वेव थेरेपी से पांच साल बाद अपने पैरों पर चलीं फरजाना, अब जी सकेंगी सामान्य जीवन
फरजाना के पति सिराज अली ने बताया कि पिछले पांच सालों से पूरा परिवार बीमारी को लेकर चिंतित था। बीमारी के कारण फरजाना चल नहीं पा रहीं थीं।
नोएडा [मोहम्मद बिलाल]। दुनिया में लाइलाज मानी जाने वाली बीमारी पार्किसन से पीड़ित एक मरीज को औषधीय पौधों की नर्व सेल्स से सामान्य स्थिति में लाकर नोएडा के चिकित्सक ने पैरों पर खड़ा कर दिया है। मूलरूप से गुजरात की अहमदाबाद निवासी फरजाना पिछले पांच वर्षों से पेसमेकर के सहारे जी रहीं थीं, लेकिन वेव थेरेपी देने वाले सेक्टर-19 स्थित डॉ. एसके पाठक ने न सिर्फ मरीज को अपने पैरों पर खड़ा कर दिया, बल्कि शरीर में लगे पेसमेकर को बंद कर दिया।
हालत में कोई सुधार नहीं हुआ
फरजाना सिराज अली (34) पार्किसन से पीड़ित हैं। पति सिराज अली ने बताया कि बीमारी का पता चलने के बाद उन्होंने अहमदाबाद के सभी बड़े अस्पतालों में पत्नी को दिखाया, लेकिन सभी ने इसका कोई इलाज मौजूद न होने की बात कहकर आगे का उपचार दे सकने में असमर्थता जाहिर की। इसके बाद इलाज के लिए हैदराबाद ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने डीबीएस सर्जरी के बाद मरीज को पेसमेकर लगाकर पार्किसन की दवाएं खिलाने को बोला। कई वर्षों तक दवाओं के सहारे रहीं, जिसमें 20 से 25 लाख रुपये खर्च हो गए, लेकिन हालत में कोई सुधार नहीं हुआ।
नहीं बन पा रहा था डोपामाइन रसायन
इसी बीच एक दिन इंटरनेट पर डॉ. एसके पाठक की जानकारी हुई। इसके बाद अन्य डॉक्टरों से सलाह लेकर यहां पहुंचे, जहां वेव थेरेपी देने के महज 2 घंटे बाद ही फरजाना अपने पैरों पर चलने लगीं, जबकि पिछले पांच वर्षों से उनके लिए बिना किसी सहारे के चलना मुश्किल था। इलाज करने वाले डॉ. एसके पाठक ने बताया कि मरीज में डोपामाइन रसायन नहीं बन पा रहा था। इसके लिए इलाज कर रहे डॉक्टरों ने उनके ब्रेन से हार्ट तक एक पेसमेकर लगाया था, जिसके बिना मरीज चल नहीं सकता था। लेकिन वेव थैरेपी देने के बाद मरीज को पेसमेकर और दवाएं बंद कर दी गई हैं और वह आज आसानी से चल सकती हैं।
अपने पैरों पर चल रही हैं फरजाना
फरजाना के पति सिराज अली ने बताया कि पिछले पांच सालों से पूरा परिवार बीमारी को लेकर चिंतित था। बीमारी के कारण वह चल नहीं पा रहीं थीं। सबसे ज्यादा दिक्कत उन्हें नहलाने और खिलाने-पिलाने में होती थी। लेकिन वेव थेरेपी देने के 2 घंटे बाद ही सुधार देखने को मिला। थेरेपी के बाद वह अपने पैरों पर चल रही हैं।
कोशिकाएं मृत हो जाती हैं
डॉ. एसके पाठक ने बताया कि इस बीमारी में कोशिकाएं मृत हो जाती हैं, जिसे जिंदा करने का कोई तरीका दुनिया में मौजूद नहीं है। लेकिन वेव थेरेपी के द्वारा हम वाहक कोशिकाओं के जरिये पहले मैग्नेट को चार्ज करते हैं। फिर तरंगों को प्रभावित अंगों में प्रवाहित कराते हैं, इससे मृत कोशिकाएं जिंदा होने लगती हैं। रक्त प्रवाह फिर सुचारु हो जाता है, जिसके बाद मरीज सामान्य जीवन जीने लगता है।