मां के इलाज को भटक रहे बेटे का वीडियो वायरल, सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट सख्त
पीठ ने दिल्ली सरकार व केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वे अपनी हेल्पलाइन नंबर को बेहतर बनाएं और इस पर आने वाली कॉल पर तुरंत प्रतिक्रिया देने की व्यवस्था करें।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। मां के कोरोना संक्रमित होने के बाद इलाज के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकने वाले युवक की सोशल मीडिया पर वायरल हो रही वीडियो का स्वत: संज्ञान लेते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र व दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि वर्तमान हालात में वीडियो ने लोगों की गंभीर समस्या को उठाया है। पीठ ने दिल्ली सरकार व केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वे अपनी हेल्पलाइन नंबर को बेहतर बनाएं और इस पर आने वाली कॉल पर तुरंत प्रतिक्रिया देने की व्यवस्था करें। पीठ ने यह भी कहा कि गंभीर रूप से बीमार कोरोना मरीजों को उसके घर से अस्पताल जाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था सुनिश्चित कराएं।
पीड़ित धर्मेंद्र भारद्वाज की वीडियो क्लिप में उठाए गए सवालों की जांच के लिए पीठ अदालत मित्र नियुक्त किया। साथ ही अदालत मित्र को दोनों सरकारों द्वारा उपलब्ध कराए गए हेल्पलाइन नंबर पर फोन करने और इसके प्रभाव पर रिपोर्ट पेश करने को कहा। पीठ ने कहा कि हेल्पलाइन नंबर पर यह भी जानकारी दी जानी चाहिए कि कोरोना मरीज के आसपास कौन सा निजी व सरकारी अस्पताल इलाज के लिए उपलब्ध है।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के स्टैंडिंग काउंसल राहुल मेहरा ने पीठ से कहा कि कुल 10 हेल्पलाइन नंबर हैं। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि ये सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं और इसे दुरुस्त करने के लिए आदेश जारी किए गए हैं।
अस्पताल में बेड की उपलब्धता के बताएगा एप राहुल मेहरा ने पीठ को बताया कि निजी और सरकारी अस्पताल में बेड की उपलब्धता समेत अन्य जानकारी के लिए एक मोबाइल एप तैयार किया जा रहा है। इसे जल्द लांच कर दिया जाएगा।
यह है मामला
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में धर्मेंद्र भारद्वाज ने कहा कि उन्होंने मां को 19 मई को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था और 21 मई को उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद निजी अस्पताल ने उन्हें किसी अन्य अस्पताल में बेड का इंतजाम करने को कहा। इसके बाद वह मां को लेकर कई अस्पताल में गए, लेकिन कहीं मदद नहीं मिली। यहां तक कि उन्हें केंद्र व दिल्ली सरकार की हेल्पलाइन नंबर पर भी उन्हें कोई जवाब नहीं मिला।