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यहां आकर आपकी नजरें न थम जाएं तो कहना, ये है माताजी मूर्ति कला केंद्र

माताजी मूर्ति कला केंद्र में आपको आकर निश्चित तौर पर एक अलग अहसास होगा। यहां मौजूद अलग-अलग तरह की मूर्तिया या मिट्टी की कलाकृतियां आपका मन जरूर मोह लेंगी।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 12:06 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jan 2020 12:06 PM (IST)
यहां आकर आपकी नजरें न थम जाएं तो कहना, ये है माताजी मूर्ति कला केंद्र
यहां आकर आपकी नजरें न थम जाएं तो कहना, ये है माताजी मूर्ति कला केंद्र

नई दिल्‍ली [रितु राणा]। सिर पर मटकी लिए महिला को देख पास से गुजरते हर शख्स की निगाहें थम जाती हैं। बगल में सिर पर फूलों का टोकरा लिए एक और आकृति, हाथी, घोड़े, दीये लालटेन और लैंप सब कुछ इतना आकर्षक मानो कल्पनाओं की दुनिया में आ गए हों। माताजी मूर्ति कला केंद्र में पहुंच कुछ ऐसा ही तो महसूस करते हैं लोग। वातावरण में मिट्टी की सोंधी खुशबू चारो ओर रंग-बिरंगी कलाकृतियां सब कुछ बेहद आकर्षक। यकीन नहीं कर पाएंगे कि ये सब मिट्टी की बनी हुई हैं। दरियागंज पदमचंद मार्ग स्थित इस दुकान पर हस्तनिर्मित मिट्टी की वस्तुओं का भंडार है। यहां दिल्ली के साथसाथ राजस्थान, गुजरात, कलकत्ता व उत्तर प्रदेश के लखनऊ और खुर्जा क्षेत्र के कारीगरों द्वारा तैयार मिट्टी की मूर्तियां, मटके व अन्य कलाकृतियां घर की सजावट में चार-चांद लगा देंगी।

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मां को देख मिली प्रेरणा  

कौन गढ़ता है इन्हें, किसके हुनर का है ये कमाल इस बारे में दुकान संचालक विजय कुमार राठौर कहते हैं कि उनकी मां संतरा देवी करीब 50 वर्षों से मिट्टी के दीये व मटके बनाती आ रही हैं। बचपन से ही वे अपनी मां के हुनर को देखते आ रहे हैं। उनको देखकर वे भी इस कला में माहिर हो गए। जब वे 15 वर्ष के थे तभी से मां के काम में हाथ बंटाना शुरू कर दिया। अब उन्हें भी मिट्टी की कारीगरी करते हुए करीब 27 वर्ष हो चुके हैं। कहते हैं मां ने पहले कारीगरों से यह काम सीखा था फिर खुद ही हाथ से दीये व मटके बनाकर बेचने लगीं। अब तो अन्य राज्यों से भी सामान मंगवाकर दुकान पर बेचा जाता है। सामान की अच्छी गुणवत्ता के कारण दूर-दराज से लोग यहां खरीदारी करने आते हैं। राजस्थानी मटका से लेकर कोलकाता की

मूर्ति तक 

घर को देसी मिट्टी से बनी सुंदर व आकर्षक वस्तुओं से सजाने की इच्छा रखते हैं तो यहां एक से बढ़कर एक खुबसूरत दीये, मूर्तियां, मटके व सुराही का भंडार है। यहां आपको राजस्थान के मटके, उत्तर प्रदेश के लखनऊ व खुर्जा के मटके व सुराही और कोलकाता की मूर्तियां मिल जाएंगी। वहीं, विजय और उनकी मां खुद भी घर पर मिट्टी से दीये, गुल्लक, सुराही व मिट्टी के बर्तन की टंकी तैयार करते हैं। अगर आप देवीदेवता की प्रतिमा चाहते हैं तो भगवान विष्णु, लक्ष्मी गणेश, काली मां से लेकर करीब तीन हजार आइटम मिल जाएंगे। महज दस रुपये में पंद्रह प्लेन दीये मिल जाएंगे, वहीं रंग-बिरंगे डिजाइनर दीये की कीमत एक रुपये है। 100 रुपये से लेकर 20 हजार रुपये तक की मूर्तियां उपलब्ध हैं। 

खुलने का समय

सुबह आठ से रात दस बजे तक कभी आप यहां खरीदारी कर सकते हैं। रोजाना खुलती ह


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