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धीरे धीरे पटरी पर लौटने लगा बाढ़ पीड़ितों का जीवन, मगर अब भी है बेहतर जीवन की तलाश

लोहे वाले पुल के नीचे कश्मीरी गेट किसान बस्ती किशन कुंज गढ़ी मांडू पुराना उस्मानपुर गांव के बहुत से वापस अपने घरों को लौट गए हैं।

By Prateek KumarEdited By: Published: Mon, 26 Aug 2019 03:45 PM (IST)Updated: Mon, 26 Aug 2019 03:45 PM (IST)
धीरे धीरे पटरी पर लौटने लगा बाढ़ पीड़ितों का जीवन, मगर अब भी है बेहतर जीवन की तलाश
धीरे धीरे पटरी पर लौटने लगा बाढ़ पीड़ितों का जीवन, मगर अब भी है बेहतर जीवन की तलाश
नई दिल्ली, जेएनएन। यमुना का जलस्तर बढ़ने से खादर इलाकों में रहने वाले 10 हजार लोग बेघर होकर सरकार के राहत शिविरों में रहने को मजबूर हो गए। एक हफ्ते के बाद लोगों का जीवन फिर से पटरी पर लौटना शुरू हो गया है। कुछ लोग राहत शिविरों को छोड़कर वापस अपने घरों को चले गए है, लेकिन यहां भी इनकी परेशानी कम नही हुई है। उन्हें कीचड़ और जलभराव का सामना करना पड़ रहा है।

लोहे वाले पुल के नीचे, कश्मीरी गेट किसान बस्ती, किशन कुंज, गढ़ी मांडू, पुराना उस्मानपुर गांव के बहुत से वापस अपने घरों को लौट गए हैं। लेकिन यह भोजन सरकार के राहत शिविरों में ही आकर कर रहे हैं। पूर्वी दिल्ली के अतिरिक्त जिलाधिकारी अरुण गुप्ता ने बताया कि यमुना का जलस्तर 203 मीटर पहुँच गया है।

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यमुना का जलस्तर बढ़ने से खादर के इलाकों में पानी भरा हुआ है। इसलिए प्रशासन ने अभी लोगों को राहत शिविरों में ही ठहराया हुआ है। कुछ ही दिनों में हालात पूरी तरह सामान्य हो जाएंगे।


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