तय रूटीन होना चाहिए। जब ऑनलाइन कक्षाएं खत्म हों तो उसी समय दिन का खाना दें। फिर उसे आराम करने दें। शाम को उसके साथ कुछ एक्टिविटी करें। अगर उसका रूटीन नहीं होगा तो बच्चा बार-बार बोलेगा या सोचेगा कि अब क्या करूं? स्क्रीन टाइम ज्यादा है तो उसके लिए सोना भी जरूरी है। ‘नो स्क्रीन टाइम’ में वह अपने मन का काम करे, चाहे ड्रॉइंग बनाए, संगीत सुने, चाहे नृत्य करे।'

लें पैरेंट्स की खुलकर मदद: आपदा की दूसरी लहर के आने से वक्त ने जब करवट ली तो अपनी बेटी प्लेबैक सिंगर, यूट्यबर अंतरा नंदी का नया शेड्यूल बनाने में मां और पापा ने खूब मदद की। कहती हैं अंतरा, 'मां ध्यान रखती हैं कि हमें सुबह पांच बजे उठकर दिन की शुरुआत करनी है। रियाज और पढ़ाई का समय निकालना है। फिटनेस का खयाल रखना है। चूंकि पापा भी घर में हैं, तो वे समय का सदुपयोग के साथ-साथ समय के प्रबंधन का तरीका और महत्व बताते रहते हैं। हमने एडजस्ट करना सीख लिया या यूं कहें जिंदगी ने सिखाया और यह एक उपलब्धि से कम नहीं। हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि तो यह हुई कि घर पर ही अपना स्टूडियो तैयार कर लिया है। अब घर पर भी प्रोफेशनल काम कर लेते हैं। भविष्य को लेकर काफी आश्वस्त हूं।'

दोस्तों से मिलते रहें ऑनलाइन: माता-पिता भी बदलते समय और बच्चों की समुचित केयर को लेकर बेहद चिंतित हैं। वे बच्चों की हालत समझ रहे हैं और रास्ते भी निकाल रहे हैं। दो बच्चों की मां सोनाली अग्रवाल कहती हैं, आजकल बच्चे ओपन हैं। उनके ग्रुप बने हुए हैं। उनकी आपस में ऑनलाइन चैटिंग चलती रहती है। उनका रूटीन खराब हो गया है। सुबह जल्दी उठना और रात में समय से सोना सब गड़बड़ हो चुका है। स्कूल की बातें तो बताते हैं लेकिन कई छिपा ले जाते हैं। बच्चों की मांग को देखते हुए हमने उनका एक छोटा गेटटुगेदर भी करवा दिया था, जिससे वे खुश हो गए। हालांकि उनकी जिद और मांगें भी बढ़ रही है। बच्चे ने कहा डॉगी लेकर दो। हमने इंडोर गेम लेकर दिए। घर में बैठे-बैठे उनका परेशान होना स्वाभाविक है।'

इंटरैक्ट करते हैं बच्चों से: पूर्वी दिल्ली के शिशु भारती शिव मंदिर विद्यालय की अध्यापक अंकिता महाजन ने बताया कि बच्चों के घर से बाहर न निकलने की स्थिति में हम उनके लिए दोस्तों के साथ एक छोटी सी जूम मीटिंग करते हैं, जिसमें वे एक साथ खाना खाते हैं। उनको बात करने के लिए एक विषय दे देते हैं। हमने जूम पर ग्रैंड पैरेंट्स डे मनाया और बच्चों को उनके दादाजी से प्रश्न करने को कहा कि उनसे पूछें कि वे अपने बचपन में क्या करते थे, कौनसा खेल खेलते थे? आप कहां घूमने जाते थे? इस तरह की गतिविधियों से बच्चे खुश रहते हैं और चारदीवारी में बंद रहने की बात भूल जाते हैं। अब हम स्पोर्ट्स डे मना रहे हैं। इसमें आप मैदान और बॉल की कल्पना ही कर सकते हैं लेकिन हम बच्चों को पहले ही बता देते हैं कि कल क्या करेंगे ताकि वे तैयार रहें। हम उन्हें इनडोर गेम्स खिलवाते हैं। बच्चे बातें करना चाहते हैं।

बच्चों को पूरा समय देती हू: पैरेंट नीलम ठाकुर ने बताया कि इन दिनों मेरे बच्चों को कोरोना की बहुत जानकारी हो गई है। हमने उन्हें खूब समझाया है। अब वे मेरी बात मान लेते हैं। जबरदस्ती नहीं करनी पड़ती। मैं उनके साथ खेलती हूं, कार्टून देखती हूं। घर में ही हम फुटबॉल भी खेल लेते हैं। हाउसवाइफ हूं और उनको पूरा समय देती हूं। उनकी बात को पूरा सुनती हूं, अपनी बात कहती भी हूं। इसलिए वे संतुष्ट रहते हैं। शाम छह बजे के बाद हम मिलकर होमवर्क करते हैं और क्लास की बातें डिस्कस करते हैं। इससे बच्चों का लगाव बना रहता है। पढ़ाई में उनकी रुचि बनी रहती है।

