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दिल्ली सरकार का तुगलकी फरमान, इलाज कराना है तो मतदाता पहचान पत्र दिखाओ

सरकारी अस्पतालों में 80 फीसद सुविधा पाने को मतदाता पहचान पत्र जरूरी। 1 अक्टूबर से जीटीबी अस्पताल में लागू होगा नियम। SC के आदेशों की अव्हेलना।

By Amit SinghEdited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 10:40 AM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 10:40 AM (IST)
दिल्ली सरकार का तुगलकी फरमान, इलाज कराना है तो मतदाता पहचान पत्र दिखाओ
दिल्ली सरकार का तुगलकी फरमान, इलाज कराना है तो मतदाता पहचान पत्र दिखाओ

नई दिल्ली (स्वदेश कुमार)। दिल्ली सरकार सरकारी अस्पतालों में 80 फीसद सुविधाएं दिल्ली वालों के लिए आरक्षित करने जा रही है। अस्पताल में पर्ची बनवाने से लेकर इलाज और दवा वितरण तक में सिर्फ 20 फीसद सुविधाएं बाहरी लोगों के लिए होंगी। सरकार दिल्लीवासी उन्हें ही मान रही है जिनके पास दिल्ली का मतदाता पहचान पत्र हैं।

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नाबालिग होने पर माता-पिता का मतदाता पहचान पत्र दिखाना होगा। इस योजना की शुरुआत अब 1 अक्टूबर से होगी। पहले इसे 15 सितंबर से ही लागू करने की घोषणा की गई थी। इस संबंध में जीटीबी अस्पताल में जगह-जगह बोर्ड भी लगा दिए गए हैं।

स्वास्थ्य मामलों के जानकार बताते हैं कि सरकारी अस्पतालों में इस तरह की बंदिश मरीजों पर अन्याय है। इस योजना के कारण किसी मरीज के पास अगर मतदाता पहचान पत्र नहीं है तो वह इलाज नहीं करा सकता या अगर उसका पहचान पत्र खो गया है तो वह भी वंचित हो जाएगा। यहां तक कि जिसके पास आधार है और जिस पर सरकार की सब्सिडी तक मिल रही है, उसके जरिये भी इलाज का लाभ नहीं मिलेगा। इसके लिए आधार, ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड, बीपीएल कार्ड और एसडीएम या जनप्रतिनिधि द्वारा जारी निवास प्रमाण पत्र को भी मान्यता मिलनी चाहिए थी।

इससे दिल्ली में रहने वाले अधिकतर लोग लाभान्वित हो पाते। बता दें कि एक अक्टूबर से यह योजना जीटीबी अस्पताल में शुरू हो रही है। बाद में सभी सरकारी अस्पतालों में इसे लागू किया जाएगा। इससे दिल्ली में रहने के बावजूद कई लोग इलाज की सेवा से वंचित हो जाएंगे।

स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक कीर्ति भूषण के अनुसार लोगों को इलाज कराने में कोई दिक्कत न हो इसलिए तिथि बढ़ाई गई है। अब अस्पताल प्रशासन को ठीक से प्रचार करने का समय मिल गया है। इस दौरान अधिक से अधिक लोगों को पता चल जाएगा कि योजना क्या है। इसी हिसाब से लोग खुद को तैयार भी कर लेंगे। जहां तक मतदाता पहचान पत्र की बात है तो दिल्ली में सभी के पास यह उपलब्ध है। अन्य दस्तावेज मान्य होंगे या नहीं, इस पर कुछ दिनों में तस्वीर साफ हो जाएगी।

सरकार की योजना असंवैधानिकः अशोक अग्रवाल

शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए काम कर रहे वरिष्ठ वकील अशोक अग्रवाल ने सरकार की इस योजना को असंवैधानिक करार दिया है। उनका कहना है कि यह कदम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के भी खिलाफ है। अशोक अग्रवाल के मुताबिक, 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि किसी भी सरकारी अस्पताल में किसी को इलाज से मना नहीं किया जा सकता है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा कि दिल्ली में कोई भी बाहरी नहीं है। ऐसे में दिल्ली सरकार किसी को बाहरी कैसे करार दे सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार की इस योजना को वह हाई कोर्ट में चुनौती देंगे। वह इसी हफ्ते दिल्ली हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर करेंगे।


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