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    Delhi High Court: मोबाइल फोन निर्माता कंपनी VIVO के अधिकारी 20,241 करोड़ रुपये के मनी लांड्रिंग मामले में तलब

    Updated: Thu, 15 May 2025 08:27 PM (IST)

    मोबाइल फोन निर्माता कंपनी VIVO के अधिकारियों को 20241 करोड़ रुपये के मनी लांड्रिंग मामले में अदालत ने तलब किया है। पटियाला हाउस कोर्ट ने सीईओ शेन वेई ...और पढ़ें

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    वीवो मनी लांड्रिंग मामले में अदालत ने किया तलब।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: चीनी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी वीवो से जुड़े 20,241 करोड़ रुपये के मनी लांड्रिंग मामले में अदालत ने उनके अधिकारियों को तलब किया है।

    पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश किरण गुप्ता ने वीवो मोबाइल कम्युनिकेशन के सीईओ शेन वेई, सीएफओ चेन यू फेन और वीवो मोबाइल इंडिया के सीईओ झियोंग चेन को उनके खिलाफ दायर पूरक आरोपपत्र का संज्ञान लेते हुए निर्देश दिया है।

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    न्यायाधीश ने कहा कि प्रथमदृष्टया तीनों अधिकारियों ने प्लान बनाने, धन की व्यवस्था या प्रबंधन करने और भारत के बाहर 20,241 करोड़ रुपये की आपराधिक आय को गबन करने में भूमिका निभाई।

    न्यायाधीश ने कहा, विदेशी होने के नाते गृह मंत्रालय के जरिये बुलाए जाएं

    न्यायाधीश ने कहा कि चूंकि ये आरोपित विदेशी हैं, इसलिए उन्हें निर्धारित प्रोफार्मा में नियमों और विनियमों के अनुसार गृह मंत्रालय के माध्यम से बुलाया जाना चाहिए। ईडी की पूरक अभियोजन शिकायत में बताया गया है कि जांच के दौरान यह पता चला कि आरोपित भी इस अपराध में शामिल थे।

    ईडी के आरोपपत्र में दावा किया गया है कि आरोपित शेन वेई वर्ष 2013 में वीवो इंडिया को शामिल करने के लिए वीवो चीन के कहने पर भारत आई थी, जो वीवो इंडिया का अंतिम नियंत्रक और मालिक था।

    आरोपित चेन यू फेन भारत में वीवो समूह की कंपनियों के लिए आवश्यक धन की व्यवस्था या प्रबंधन में शामिल थी। भारतीय अधिकारियों को धोखा देने के साथ ही कानूनों को दरकिनार किया।

    कई संस्थाओं को एक ही संस्था वीवो चीन नियंत्रित करती है

    ईडी ने कहा कि आरोपित झियोंग चेन को तीन जून, 2015 को वीवो मोबाइल इंडिया का निदेशक नियुक्त किया गया था और वह अभी भी कंपनी का निदेशक है।

    वह वीवो इंडिया पर वीवो चीन की संरचना और लाभकारी स्वामित्व से अच्छी तरह वाकिफ था और उसने वीवो चीन और वीवो इंडिया दोनों को इसे छिपाने में सक्रिय रूप से मदद की।

    इन तीनों आरोपियों ने धोखाधड़ी से एक कारपोरेट बनाया, जिसका उपयोग राजस्व उत्पन्न करने और माल के आयात की आड़ में भारत के बाहर अपनी अन्य कंपनियों में भेजने के उद्देश्य से किया गया।

    कई व्यावसायिक संस्थाओं को एक ही संस्था यानी वीवो चीन द्वारा नियंत्रित किया गया। इस तरह से उन्होंने भारत के बाहर 20,241 करोड़ रुपये की अपराध आय को हड़प लिया।

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