Move to Jagran APP

डिजिटल मेंटल हेल्थ सेंटर विकसित होने से भारत के गांव-गांव के लोगों को मिलेगा बेहतर इलाज

डाक्टरों ने कहा कि कम खर्च में डिजिटल मेंटल हेल्थ सेंटर विकसित कर गांवों व छोटे शहरों में ही मानसिक बीमारियों का इलाज उपलब्ध कराया जा सकता है। बड़े शहरों में बैठकर ही डाक्टर आनलाइन मरीज का इलाज कर सकते हैं।

By Prateek KumarEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 04:50 PM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 04:50 PM (IST)
डिजिटल मेंटल हेल्थ सेंटर विकसित होने से भारत के गांव-गांव के लोगों को मिलेगा बेहतर इलाज
मानसिक रोगियों के डिजिटल इलाज पर विचार

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। मानसिक बीमारी से पीड़ित ज्यादातर मरीज अभी इलाज नहीं करा पाते हैं। इसका बड़ा कारण मनोचिकित्सकों व चिकित्सा सुविधाओं की कमी है। कोरोना ने डिजिटल मेंटल हेल्थ केयर के जरिये मानिसक बीमारियों के इलाज के लिए एक नई राह दिखाई है।

loksabha election banner

एम्स के मनोचिकित्सा विभाग की ओर से आयोजित वर्ल्ड एसोसिएशन के सोशल साइकेट्री के तीन दिवसीय एशिया पैसिफिक हाइब्रिड कांग्रेस में डाक्टरों ने कोरोना के कारण बदले हुए परिवेश में मानसिक बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल हो रही नई तकनीकों की चर्चा की।

डाक्टरों ने कहा कि कम खर्च में डिजिटल मेंटल हेल्थ सेंटर विकसित कर गांवों व छोटे शहरों में ही मानसिक बीमारियों का इलाज उपलब्ध कराया जा सकता है। बड़े शहरों में बैठकर ही डाक्टर आनलाइन मरीज का इलाज कर सकते हैं। एम्स के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डा. नंद कुमार ने कहा कि कोरोना के कारण पिछले डेढ़ साल में डिजिटल तकनीक के इस्तेमाल को काफी बढ़ावा मिला। इससे अब इलाज के लिए भी आनलाइन दवाएं लिखी जाने लगीं।

बीमारी को लेकर जागरुकता की कमी

डा. नंद कुमार ने कहा कि मानसिक बीमारियों को लेकर अब भी जागरुकता का अभाव है। देश में करीब 70 फीसद मरीज अपना इलाज नहीं करा पाते। इसका कारण यह है कि मनोचिकित्सक भी ज्यादातर बड़े शहरों व बड़े अस्पतालों में मौजूद हैं। इसलिए मरीज डाक्टरों तक पहुंच नहीं पाते।

मानसिक बीमारियों से पीड़ित ग्रामीण क्षेत्र व छोटे शहरों के मरीजों को 200-250 किलोमीटर सफर तय कर बड़े शहरों के अस्पताल में पहुंचना पड़ता है। इससे मरीजों को आवागमन में भी हजारों रुपये खर्च होते हैं। यदि जिला या ब्लाक स्तर पर एक कमरे में एक कंप्यूटर, स्क्रीन पैनल, डाटा स्टोर करने के लिए साफ्टवेयर और एक प्रिंट्रर की व्यवस्था कर दी जाए तो कम खर्च में इलाज की सुविधा शुरू की जा सकती है। यहां एक प्रशिक्षित कंप्यूटर आपरेटर का होना जरूरी है।

मेंटल हेल्थ फाउंडेशन ने तैयार किया माई होप साफ्टवेयर

डा. नंद कुमार ने कहा कि मेंटल हेल्थ फाउंडेशन ने एक माई होप साफ्टवेयर तैयार किया है, जिसका कई डाक्टर इलाज में इस्तेमाल कर रहे हैं। सीताराम भारतीय अस्पताल के मनोचिकित्सक डा. जितेंद्र जाखड़ ने कहा कि समाज में मानसिक बीमारियों को लेकर कुछ गलत धारणा भी है। ऐसे में मरीजों के लिए आनलाइन इलाज एक बेहतर विकल्प हो सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.