एक दशक बाद दिल्ली में होगा पानी का महासंकट, करने होंगे उपाय
दिल्ली में पानी की मांग बढ़ रही है। जल उपलब्धता नहीं बढ़ने से भूजल दोहन बढ़ा है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली में पानी की मांग बढ़ रही है। जल उपलब्धता नहीं बढ़ने से भूजल दोहन बढ़ा है। फिर भी दिल्ली में पेयजल किल्लत बड़ी समस्या है। यदि एक दशक में दिल्ली की आबादी में बेतहाशा वृद्धि हुई और जल भंडारण सहित नदियों पर बांध बनाने की तीन बड़ी परियोजनाओं पर अमल नहीं हुआ तो दिल्ली आने वाले समय में पेयजल के लिए तरस भी सकती है।
आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान स्थिति यह है कि राजधानी के 16.58 फीसद परिवार शोधित पानी आपूर्ति की सुविधा से महरूम हैं। 1639 अनधिकृत कॉलोनियों में से 430 में पाइप लाइन से पानी आपूर्ति नहीं होती। इस वजह से इन कॉलोनियों के लोग टैंकर व ट्यूबवेल पर निर्भर हैं।
12वीं पंचवर्षीय योजना में दिल्ली में वर्ष 2017 में पानी की मांग 1140 एमजीडी होने का अनुमान लगाया गया था, जबकि दिल्ली में प्रतिदिन करीब 900 एमजीडी पानी की आपूर्ति होती है।
इस लिहाजा से प्रतिदिन करीब 240 एमजीडी की कमी होती है। आर्थिक सर्वेक्षण में दिल्ली में पानी की मांग 1040 एमजीडी होने की बात कही गई है। इस लिहाज से प्रतिदिन 140 एमजीडी पानी की मांग में कमी होती है। जल बोर्ड द्वारा कुछ साल पहले तैयार जल नीति के मसौदे के अनुसार वर्ष 2021 में दिल्ली में पानी की मांग और बढ़ जाएगी। इसके लिए विभिन्न एजेंसियों ने आंकलन किया है।
जापान की एजेंसी जिका के अनुसार वर्ष 2021 तक दिल्ली में 1560 एमजीडी व जल बोर्ड के अनुसार 1380 एमजीडी पानी की जरूरत होगी, जबकि आने वाले करीब 10 सालों में दिल्ली को किसी भी राज्य से अतिरिक्त पानी मिलने की उम्मीद नहीं है। ऐसे में पानी की उपलब्धता बढ़ाना सरकार के लिए चुनौती है।
जल नीति के मसौदे के अनुसार मानसून में दिल्ली में हर साल 298 मिलियन क्यूसेक मीटर बाढ़ के पानी के भंडारण की व्यवस्था नहीं होने से वह बर्बाद हो जाता है। जल बोर्ड ने जल भंडारण के लिए कई बार अध्ययन कराया पर योजना पर अमल नहीं हो पा रहा है।
प्रस्तावित रेणुका बांध से दिल्ली को 275 एमजीडी, किशाऊ बांध से 372 व लखवर व्यासी बांध से 135 एमजीडी पानी मिलने का प्रावधान है। वर्षो से ये योजनाएं अधर में हैं। यह कह पाना मुश्किल है कि ये योजनाएं कब पूरी होंगी। ये योजनाएं पूरी होने पर दिल्ली को 682 एमजीडी पानी मिल सकेगा।