रेसलर दे रहा विश्व शांति का संदेश, 32 देशों की यात्रा कर कहा- मिल रहा लोगों का प्यार
दंगल में विरोधी से दो-दो हाथ कर उन्हें पटखनी देने वाले रेसलर लाभांशु शर्मा अब विश्व शांति का संदेश देने निकल पड़े हैं।
नई दिल्ली [शिप्रा सुमन]। दंगल में विरोधी से दो-दो हाथ कर उन्हें पटखनी देने वाले रेसलर लाभांशु शर्मा अब विश्व शांति का संदेश देने निकल पड़े हैं। एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत देश का नाम रोशन करने के बाद अब उनका मकसद शांति और भाईचारे का पैगाम देना है। इसके लिए उनहोंने अब तक 32 देशों की यात्रा पूरी कर ली है। इस वर्ष 2 अगस्त को उन्होंने विश्व शांति यात्रा की शुरुआत की थी, जो 5 अक्टूबर को समाप्त हुई। उन्होंने 62 दिनों में 28 हजार किलोमीटर का सफर तय किया है। अलग-अलग भाषा और संस्कृति वाले लोगों को उन्होंने शांति का पाठ पढ़ाया। हाथों में तिरंगा थामे सड़क के रास्ते शांति का संदेश लिए वह पूरे विश्व में हिंदुस्तान का प्रतिनिधित्व करते रहे। इस यात्रा की तैयारी वह बीते कई वर्षों से कर रहे थे। अब लाभांशु अपनी इस यात्रा को सौ देशों तक पहुंचाना चाहते हैं, जिसमें कनाडा, आस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देश शामिल हैं।
राजदूतों ने किया स्वागत
मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले इस युवा खिलाड़ी ने राजधानी के छत्रसाल स्टेडियम में पहलवान सुशील कुमार की देखरेख में पहलवानी की बारीकियों को सीखा है। पहलवान लाभांशु उन युवा खिलाड़ियों में से हैं, जिन्हें देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और तीनों सेना के प्रमुखों से सम्मान प्राप्त हुआ। इस होनहार खिलाड़ी के पदकों की सूची भी लंबी है।
कहा- सभी करते हैं स्वागत
लाभांशु ने बताया कि शांति यात्रा के दौरान कई देशों में मौजूद भारतीय राजदूतों ने भी उनका स्वागत किया। इस दौरान उनके स्वागत को लेकर कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। इस दौरान वह विदेश में रह रहे भारतीय समुदाय के लोगों से भी मिले और अपनी यात्रा के उद्देश्य के बारे में उन्हें बताया। कई बार उनकी गाड़ी पर लगे तिरंगे और भारतीय नंबर देख वहां रहने वाले भारतीय उनसे मिलने पहुंच जाया करते थे।
इन देशों में किया सफर
नेपाल, तिब्ब्त, चीन, उजबेकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिजस्तान, रूस, लातविया, लिथुआनिया, पोलैंड, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, चेक रिपब्लिक, नॉर्वे, डेनमार्ग, लक्सेमबर्ग, स्वीडेन, जर्मनी, स्वीडजरलैंड, फ्रांस, आस्ट्रीया, बेल्जियम, वेल्स, स्कॉटलैंड, आयरलैंड, इस्टोनिया, ग्रीस, इटली, फीनलैंड, पुर्तगाल, स्पेन और यूनाइटेड किंगडम की यात्रा कर चुके हैं।
मां से मिलती है प्रेरणा
लाभांशु की प्रेरणास्रोत उनकी मां हैं, जो दिल्ली पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। 11वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने वर्ष 2011 में कुश्ती की शुरुआत की थी। पहली बार उन्होंने दिल्ली के जामा मस्जिद के अखाड़े में आयोजित दंगल में भाग लिया और जीत हासिल की। उस वक्त उन्हें सिर्फ 11 रुपये और एक बनियान पुरस्कार के तौर पर मिला था। उसके बाद कई उपलब्धि उन्हें प्राप्त हुई।