योग संघर्ष के साथ जीवन जीने की कला सिखाता
डीयू के कालिंदी कॉलेज में तैनात शारीरिक शिक्षा विभाग की निदेशक डॉ सुनीता शर्मा योग को जीवन पद्धति का अहम हिस्सा मानती हैं।
नई दिल्ली (गौतम कुमार मिश्र)। आज के भागदौड़ और तनाव भरे जीवन में लोगों को अगर किसी चीज की सबसे ज्यादा जरूरत है तो वह है मानसिक शांति की। तनाव की वजह से वह असमय कई बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में योग एक मात्र ऐसा माध्यम है, जिसके सहारे वह खुद को स्वस्थ रख सकते हैं। डीयू के कालिंदी कॉलेज में तैनात शारीरिक शिक्षा विभाग की निदेशक डॉ सुनीता शर्मा योग को जीवन पद्धति का अहम हिस्सा मानती हैं।
उनका मानना है कि अनुशासन, संयम, तनाव नियंत्रण सहित अनेक ऐसे फल हैं जो नियमित तौर पर योगाभ्यास करके हासिल किया जा सकता है। सुनीता ने योग के माध्यम से पहले खुद अपने जीवन में इन बातों को महसूस किया, फिर दूसरों को भी योग के लिए प्रेरित करना शुरू किया।
जनकपुरी व दिल्ली कैंट से सटे नांगलराया गांव की सुनीता आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है। पिछले डेढ़ दशक से वह समाज को शिक्षा के साथ-साथ योग के प्रति भी जागरूक कर रही हैं। सुनीता कहती हैं कि योग आपको संघर्ष के साथ जीवन जीने की कला सिखाता है।
मुश्किल से मुश्किल हालात से लड़ने का हौसला देता है। सबसे बड़ी बात आपके अंदर के एकाकीपन को यह दूर करता है। मैंने अपर्नी जिंदगी में खूब संघर्ष किया। एक वक्त ऐसा भी आया जब मेरे पास सिर्फ दो जोड़ी कपड़े थे। लेकिन मैंने कभी हार नहीं मानी। योग मेरे भीतर की उर्जा को हमेशा जगाए रखता था।
करीब डेढ़ दशक पहले मैंने सोचा कि क्यों न योग से अपने आसपास रहने वाले लोगों को भी जोड़ा जाए। सफर शुरू हुआ और आज हजारों लोग इस सफर का हिस्सा बन चुके हैं। एक स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए जरूरी है कि बचपन से ही योग की आदत डाली जाए।
यही वजह है कि सुनीता अपने आसपास रहने वाले बच्चों व किशोरों को योग से जोड़ रही हैं। इसके लिए वह समय-समय पर योग शिविर का आयोजन करती हैं।
मिलती है आगे बढ़ने की सीख
सुनीता कहती हैं कि योग जीवन में हमेशा आगे बढ़ने की सीख देता है। आपके जीवन को संतुलित बनाता है। जब विद्यार्थी मुझसे पूछते हैं कि धारणा क्या है, तो मैं उन्हीं की भाषा में उन्हें समझाने की कोशिश करती हूं। मसलन आपको पढ़ाई में एक विषय का चयन करना है। जब आप तमाम उहापोह से गुजरते हुए एक विषय का चयन कर लेते हैं तो यह धारणा है। जब उस विषय को पूरी तन्मयता से पढ़ते हैं तो यह ध्यान है और जब आप लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं तो वह समाधि है।