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World Bicycle Day 2020: वक्त का बदला मिजाज तो साइकिल बनी पहली पसंद

विकासपुरी निवासी अमित त्यागी लॉकडाउन के दौरान में आस-पास के कार्यो के लिए साइकिल की सवारी को तवज्जो देने लगे।

By Mangal YadavEdited By: Published: Wed, 03 Jun 2020 11:18 AM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2020 11:18 AM (IST)
World Bicycle Day 2020: वक्त का बदला मिजाज तो साइकिल बनी पहली पसंद
World Bicycle Day 2020: वक्त का बदला मिजाज तो साइकिल बनी पहली पसंद

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण पूरे देश में लॉकडाउन लगने के बाद काफी कठिनाइयां दिखाई दीं। लेकिन इन सबके बीच हमने कुछ अच्छा भी देखा। नीला गगन, चिड़ियों की चहचहाहट, शुद्ध हवा हमें इस बात का अहसास करा रही थी कि अगर प्रदूषण पर लगाम लगे तो ये दुनिया काफी खूबसूरत है। लॉकडाउन में ढील दी गई और धीरे-धीरे प्रदूषण का स्तर पुराने रौ में नजर आने लगा, लेकिन इन सबके बीच कई ऐसे लोग हैं जो पर्यावरण संरक्षण व स्वास्थ्य का खयाल रखते हुए कार से उतरकर साइकिल की सवारी का आनंद ले रहे हैं।

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कई ऐसे भी लोग दिखे जो लॉकडाउन के दौरान साइकिल से ही कई सौ किलोमीटर दूर की सवारी करने लगे। जब बस और ट्रेन बंद रही तो साइकिल ही लोगों की सहारा बनी। 

विकासपुरी निवासी अमित त्यागी लॉकडाउन के दौरान में आस-पास के कार्यो के लिए साइकिल की सवारी को तवज्जो देने लगे। अमित बताते हैं कि मैं अपनी पत्नी प्रतिभा व बेटी के साथ रोजाना सुबह साइकिल चलाता हूं। इससे एक तरफ तंदुरुस्त रहने में सहायता मिलती है तो वहीं हम दूसरों को भी इस दिशा में प्रेरित करते हैं। इतना ही नहीं, अगर हमारे घर में किसी सामान की जरूरत होती है तो मेरी पत्नी साइकिल से ही बाजार जाती हैं ।

साइकिल की बिक्री में आई तेजी

लॉकडाउन से पहले व अभी के समय की तुलना करें तो लोगों का रुझान पहले के मुकाबले अब साइकिल की ओर ज्यादा आया है। साइकिल विक्रेता रोहित ने बताया कि लॉकडाउन-4 के दौरान जब दुकानें ऑड-इवन में खुलने लगीं तो साइकिल की बिक्री पहले की अपेक्षा ज्यादा होने लगी। यहां पर बच्चों के साथ-साथ बड़े भी साइकिल की खरीदारी करने आ रहे हैं। इस दौरान कई तरह की साइकिल लोगों के लिए उपलब्ध है। एक बैट्री वाली साइकिल है जिसे एक बार चार्ज करने पर आसानी से 25 किलोमीटर का सफर तय कर सकते हैं।

साइकिल से नापते हैं शहर-शहर, बाजार-दफ्तर

साइकिल जानदार सवारी है, न डीजल फूंकता है न पेट्रोल। सर्विसिंग में भी मोटा खर्च की जरूरत नहीं। साथ में पर्यावरण व स्वास्थ्य हितैषी। साइकिल से पास के बाजार से राज्यों की सीमाओं को भी लांघा जा सकता है। हल्की है तो कंधे पर टांग साइकिल को ही सवारी कराने लग गए। हैलीपोर्ट-कैनाल राइडर्स के 250 से अधिक सदस्य यहीं करते हैं। सदस्यों के लिए साइकिलिंग एक जुनून की तरह है।

इसके लिए मोबाइल का बिजनेस करने वाले मनीष पुरी ने साइकिलिंग को बढ़ावा देने वाली कंपनी में नौकरी करना चुना। तो कारोबारी सचिन हर रोज साइकिल करते हुए लंबे सफर पर निकल जाते हैं और ऐसी जगहें तलाशते हैं जो आम दिल्ली वालों की नजरों से अभी तक ओझल हैं।

हैलीपोर्ट-कैनाल राइडर्स से जुड़े लोगों में कई तरह के लोग

हैलीपोर्ट-कैनाल राइडर्स से जुड़े लोगों में अध्यापक, चार्टर्ड अकाउंटेंट, नौकरी पेशा, चिकित्सक और उद्यमी हैं। कई महिला राइडर्स भी हैं। जिन्होंने साइकिल से उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों के शहरों को नापा है और लोगों को यह स्पष्ट संदेश दे रहे हैं कि हौसला हो तो साइकिल के पैडल से पूरी दुनियां नापी जा सकती है। शरीर को स्वस्थ रखने के साथ पर्यावरण को साफ-सुथरा रखने में साइकिल से बढ़िया कोई और उपाय नहीं।

अधिकतर सदस्य रोहिणी व पीतमपुरा इलाके के हैं और अपने व्यस्त समय में से साइकिलिंग के लिए रोजाना कुछ घंटे जरूर निकाल लेते हैं। सचिन कहते हैं कि ऐसा कभी नहीं हुआ है कि इसके लिए कभी जबरदस्ती उठना पड़ा है। भोर में 4 बजे नींद अपने आप खुल जाती है और 5.30 तक वह साइकिल उठाकर नई जगहों की तलाश में निकल पड़ते हैं। वैसे भी भोर या अल सुबह दिल्ली के गांव शिमला मंसूरी से कम थोड़ी न लगते हैं। मनीष पुरी बताते हैं कि साइकिलिंग के साथ वह लोग खाली स्थानों पर पौधे लगाने पर भी जोर देते हैं ताकि धरती को अगली पीढ़ी के लिए भी रहने लायक बनाया जा सकें।


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