चिड़ियाघर में ऑडियो के जरिये वन्यजीवों के बारे में जान सकेंगे पर्यटक, होंगे बड़ा बदलाव
चिड़ियाघर में हर वर्ग का पर्यटक आता है, जिनमें कुछ पर्यटक पढ़े-लिखे नहीं होते हैं। ऐसे में वे सिर्फ वन्यजीव को देखकर ही वापस न लौटें, इसके लिए हर बाड़े के बाहर एक ऑडियो की सुविधा होगी।
नई दिल्ली [किशन कुमार]। मैसूर के चिड़ियाघर की तर्ज पर दिल्ली में भी अब पर्यटक रचनात्मक तरीके से वन्यजीवों से जुड़ी जानकारी ले सकेंगे। दिल्ली चिड़ियाघर को भी जल्द पर्यटन के साथ शैक्षणिक केंद्र बनाया जाएगा। इसका जिम्मा बेंगलुरू स्थित एजेंसी सेंटर फॉर एनवॉयरमेंट एजुकेशन को दिया गया है। इसकी परियोजना भी बनकर तैयार है।
वन्यजीवों के बारे में मिलेगी रोचक जानकारी
सूत्रों की मानें तो चिड़ियाघर में प्रवेश से पहले बाहर की तरफ एक व्याख्या केंद्र बनाया जाएगा, जिसमें पर्यटकों को चिड़ियाघर में अंदर बने शिक्षा केंद्रों की जानकारी दी जाएगी। इससे पर्यटक अंदर जाकर वन्यजीवों के बारे में रोचक जानकारी ले सकेंगे। इसके साथ ही चिड़ियाघर में पर्यटकों की सुविधा के लिए जगह-जगह वन्यजीवों के संबंध में प्रदर्शनी, सुविधा बोर्ड आदि लगाए जाएंगे।
ऑडियो की सुविधा भी होगी
पर्यटक इनसे ऊबे नहीं, इसके लिए इन्हें रचनात्मक तरीके से बनाया जाएगा। इसे खासतौर पर बच्चों व बड़ों के लिए अलग से डिजाइन करने की योजना है। चिड़ियाघर में हर वर्ग का पर्यटक आता है, जिनमें कुछ पर्यटक पढ़े-लिखे नहीं होते हैं। ऐसे में वे सिर्फ वन्यजीव को देखकर ही वापस न लौटें, इसके लिए हर बाड़े के बाहर एक ऑडियो की सुविधा होगी। पर्यटक हेडफोन को अपने कान पर लगाएगा और उसे वन्यजीव के रहन-सहन से लेकर उसके वजन व खाने-पीने की सभी जानकारी मिल जाएगी।
सेल्फी प्वॉइंट बनाने की तैयारी
सूत्रों के मुताबिक, चिड़ियाघर के कर्मियों के लिए भी जल्दी ही कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे। इसके अलावा चिड़ियाघर में वन्यजीवों के मॉडल बनाने के साथ एलईडी स्क्रीन लगाने की भी तैयारी है। इसके माध्यम से बच्चे वन्यजीवों के बारे में रोचक तथ्य जान सकेंगे। चिड़ियाघर में पर्यटक वन्यजीवों के बाड़ों के आगे सेल्फी भी लेते हैं। इस कारण अन्य लोगों को परेशानी होती है। पर्यटकों की सुविधा के लिए चिड़ियाघर में जगह-जगह सेल्फी प्वॉइंट भी बनाने की तैयारी है।
पक्षियों के बारे में भी मिलेगी जानकारी
चिड़ियाघर में दो बड़ी झीलें हैं, जिससे आकर्षित होकर हर वर्ष प्रवासी पक्षी डेरा डालने आते हैं। इन प्रवासी पक्षियों को लेकर हर साल कुछ छात्र शोध भी करते रहते हैं, लेकिन अभी फिलहाल इन झीलों के पास पक्षियों से संबंधित किसी तरह की जानकारी न होने से छात्रों को भी पक्षियों के बारे में जानने में परेशानी होती है। इसी को देखते हुए झील के पास जानकारी वाले बोर्ड भी लगाए जाएंगे, जिनमें अंग्रेजी, हिंदी व विभिन्न भाषाओं में प्रवासी पक्षियों से संबंधित जानकारी होगी।