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धरने पर केजरीवाल, 30 जून के बाद गहरा सकता है दिल्ली में भीषण जल संकट

दिल्ली में पानी और बिजली संकट दोनों ही कायम हैं, लेकिन सभी राजनीतिक दल अपनी राजनीति चमकाने में जुटे हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 13 Jun 2018 03:25 PM (IST)Updated: Wed, 13 Jun 2018 04:18 PM (IST)
धरने पर केजरीवाल, 30 जून के बाद गहरा सकता है दिल्ली में भीषण जल संकट
धरने पर केजरीवाल, 30 जून के बाद गहरा सकता है दिल्ली में भीषण जल संकट

नई दिल्ली (जेएनएन)। देश की राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों के जो हालात हैं वो इस और साफ-साफ इशारा कर रहे हैं कि अगर जल्द ही इस ओर ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले दिनों में दिल्ली में पानी संकट सबसे बड़ी समस्या बन जाएगी। इन दिनों देश की राजधानी दिल्ली में पानी और बिजली संकट दोनों ही कायम हैं, लेकिन सभी राजनीतिक दल अपनी राजनीति चमकाने में जुटे हैं, खासतौर से आम आदमी पार्टी (AAP)। अालम यह है कि पानी को लेकर जहां हरियाणा सरकार ने साफतौर पर चेतावनी दी है, वहीं AAP मुखिया और सीएम अरविंद केजरीवाल लगातार तीन दिन से अपनी तीन मांगों को लेकर उपराज्यपाल के आवास पर धरने पर बैठे हैं, वहीं जल संकट गहराता जा रहा है। 

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जल विवाद पर हरियाणा-दिल्ली में जंग जारी

हरियाणा और दिल्‍ली के बीच फिर जल पर जंग तेज हो गई है। इसके 30 जून के बाद और तेज होने के आसार हैं। हरियाणा ने कहा है कि वह दिल्‍ली को अतिरिक्‍त पानी दे रहा है। यदि उसने 30 जून तक जल विवाद मामले पर केस वापस नहीं लिया तो उसे दिया जा रहा अतिरिक्‍त पानी देना बंद कर देगा। बता दें कि अरविंद केजरीवाल ने 16 मई को मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिखकर दिल्ली में जलसंकट के लिए हरियाणा को जिम्मेदार ठहराया था। केजरीवाल ने हाल ही में फिर अपने आरोपों को दोहराया है। इसके जवाब में लिखे पत्र में हरियाणा के सीएम ने कहा कि लगभग 60 एमजीडी (मीट्रिक गैलन प्रतिदिन) पानी की कथित कमी 900 एमजीडी से अधिक की कुल शोधन क्षमता का मात्र 6.7 फीसद है। इस मुद्दे को दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) अपनी कार्यशैली में सुधार कर आसानी से हल कर सकता है।

हरियाणा से पानी पर चल रहा कोर्ट में विवाद

पानी पर हरियाणा व दिल्ली के बीच जारी विवाद का अब तक कोई हल नहीं निकला है। इस बीच दिल्ली में पानी की आपूर्ति सामान्य से 36 एमजीडी (मिलियन गैलन प्रतिदिन) कम हो गई है। इस वजह से दिल्ली के कई इलाकों में पाइपलाइन से पानी नहीं पहुंच पा रहा है और लोगों को पेयजल किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। लिहाजा, जल बोर्ड में पेयजल से संबंधित शिकायतें बढ़ गई हैं।

दिल्ली में गिर रहा भूजल स्तर 

दिल्ली में भूजलस्तर लगातार गिरता जा रहा है. हालत यह है कि हर साल भूजलस्तर में गिरावट हो रही है. कई इलाके ऐसे हैं जहां पर हालात चिंताजनक कहे जा सकते हैं। दिल्ली के लगभग 80 फीसदी इलाके में भूजलस्तर में जबरदस्त गिरावट हो रही है। दिल्ली में जो इलाके ज्यादा चिंताजनक हालत में हैं उनमें साउथ वेस्ट, साउथ ईस्ट, नई दिल्ली, नार्थ ईस्ट, नार्थ वेस्ट, शाहदरा और ईस्ट दिल्ली शामिल है. वहीं पश्चिम दिल्ली, साउथ वेस्ट और नॉर्थ में हालात पहले बताए गए इलाकों की तुलना से थोड़ा बेहतर हैं।

जल बोर्ड के पास हैं विकल्प सीमित

जल बोर्ड ने गर्मी में पानी की बढ़ती मांग के मद्देनजर इस बार समर एक्शन प्लान में पानी की आपूर्ति 916 एमजीडी तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन इस समय जल बोर्ड के लिए 906 एमजीडी पानी आपूर्ति सुनिश्चित करना ही चुनौती बना हुआ है। क्योंकि पानी की उपलब्धता बढ़ाने का उसके पास कोई खास विकल्प नहीं है।

दिल्ली को रोज 1140 एमजीडी पानी की जरूरत

 पिछले साल गर्मियों में प्रतिदिन करीब 906 एमजीडी पानी की आपूर्ति की जा रही थी। मौजूदा स्थिति यह है कि जल बोर्ड प्रतिदिन करीब 870 एमजीडी पानी की आपूर्ति कर पा रहा है। जो पिछले साल के मुकाबले 36 एमजीडी कम है। इस तरह पानी की मांग और आपूर्ति का अंतर बढ़कर 270 एमजीडी तक पहुंच गया है। दिल्ली में प्रतिदिन करीब 1140 एमजीडी पानी की जरूरत होती है। जल बोर्ड सामान्य तौर पर प्रतिदिन 900 एमजीडी पानी की आपूर्ति करता है। हालांकि, जल बोर्ड के अधिकारी पेयजल किल्लत के मामले पर बोलने को तैयार नहीं हैं पर बताया जा रहा है कि कच्चे पानी की उपलब्धता कम होने से वजीराबाद, चंद्रावल, द्वारका व ओखला जल शोधन संयंत्र से क्षमता से कम पानी की आपूर्ति हो रही है। इस वजह से मध्य दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली, बाहरी दिल्ली व दक्षिणी दिल्ली के कुछ इलाकों में पेयजल की किल्लत है। पाइपलाइन में पानी का प्रेशर कम होने से निचले इलाकों में पानी नहीं पहुंच पा रहा है। यदि यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में पेयजल किल्लत की समस्या गहरा सकती है।

दूषित जोहड़ से भी बढ़ा जल संकट

तेजी से घटते भूजल स्तर की वजह से राजधानी दिल्ली में पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण इलाकों में मौजूद जोहड़ों के दूषित हो जाने से भूजल पर भी प्रदूषण का साया मंडराने लगा है। देखरेख के अभाव में गंदे पानी की निकासी और कूड़ा फेंकने का स्थान बन चुके जोहड़ों के संरक्षण के लिए विकास के दावे तो होते हैं, लेकिन उनका क्रियान्वयन बेहतर तरीके से नहीं होने के कारण जोहड़ पहले से बदहाल होते जा रहे हैं।


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