दिल्ली की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली खस्ताहाल, गंभीर नहीं है 'आप' की सरकार
भाजपा नेता ने बताया कि वर्ष 2014 में डीटीसी के बेड़े में 5216 बसें उपलब्ध थीं। वर्तमान में यह संख्या कम होकर 3,944 ही रह गई है। उपलब्ध बसों में से करीब 80 फीसद बसें पुरानी हो चुकी हैं।
नई दिल्ली (राज्य ब्यूरो)। दिल्ली की खस्ताहाल सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के लिए भाजपा ने सीधे तौर पर अरविंद केजरीवाल सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। सरकार की लापरवाही की वजह से दिल्ली की सड़कों पर निजी वाहनों की भीड़ बढ़ रही है। दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के बेड़े में लगातार बसें कम होती जा रही हैं। मेट्रो के काम में सरकार अड़ंगा लगा रही है। इसलिए लोग निजी वाहन से सफर करने को मजबूर हो रहे हैं।
सरकार एक भी बस नहीं उतार सकी
नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में पांच वर्षों में पांच हजार नई बसें सड़क पर उतारने का वादा किया था। सत्ता में आने के बाद अपने पहले ही बजट में सरकार ने खरीदी जाने वाली बसों की संख्या बढ़ाकर दस हजार कर दी थी। लोगों को लगा था कि अब दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन की समस्या दूर हो जाएगी, लेकिन सरकार एक भी बस नहीं उतार सकी है।
केजरीवाल सरकार गंभीर नहीं
गुप्ता ने कहा कि सरकार ने विधानसभा में एक प्रश्न के उत्तर में यह भी स्वीकार किया है कि बसें खरीदने का कोई प्रस्ताव नहीं है। सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था की बद से बदतर स्थिति होती जा रही है। केजरीवाल सरकार इसे सुधारने को लेकर गंभीर भी नहीं है। इससे स्पष्ट है कि 'आप' सरकार के लिए आम आदमी कोई मायने नहीं रखता। अपने चुनावी वादे को पूरा नहीं करने वाले केजरीवाल को सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए।
रोजाना 300 बसें सड़क पर खराब हो जाती हैं
भाजपा नेता ने बताया कि वर्ष 2014 में डीटीसी के बेड़े में 5216 बसें उपलब्ध थीं। वर्तमान में यह संख्या कम होकर 3,944 ही रह गई है। उपलब्ध बसों में से करीब 80 फीसद बसें पुरानी हो चुकी हैं। इस कारण रोजाना औसतन 300 बसें सड़क पर खराब हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि फरवरी 2015 में जब 'आप' सत्ता में आई थी उस समय दिल्ली में 11 हजार बसों की जरूरत थी। अब और ज्यादा बसों की जरूरत है।
अड़ंगे लगा रही है सरकार
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि दिल्ली मास्टर प्लान 2021 के अनुसार सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था का हिस्सा बढ़ाकर 80 फीसद करने का लक्ष्य है, लेकिन सरकार के रवैये से इसे हासिल करना मुश्किल है। दिल्ली में परिवहन व्यवस्था को सुगम बनाने, सड़कों पर बोझ कम करने, ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने, वायु प्रदूषण कम करने के मकसद से मेट्रो के चौथे चरण का काम जल्द शुरू होना चाहिए, लेकिन सरकार इसे मंजूरी नहीं दे रही है।