दुविधा, असुरक्षा और अनिश्चितता: स्‍टूडेंट क्षितिज कुमार ने बताया कि हमें सीधे अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया गया है। मुझे डर लग रहा है कि हमारी पढ़ाई का क्या होगा। ग्यारहवीं कक्षा बहुत महत्वपूर्ण होती है। इसे बारहवीं और करियर विकल्पों की आधार कक्षा माना जा सकता है। अब हम परेशान हैं कि हमें अपनी ड्रीम स्ट्रीम मिलेगी या नहीं। बहुत मुश्किल हो रहा है। असुरक्षा का भी भाव है और अनिश्चितता भी महसूस कर रहे हैं। हम बच्चों ने दसवीं में अच्छे नंबर लाने के लिए बहुत मेहनत की थी। अब हमें बोर्ड ही प्रमोट करेगा। जो नंबर या ग्रेड मिलेगा, उससे हमें निराशा ही मिलेगी। हाल-फिलहाल स्थितियां तो बदलने वाली नहीं हैं। हमें ही एडजस्ट करना पड़ेगा। हां, इस समय हमें समय मिल रहा है तो हम अपने दूसरे शौक को समय दे सकते हैं। हमारा ऑनलाइन सिस्टम इतना डेवलप नहीं है कि सब बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल पाए। सब बच्चों के पास अच्छे फोन या कंप्यूटर नहीं होते। वाइ-फाइ कनेक्शन नहीं होते। मैं खुद रोज के ज़ीबी डेटा पर ही क्लास करता हूं। कई बार कनेक्शन हो ही नहीं पाता। कई बार व्यस्त रहता है तो कई बार कनेक्शन होता ही नहीं। हालांकि हमारे टीचर सहयोग कर रहे है।

बच्चों को रखें तनावमुक्त: हमने बच्चों के साप्ताहिक टेस्ट को ऑब्जेक्टिव कर दिया है और छोटे बच्चों को पीडीएफ में वर्कशीट दी है। ज्यादा होमवर्क और असाइनमेंट देने से बेहतर हम आठवीं से बारहवीं के बच्चों के लिए तीन अध्याय का वीडियो लेक्चर बना रहे हैं। पहले बच्चे कक्षा में पढ़ाए गए पाठ को उसी समय देख-सुन पाते थे लेकिन अब वे उन्हें दोबारा या कितनी बार भी देख पा रहे हैं। हमारी एप भी है। हमारे पास करीब एक हजार रिकॉर्डेड लेक्चर हैं। अब अगर ऑफ लाइन पढ़ाई शुरू भी होगी तो भी हम इस व्यवस्था को रोकेंगे नहीं। हम ऑनलाइन कक्षा के बीच भी बच्चों को समय देते हैं। पहले पीरियड में हम बच्चों को प्राणायाम करवाते हैं। रिकॉर्डिंग के साथ मेडिटेशन करवाते हैं। इससे बच्चा तनावमुक्त रहता है। छोटे बच्चे हों तो पैरेंट्स को उनसे आंख में आंख मिलाकर बात करनी चाहिए और उन्हें छूकर प्यार करना चाहिए। मेरे विचार से बच्चों को इन बातों का पालन करना चाहिए :

  • बच्चों को तनावमुक्त रखने का प्रयास करें
  • घर में रहकर प्रणायाम करें। स्ट्रेस हारमोन कम बनेगा
  • एक समय तय कर लें और उस समय पर परिवार के साथ बात करें
  • निगेटिव सोच से दूर रहें
  • अपना मूल्यांकन खुद करें। अपनी मजबूती और कमजोरियों को समझें
  • अपनी स्ट्रेंथ के अनुरूप ही विषय लें
  • क्रिएटिव काम करें। टीवी और हर समय स्क्रीन देखना आपको तनाव दे सकता है
  • आंखों की एक्सरसाइज जरूर करें। हर बीस मिनट के बाद पंद्रह-बीस सेकंड तक छत के
  • किनारे को देखें
  • सात घंटे की नींद लें
  • घर के किसी कोने में जॉगिंग जैसी एक्सरसाइज कर लें
  • संतुलित डाइट लें। प्रोटीन डाइट पर फोकस करें। कार्बोहाइड्रेट कम लें
  • तरल पदार्थ ज्यादा लें

[नोएडा के जागरण पब्लिक स्कूल प्रिंसिपल डॉ. डी. के. सिन्हा]


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.