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Kisan agitation Delhi-NCR: क्या शक के घेरे में रहेंगे गुरनाम सिंह चढ़ूूनी, कांग्रेस व अन्य दलों से संबंध भी हैं जगजाहिर

Kisan agitation Delhi-NCR भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी के स्पष्टीकरण के बाद अन्य किसान नेता संतुष्ट हो गए। उनका निलंबन न केवल वापस ले लिया गया बल्कि अब केंद्र सरकार से होने वाली वार्ता में भी वह शामिल होंगे।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 07:52 AM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 08:54 AM (IST)
Kisan agitation Delhi-NCR: क्या शक के घेरे में रहेंगे गुरनाम सिंह चढ़ूूनी, कांग्रेस व अन्य दलों से संबंध भी हैं जगजाहिर
गुरनाम सिंह चढ़ूनी का अतीत राजनीतिक रहा है। उनका कांग्रेस व अन्य दलों से संबंध भी जगजाहिर है।

नई दिल्ली/सोनीपत, जागरण संवाददाता। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन मंगलवार को 55वें दिन में प्रवेश कर गया। दिल्ली-एनसीआर के तकरीबन आधा दर्जन बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसान तीनों बिलों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं। इस बीच कृषि सुधार कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसान संगठनों में राजनीतिक रिश्तों को लेकर विवाद हो गया। सोमवार देर शाम भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी के स्पष्टीकरण और भविष्य में राजनीतिक गतिविधियों में शामिल न होने का भरोसा देने पर अन्य किसान नेता संतुष्ट हो गए। उनका निलंबन न केवल वापस ले लिया गया, बल्कि अब केंद्र सरकार से होने वाली वार्ता में भी वह शामिल होंगे।

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शक के घेरे में रहेंगे गुरनाम सिंह चढ़ूनी

निलंबन वापस लिए जाने के बावजूद गुरना सिंह चढ़ूनी की भूमिका किसान आंदोलन में संदिग्ध रहेगी। किसान नेता मानते हैं कि गुरनाम सिंह चढ़ूनी को माफी देकर समन्वय समिति ने ठीक निर्णय लिया है, लेकिन अभी उन पर ज्यादा विश्वास करना उचित नहीं रहेगा। कारण यह बताते हैं कि गुरनाम सिंह चढ़ूनी का अतीत राजनीतिक रहा है। उनका कांग्रेस व अन्य दलों से संबंध भी जगजाहिर है।

गौरतलब है कि रविवार को गुरनाम सिंह चढ़ूनी पर पहले राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने और कुछ राजनीतिक दलों के संपर्क का आरोप लगा था। उन्हें संयुक्त मोर्चे से निष्कासित करने की मांग होने लगी थी। लेकिन, निष्कासित करने के बजाय जांच के लिए तीन सदस्यों की कमेटी गठित कर दी गई। सोमवार को चढ़ूनी ने संयुक्त किसान मोर्चे की समन्वय समिति को लिखित रूप से सफाई दी है कि वह रविवार को दिल्ली कांस्टीट्यूशन क्लब में कांग्रेस व अन्य राजनीतिक दलों के साथ बैठक में व्यक्तिगत तौर पर गए थे। भविष्य में किसी राजनीतिक गतिविधि में हिस्सा नहीं लेंगे।

रविवार देर शाम से सोमवार देर शाम तक आंदोलन किसानों में चढ़ूनी के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश देखने को मिला। इसलिए निलंबन वापसी से पहले चढ़ूनी सोमवार को पूरे दिन कुंडली बार्डर पर मुख्य मंच से दूर ही रहे। संयुक्त किसान मोर्चे की समन्वय समिति के सदस्य योगेंद्र यादव, डॉ. दर्शनपाल, शिवकुमार शर्मा कक्का जी, हन्नान मौला, जगजीत सिंह दल्लेवाल, बलबीर सिंह राजेवाल ने गुरनाम सिंह चढ़ूनी के निलंबन वापसी से पहले आपस में कई दौर वार्ता की।

प्रतिबंध के बाद भी गए गुरनाम सिंह चढ़ूनी

गुरनाम सिंह चढ़ूनी रविवार को दिल्ली कांस्टीट्यूशन क्लब में संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भी कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दलों की बैठक में गए। मध्य प्रदेश के किसान नेता शिवकुमार शर्मा कक्का जी की अध्यक्षता में हुई संयुक्त मोर्चे की बैठक में शामिल किसान संगठनों ने इसका जबरदस्त विरोध किया। रविवार को ही किसान मोर्च की बैठक थी। चढ़ूनी मोर्चे की बैठक में भी नहीं गए। इसके बाद मोर्चा ने चढ़ूनी के खिलाफ निलंबन जैसी सख्त कार्यवाही को अंजाम दिया। सोमवार सुबह चढ़ूनी ने कक्का जी पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा होने और उन पर मुकदमा करने की धमकी दी। लेकिन, शिव कुमार कक्का जी ने उन्हें अपना मित्र बताते हुए इससे इन्कार कर दिया कि उन्होंने गुरनाम सिंह चढ़ूनी पर कोई आरोप लगाए। दोनों की वीडियो क्लिप भी वायरल हो गई। वहीं, गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने इस आरोप को भी मिथ्या बताया कि वह कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ मिलकर हरियाणा की सरकार को अस्थिर कर रहे हैं। उनपर भाजपा नेताओं ने भी पलटवार किया, मगर कांग्रेस के नेताओं ने इस पूरे विवाद से दूरी बनाए रखी।

वहीं, शिव कुमार शर्मा कक्का जी का कहना है कि संयुक्त मोर्चा की समन्वय समिति ने चढ़ूनी के लिखित आश्वासन के बाद उनका निलंबन वापस ले लिया है। मंगलवार केंद्र सरकार से वार्ता में भी चढ़ूनी हिस्सा लेंगे। यह फैसला छह सदस्यीय समिति में हो चुका है। गुरनाम सिंह चढूृनी ने अपने ऊपर लगे आरोपों के कारण जो कुछ मेरे बारे में कहा, उनको लेकर मैं सिर्फ इतना कहूंगा कि ये उनके संस्कार हैं। मुझे तो गुरनाम सिंह चढ़ूनी से ज्यादा फिलहाल किसान हित दिखाई दे रहे हैं।

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