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Delhi News: आत्मनिर्भरता के साथ समाजसेवा की रोल माडल बनीं वृंदा खन्ना

कोरोना काल में जरूरतमंद लोगों तक वृंदा ने भोजन सैनिटाइजर और मास्क द्वारा हजारों परिवारों में सहायता पहुंचाई। सिर्फ हरियाणा राज्य में ही एक लाख मास्क वितरित किए। इसी तरह पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के साथ हिंदू शरणार्थी शिविरों में उनके द्वारा उल्लेखनीय कार्य हुए हैं।

By Prateek KumarEdited By: Published: Tue, 24 May 2022 09:36 PM (IST)Updated: Tue, 24 May 2022 09:36 PM (IST)
Delhi News: आत्मनिर्भरता के साथ समाजसेवा की रोल माडल बनीं वृंदा खन्ना
नान बैंकिंग फाइनेंस कंपनी के सफल संचालन के साथ 1200 से अधिक बच्चों को दे रहीं निश्शुल्क शिक्षा।

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। राजेंद्र नगर की युवा वृंदा खन्ना आत्मनिर्भरता के साथ समाजसेवा की रोल माडल हैं। खुद से न सिर्फ अपनी कंपनी खड़ी की, बल्कि 1,200 से अधिक छात्रों को निश्शुल्क शिक्षा देने का काम कर रही हैं। इसी तरह समाज से जुड़ी संस्थाओं और लाेगों को आर्थिक मदद में भी वह आगे हैं। हाल ही में उन्हें पांचजन्य व आर्गनाइजर के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर में आयोजित मीडिया मंथन कांक्लेव में "दिल्ली की शान अवार्ड' से सम्मानित किया गया।

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इस कांक्लेव में जहां उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेंन सिंह, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और गोवा के मुख्यमंत्री डा. प्रमोद सावंत ने अपनी सरकारों द्वारा जनहित में लिए निर्णयों और विजन पर विस्तार से प्रकाश डाला। वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांक्लेव को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया।

वृंदा 30 वर्ष की हैं और समाजसेवा का गुण उन्हें अपने माता-पिता कपिल खन्ना व भारती खन्ना से मिली है। कपिल खन्ना वर्तमान में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) दिल्ली के अध्यक्ष हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से बैचलर आफ बिजनेस स्टडीज (बीबीएस) की पढ़ाई की। बाद में एक बिजनेस स्कूल से मास्टर आफ बिजनेस एडमिनिस्टेशन (एमबीए) किया। इसके बाद रिजर्व बैंक आफ इंडिया (आरबीआइ) से लाइसेंस प्राप्त कर 23 वर्ष की उम्र में ही नान बैंकिंग फाइनेंसियल कंपनी (एनबीएफसी) शुरू किया और सफल उद्यमी बनीं।

इसके साथ ही उन्होंने अपने व्यवसाय को देखने के साथ सामाजिक क्षेत्र में सक्रियता बढ़ा दी। वह वृंदा संत ईश्वर फाउंडेशन की महासचिव हैं। वर्तमान में उनकी संस्था द्वारा हरियाणा में घुमंतू और वंचित समाज के बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ और संस्कार देने के लिए ज्ञानदीप सेवा प्रकल्प और सुदूर जम्मू कश्मीर के नेनसू गांव और रामनगर में दो विद्यालय संचालित कर 1,200 से अधिक छात्रों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान की जा रही है। इसके साथ संत ईश्वर सम्मान के माध्यम से वह 84 संस्थाओं और समाज में विशिष्ट योगदान देने के लिए कला-साहित्य समेत विभिन्न क्षेत्र से जुड़े लोगों को 1.60 करोड़ रुपये राशि के सम्मान और राष्ट्रीय पहचान दिला चुकी हैं।

कोरोना काल में जरूरतमंद लोगों तक वृंदा ने भोजन, सैनिटाइजर और मास्क द्वारा हजारों परिवारों में सहायता पहुंचाई। सिर्फ हरियाणा राज्य में ही एक लाख मास्क वितरित किए। इसी तरह पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के साथ हिंदू शरणार्थी शिविरों में उनके द्वारा उल्लेखनीय कार्य हुए हैं। वह कहती हैं कि इस धरती पर अनेकाें संस्कृतियों आई और विलुप्त हो गई, हमारी स्नातन संस्कृति ही शाश्वत हैं क्योंकि इसमें दया और सेवाभाव तथा मानव जाति का संपूर्ण विकास ही हमारे जीवन का निमित्त और लक्ष्य हैं, ये संदेश हैं। मुझे जीवन इसी कार्य निमित्त मात्र मिला है।


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