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World Environment Day 2020: जेएनयू के जलाशय को उबारेंगे छात्र, बनाई गई योजना

World Environment Day 2020 छात्रों ने योजना बनाई है कि इस वर्ष पर्यावरण दिवस के अवसर पर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेते हुए संस्थान की खूबसूरती को फिर से कायाकल्प किया जाएगा।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 09:18 AM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 09:18 AM (IST)
World Environment Day 2020: जेएनयू के जलाशय को उबारेंगे छात्र, बनाई गई योजना
World Environment Day 2020: जेएनयू के जलाशय को उबारेंगे छात्र, बनाई गई योजना

नई दिल्ली [राहुल मानव]। World Environment Day 2020: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के सूखे पड़े जलाशय को फिर से संवारने के लिए विश्वविद्यालय के छात्रों की तरफ से तैयारी शुरू की जा रही है। इसके लिए छात्रों ने योजना बनाई है कि इस वर्ष पर्यावरण दिवस के अवसर पर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेते हुए संस्थान की खूबसूरती को फिर से कायाकल्प किया जाएगा। प्रशासन से भी इस मामले में बातचीत की जाएगी।

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पिछले वर्ष जब भीषण गर्मी पड़ने के कारण कैंपस में मौजूद जानवर पानी के संकट से जूझ रहे थे, तब पूरे कैंपस में प्रत्येक छात्र से 10 रुपये इकट्ठा करते हुए एक हजार लीटर के 10 पानी के बड़े सीमेंट से बने हुए छोटे टैंकर को स्थापित किया गया था। अब संस्थान के छात्रों की तरफ से कैंपस के जलाशय को पुन: नया रूप देने का बीड़ा उठाया गया है।

इस बारे में जेएनयू के स्कूल ऑफ सोशल साइंस के पीएचडी के छात्र शुभ गुप्ता ने बताया कि पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य पर हमारी इस पूरे वर्ष योजना रहेगी कि कैंपस में मौजूद छह जलाशयों को फिर से एक बेहतर रूप में ढाला जाएगा। यह सभी जलाशय सूख चुके हैं। यह जल कुंभी में तब्दील हो चुके हैं। जल कुंभी, पानी में तैरने वाला एक प्रकार का पौधा होता है। यह धीरे-धीरे पानी की सारी ऑक्सिजन को सौंख लेता है। अभी जेएनयू के जलाशय में इसने ऐसा ही किया है। अब हम इसको हटाएंगे और विश्वविद्यालय में फिर से इसको संवारेंगे।

पर्यावरण के प्रति नजरीया बदलना होगा

कोरोना संकट में मनुष्य जाति के सामने कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं। जिसमें हम यह समझ पाए हैं कि हमें जीवन जीने की पद्धति को लेकर खुद को बदलना होगा। साथ ही पर्यावरण के प्रति और भी ज्यादा सजग होना पड़ेगा। छह साल पहले तक जेएनयू के जलाशय में काफी पानी हुआ करता था। लेकिन यह सूख चुके हैं। कोरोना संकट के बाद अब हमें अपनी जीवन जीने की शैली को बदलना होगा। पु्न: मनुष्यों को विचार करना होगा कि कैसे पानी, पर्यावरण, प्राकृतिक धरोहरों, जानवरों का समंव्य स्थापित किया जाएगा।

पिछले वर्ष सीमेंट के पानी के टैंकर को स्थापित करने के लिए संस्थान के पर्यावरणविद डॉ. अमित मिश्रा के नेतृत्व हमें स्टूडेंट्स फॉर डिवेलपमेंट (छात्रों के संगठन) की तरफ से कार्य किया गया था। पिछले वर्ष भी हमारी संस्थान के जलाशयों को फिर से संवारने के लिए योजना बनाई गई थी, लेकिन विभिन्न अकादमिक मामलों के कारण वह योजना पटल पर नहीं पहुंच सकी थी। लेकिन इस वर्ष हम इस पर बेहतर ढंग से मेहनत करेंगे। 


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