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येलो अलर्ट ने दिहाड़ी मजदूरों के बिगाड़े हालात, रोजीरोटी की तलाश में निकलने वाले हो रहे मायूस

पहले प्रदूषण से लगी रोक ने रोजी-रोटी छिनी और अब एक बार फिर कोरोना मजदूरी पर असर डाल रहा है। लोगों ने कोरोना संक्रमण के खतरे को देख काम पर बुलाना भी कम कर दिया है। यह कहना है चांदनी चौक पर काम की तलाश में बैठे बिट्टू का।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Fri, 31 Dec 2021 03:05 PM (IST)Updated: Fri, 31 Dec 2021 03:05 PM (IST)
येलो अलर्ट ने दिहाड़ी मजदूरों के बिगाड़े  हालात, रोजीरोटी की तलाश में निकलने वाले हो रहे मायूस
अब एक बार फिर कोरोना मजदूरी पर असर डाल रहा है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। सुबह नौ से बैठा हुआ हूं, लेकिन आधा दिन बीत जाने के बाद भी काम नहीं मिला और अब उम्मीद नहीं नजर आती। लोगों ने कोरोना संक्रमण के खतरे को देख काम पर बुलाना भी कम कर दिया है। यह कहना है चांदनी चौक पर काम की तलाश में बैठे बिट्टू का। वह निर्माण कार्यों में ईंट उठाने का काम करते हैं। वह कहते हैं कि पहले प्रदूषण से लगी रोक ने रोजी-रोटी छिनी और अब एक बार फिर कोरोना मजदूरी पर असर डाल रहा है।

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राजधानी में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं। जिससे संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए लगाई जा रही पाबंदियों ने मजदूरों की चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में मजदूरों की रोजी-रोटी पर संकट मंडराने लगा है। मजदूरों ने बताया कि कोरोना की मार सबसे पहले हमारे ऊपर पड़ रही है। दूसरे लाकडाउन के दौरान अपने साथ हुई परेशानी को याद करते हुए रमेश ने बताया कि काम पहले से कम है। ऐसे में इन पाबंदियों की वजह से हमारा काम धीरे-धीरे ठप हो जाएगा। जो लोग पहले काम पर बुला भी रहे थे, उन्होंने भी अब काम पर बुलाना बंद कर दिया है।

वह कहते हैं कि उस वक्त खाने के लिए गुरूद्वारा, मंदिरों के चक्कर काट रहे थे। यह सब बताते हुए उनकी आंखें भर आती हैं। कोरोना को रोकने के लिए सरकार को जो करना है करे, लेकिन हम मजदूरों के खाने की व्यवस्था जरूर करे। वरना हम लोगों को सड़कों पर भूखा सोना होगा। बिट्टू और रमेश की तरह हजारों मजूदरों को कोरोना के बढ़ते मामलों के देख लाकडाउन लगने की आशंका सता रही है। चांदनी चौक पर ही हाथ पर हाथ लिए मायूस बैठे मजदूरों ने बताया कि कई लोग वापस गांव जाने की तैयारी कर रहे हैं। अगर हालात और बिगड़े तो खाने का भी संकट सामने आ सकता है।

मजदूरों ने कहा कि वह उस दौर में नहीं जाना चाहते हैं। राज मस्त्री का कार्य करने वाले विरेंद्रर ने बताया कि अभी बीच में काम भी मिलना शुरू हुआ था। जिससे थोड़ा बहुत घर का खर्च चल ही रहा था, लेकिन अब पाबंदियां लगने से लोग कोरोना के डर से हम लोगों को नहीं बुला रहे हैं। जिससे घर का खर्च चलाना मुश्किल लग रहा है। वह कहते हैं घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं, उन्हें कहां लेकर जाएगें। अगर कुछ नहीं मिला तो गांव की ओर वापस जाना होगा।


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