Heroes of Delhi violence: मंदिर में शरण देकर महिलाओं ने मुस्लिम परिवार की बचाई जान
Heroes of Delhi violence वाहनों दुकानों और घरों को दंगाइयों ने आग के हवाले कर दिया। लेकिन इस बीच एकता और भाईचारे की मिसाल कायम करती कुछ कहानियां भी सामने आने लगी है।
नई दिल्ली [पुष्पेंद्र कुमार]। Heroes of Delhi violence: राजधानी के उत्तर-पूर्वी इलाके में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के मुद्दे पर बीते दिनों काफी हिंसा देखने को मिली। दो गुटों के बीच शुरू हुआ विवाद कब सांप्रदायकि बन गया, किसी को पता हीं नहीं चला। इस दौरान काफी मात्रा में तोडफ़ोड़ और आगजनी की बहुत सी घटनाएं सामने आई। वाहनों, दुकानों और घरों को दंगाइयों ने आग के हवाले कर दिया। लेकिन इस बीच एकता और भाईचारे की मिसाल कायम करती कुछ कहानियां भी सामने आने लगी है। जिनमें मंगलवार को गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल से पति के साथ लौट रही गर्भवती महिला के परिवार की कुछ महिलाओं ने मंदिर में शरण देकर दंगाइयों से जान बचाई।
सादतपुर विस्तार निवासी तारा नेगी ने बताया कि मंगलवार को हिंसा के दौरान करावल नगर पुश्ता रोड पर लोनी की ओर जा रहे वाहनों को दांगाई हाथों में डंडे लेकर तोडफ़ोड़ कर वाहनों को आग के हवाले कर रहे थे। क्षेत्र में चारों तरफ आग की लपटे व धुआं उठ रहा था, मकान व दुकाने धू-धू कर जल रहे थे। इसी बीच दंगों के दौरान एक मुस्लिम परिवार हिंसक भीड़ के सामने आ गया। जहां दंगाइयों ने उनकी मोटर साइकिल को आग में झोंक दिया और गर्भवती महिला के पति के साथ मारपीट करने लगे। जान बचाने के लिए पीड़ित परिवार दंगाइयों के बीच से निकलकर कॉलोनी में गौरी शंकर मंदिर की ओर भाग आए।
कॉलोनी में कुछ महिलाओं ने पीड़ित गर्भवती महिला, पति व दो साल के बेटे को मंदिर में बंद कर दंगाइयों से बचाया। साथ ही नेगी ने बताया कि इस हादसे के दौरान पीड़ित मुस्लिम परिवार पूरी तरह डर गया। दंगाईयों से बचाने के लिए पीड़ित मुस्लिम परिवार का नाम नहीं जान पाए, बस इतना ही पता चला था कि वह करावल नगर इलाके में रहते है।
महिला नौ महीने की गर्भवती थी और डॉक्टरों ने जांच के लिए मंगलवार को जीटीबी अस्पताल में बुलाया था। तरीख के अनुसार महिला अस्पातल में जांच के लिए गई थी। क्षेत्र की सभी महिलाओं ने अपनी जान की परवाह न करते हुए दंगाइयों से करीब चार घंटे पीडि़त परिवार को सुरक्षित रखा। जब महौल शांत नहीं हुआ तो दंगाइयों से जान बचाने के लिए पुलिस को फोन कर मदद मांगी। फोन करने के बाद पुलिस मौके पर आ गई, जहां महिलाओं ने पीडि़त परिवार को पुलिस के हाथ में सुरक्षित सौंप दिया। इंसानियत की मिसाल पेश करने वाला यह वाकया लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है और लोग कह रहे हैं कि यही तो असली हिंदुस्तान है, जहां मदद के लिए धर्म नहीं देखा जाता है।