Delhi Farmers Protest: क्या सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर सड़क की एक-एक लेन खुलेगी?
सिंघु बॉर्डर पर सोनीपत से दिल्ली व टीकरी बॉर्डर पर बहादुरगढ़ से दिल्ली आने और जाने में लोगों को कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ रहा है। इससे खासकर महिलाएं बच्चे व बुजुर्ग को ज्यादा परेशानी हो रही है।
नई दिल्ली [भगवान झा]। नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर किसानों की सहमति से सड़क खुलने के बाद सिंघु व टीकरी बॉर्डर पर भी किसानों की राय बदलने लगी है। कई किसानों का मानना है कि आंदोलन अपनी जगह ठीक है, लेकिन इससे लोगों की परेशानी धीरे-धीरे बढ़ रही है। ऐसे में दोनों बॉर्डरों पर कम से कम एक लेन की सड़क खोलने पर विचार किया जाना चाहिए। इससे आंदोलन भी चलता रहेगा और लोगों को भी परेशानी नहीं होगी। अभी दोनों बॉर्डर पर सैकड़ों की संख्या में ट्रैक्टर व किसान मौजूद हैं। इस कारण सिंघु बॉर्डर पर सोनीपत से दिल्ली व टीकरी बॉर्डर पर बहादुरगढ़ से दिल्ली आने जाने में लोगों को कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ रहा है। इससे खासकर महिलाएं, बच्चे व बुजुर्ग को ज्यादा परेशानी हो रही है।
सिंघु बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन में शामिल जसप्रीत ने कहा 'किसानों की मांग जायज है और आंदोलन तभी खत्म होगा जब सरकार हमारी बात मानेगी, लेकिन सड़क पर बैठने के कारण आवाजाही में लोगों को परेशानी हो रही है। ऐसे में कम से कम एक लेन सड़क को खोलने पर विचार किया जाना चाहिए। इससे आम लोगों को सहूलियत होगी। अभी लोगों को काफी दूर पैदल चलना पड़ रहा है। 'इसी तरह टीकरी बॉर्डर पर हरियाणा के किसान राजीव ने कहा 'यहां पर करीब पांच किलोमीटर लोगों को पैदल चलना पड़ रहा है। हम कितने दिनों तक लोगों को परेशान करेंगे। आंदोलन भी होना चाहिए और लोगों को भी परेशानी नहीं होनी चाहिए। ऐसे में कम से कम उतना रास्ता तो दिया ही जाए, जिससे सार्वजनिक परिवहन का परिचालन संभव हो सके। हालांकि यह मेरे अपने विचार हैं और इस संबंध में अंतिम फैसला किसान संगठनों को ही लेना है। 'वहीं, दोनों बॉर्डर के आसपास रहने वाले लोग भी अब परेशान होने लगे हैं।
उनका कहना है कि आवागमन पूरी तरह से ठप है। इससे कार्य पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है। सार्वजनिक परिवहन का परिचालन नहीं होने से कई कामगारों ने फैक्ट्री आने से मना कर दिया है, लेकिन यह कितने दिनों तक चलेगा।
इनका साफ कहना है कि किसान संगठन इस संबंध में कोई बीच का रास्ता निकाले, जिससे कि आम लोगों को दिक्कतें नहीं हो। स्थानीय लोगों ने बताया कि लोगों को परेशान करके आंदोलन को सफल नहीं बनाया जा सकता है। आंदोलन तभी सफल होगा जब उसको आम जनता का समर्थन हासिल हो।
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