एम्स को विश्वस्तरीय बनाने की योजना पर जल्द शुरू होगा काम
एम्स(Aiims) को विश्वस्तरीय मेडिकल विश्वविद्यालय बनाने की योजना में यहां कार्यरत चिकित्सक खासतौर पर भागीदार होंगे।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। एम्स(Aiims) को विश्वस्तरीय मेडिकल विश्वविद्यालय बनाने की योजना में यहां कार्यरत चिकित्सक खासतौर पर भागीदार होंगे। इस प्रयास में संस्थान के डॉक्टरों व एम्स फैकल्टी एसोसिएशन, आरडीए (रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन) जैसे संगठनों के सुझाव अहम होंगे। यही वजह है कि एम्स प्रशासन ने संस्थान में उपलब्ध सुविधाओं व भविष्य की जरूरतों पर सर्वे शुरू किया है। इसके लिए डॉक्टरों से सुझाव मांगे गए हैं। इसलिए डॉक्टरों से कुछ अहम सुझाव मिलने पर उसे एम्स मास्टर प्लान में शामिल किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 10 हजार 345 करोड़ की लागत से एम्स के मास्टर प्लान की योजना को मंजूरी दी है। इसके तहत अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार के साथ-साथ एम्स को मेडिकल शिक्षा में सुधार के लिए विश्वस्तरीय मेडिकल विश्वविद्यालय के रूप में विकसित किया जाना है। साथ ही डॉक्टरों के लिए करीब चार हजार आवासीय फ्लैट बनाए जाने हैं।
एम्स विभागीय स्तर पर सर्वे कर रहा है। इसके तहत सभी विभागों के डॉक्टरों से ओपीडी के लिए उपलब्ध कमरे, डे-केयर की सुविधा, लैब, विभिन्न विभागों के लिए अस्पताल में उपलब्ध बेड, आइसीयू बेड, ऑपरेशन थियेटर (ओटी), मेडिकल के छात्रों के लिए प्रयोगशाला, रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए कमरे, सभागार, उपलब्ध डॉक्टरों व कर्मचारियों की संख्या इत्यादि की जानकारी मांगी गई है। एम्स प्रशासन के अनुसार, संस्थान को अगले 30 साल की जरूरतों के अनुसार विकसित किया जाना है।
यह है योजना: मौजूदा समय में एम्स में कुल 2478 बेड हैं। एम्स मास्टर प्लान के अनुसार, इसमें 3000 अतिरिक्त बेड बढ़ जाएंगे। मेडिकल शिक्षा व शोध में सुधार के लिए अत्याधुनिक सुविधा से संपन्न शैक्षणिक व शोध ब्लॉक बनेगा। जिसमें रोबोटिक सिम्युलेशन लैब, डिजिटल लाइब्रेरी, सुपर स्पेशियलिटी रिसर्च लैब, व्याख्यान हॉल, हाईटेक क्लास रूम, सभागार व इवेंट सेंटर इत्यादि की सुविधा होगी। इसका निर्माण अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होगा। इसके अलावा संस्थान में पैदल चलने वालों व वाहनों के लिए अलग कॉरिडोर की सुविधा होगी।
मरीजों का है भारी दबाव
एम्स में मरीजों का भारी दबाव है। हर साल करीब 41 लाख मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। इस वजह से संस्थान में सुविधाएं कम पड़ रही हैं। इसका असर शोध कार्य पर भी पड़ रहा है। यही वजह है कि एम्स को भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर विकसित किया जाना है।
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