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Farmer Protests: अमित शाह के प्रस्ताव को क्यों नहीं मान रहे हैं पंजाब के किसान, यहां जानिये- असली वजह

Delhi Chalo March बुराड़ी में किसान आंदोलन के फीका पड़ने और यहां तक कि निष्प्रभावी होने के भी आसार हैं। ऐसे में ज्यादातर किसानों का कहना है कि जंतर मंतर और रामलीला मैदान में होने वाला धरना-प्रदर्शन ही ज्यादा प्रभावी होगा।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 07:35 PM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 09:53 AM (IST)
Farmer Protests: अमित शाह के प्रस्ताव को क्यों नहीं मान रहे हैं पंजाब के किसान, यहां जानिये- असली वजह
ज्यादातर किसान टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर जमा हैं।

नई दिल्ली। Delhi Chalo March: 3 केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश समेत दर्जन भर राज्यों के किसानों का आंदोलन जारी है। पिछले 3 दिनों से हजारों की संख्या में किसान टीकरी बॉर्डर के साथ सिंघु बॉर्डर पर जमा हैं। छिटपुट किसानों को मिलाकर इनकी संख्या 1 लाख के आसपास बताई जा रही है। इस बीच शनिवार को उत्तर प्रदेश के किसानों ने भी मोर्चा खोल दिया है और यूपी गेट पर जमा होने लगे हैं। यूपी के किसान भी दिल्ली में एंट्री कर कृषि कानूनों के खिलाफ अपना दमखम दिखाना चाहते हैं। इस बीच हरियाणा के बॉर्डर पर जमा किसानों को दिल्ली के बुराड़ी में प्रदर्शन की इजाजत शुक्रवार को ही मिल गई थी, लेकिन ज्यादातर किसान टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर जमा हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब किसानों को दिल्ली के बुराड़ी स्थित निरंकारी समागम मैदान में धरना-प्रदर्शन की इजाजत मिल गई है, तो वे क्यों नहीं आ रहे हैं? हालांकि, कुछ किसान बुराड़ी के मैदान में है, लेकिन उनकी संख्या नहीं के बराबर है। आइये यहां हम बताते हैं कि दिल्ली में किसानों के आने का मामला कहां पर अटका है?

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जंतर मंतर या रामलीला में प्रदर्शन की इजाजत चाहते हैं किसान

बताया जा रहा है कि पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली के जंतर-मंतर या फिर रामलीला मैदान में धरना-प्रदर्शन करना चाहते हैं। इस बाबत किसानों ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर के नाम पत्र लिखकर इसकी इजाजत भी मांगी थी, लेकिन पुलिस ने कोरोना वायरस संक्रमण महामारी के मद्देनजर अनुमति देने से साफ इनकार कर दिया।

बुराड़ी में धरना-प्रदर्शन नहीं होगा प्रभावी!

बुराड़ी में किसान आंदोलन के फीका पड़ने और यहां तक कि निष्प्रभावी होने के भी आसार हैं। ऐसे में ज्यादातर किसानों का कहना है कि जंतर मंतर और रामलीला मैदान में होने वाला धरना-प्रदर्शन ही ज्यादा प्रभावी होगा।  यही वजह है कि दिल्ली पुलिस द्वारा बुराड़ी में आंदोलन की अनुमति देने और पूरे इंतजामात करने के बावजूद किसान शनिवार सुबह से टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर डटे रहे। टीकरी बॉर्डर पर जमा किसान संगठन प्रमुख किसान यूनियन-एकता उगराहा के प्रधान जोगिंदर सिंह ने भी बुराड़ी जाकर धरना-प्रदर्शन करने से इनकार कर दिया है। पंजाब में पिछले महीने ही जोगिंदर सिंह कह चुके हैं कि इस बार का किसान आंदोलन बेमिसाल होगा और किसान अपने हितों के लिए दिल्ली दरबार तक पुरजोर दस्तक देंगे। बताया जा रहा कि केंद्र सरकार ने जोगिंदर सिंह को बुराड़ी मैदान में प्रदर्शन करने को कहा, लेकिन उन्होंने जंतर मंतर पर इजाजत देने की मांग की थी।

6 महीने आंदोलन की तैयारी के साथ दिल्ली के लिए निकले हैं किसान

दरअसल, पंजाब के किसानों ने रामलीला मैदान में लंबे समय तक आंदोलन की तैयारी करके निकले हैं। किसानों का दावा है कि वह 6 महीने का राशन लेकर दिल्ली के लिए निकले हैं। उनकी मंशा है कि जंतर मंतर या फिर राममलीला मैदान में धरना-प्रदर्शन की इजाजत दी जाए।

2011 के जैसा आंदोलन करना चाहते हैं किसान

सूत्रों के मुताबिक, वर्ष 2011 में अन्ना हजारे के नेतृत्व में लोकपाल की मांग को लेकर भ्रष्टाचार के खिलाफ जैसा आंदोलन हुआ था, किसान उसी तरह का आंदोलन करना चाहते हैं। बता दें कि लोकपाल की मांग को लेकर आंदोलन पहले जंतर मंतर से शुरू हुआ फिर रामलीला मैदान में ऐसा आंदोलन हुआ कि इतिहास बन गया। यही वजह है कि किसान भी बाहरी दिल्ली में स्थित बुराड़ी में आंदोलन करना ही नहीं चाहते। भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह की मानें तो तीनों कृषि कानून किसानों के हित में नहीं हैं, इसलिए तमाम संगठन इन्हें वापस लेने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।

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