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धनवान देश से स्वस्थ्य देश ज्यादा अच्छा, होम्योपैथ मिशन है, कमीशन नहीं: वेंकैया नायडू

उपराष्ट्रपति ने होम्योपैथी को किफायती व दुष्प्रभाव रहित चिकित्सा पद्धति बताते हुए कहा कि होम्योपैथ मिशन है, कमीशन नहीं। देश को वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति की जरूरत है।

By Amit MishraEdited By: Published: Tue, 10 Apr 2018 08:19 PM (IST)Updated: Wed, 11 Apr 2018 07:25 AM (IST)
धनवान देश से स्वस्थ्य देश ज्यादा अच्छा, होम्योपैथ मिशन है, कमीशन नहीं: वेंकैया नायडू
धनवान देश से स्वस्थ्य देश ज्यादा अच्छा, होम्योपैथ मिशन है, कमीशन नहीं: वेंकैया नायडू

नई दिल्ली [जेएनएन]। विश्व होम्योपैथिक दिवस के अवसर पर मंगलवार को केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद द्वारा विज्ञान भवन में आयोजित दो दिवसीय वैज्ञानिक सम्मेलन का उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने शुभारंभ किया।

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उपराष्ट्रपति ने होम्योपैथी को किफायती व दुष्प्रभाव रहित चिकित्सा पद्धति बताते हुए कहा कि होम्योपैथ मिशन है, कमीशन नहीं। देश को वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति की जरूरत है। उन्होंने ऐलोपैथ, होम्योपैथ सहित सभी चिकित्सा पद्धतियों के डॉक्टरों से बीमारियों से बचाव पर जोर देने की अपील की। साथ ही डॉक्टरों से कहा कि वे लोगों को स्वास्थ्य के प्रति शिक्षित और जीवनशैली में बदलाव के लिए प्रेरित करें।

धनवान देश से स्वस्थ्य देश ज्यादा अच्छा

उपराष्ट्रपति का यह बयान इसलिए अहम है, क्योंकि हाल ही में ऐलोपैथिक चिकित्सा पद्धति के कारपोरेट अस्पतालों में इलाज के महंगे खर्च को लेकर मरीजों की बेबसी सामने आई है। उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि धनवान देश से स्वस्थ्य देश ज्यादा अच्छा है। स्वास्थ्य अच्छा होगा तो धन भी हो जाएगा पर स्वास्थ्य खराब हो तो धन भी नहीं रह सकता। इसलिए बीमारियों के इलाज के साथ-साथ उनकी रोकथाम पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।

भारतीय परिवेश के लिए जरूरी

वेंकैया नायडू ने कहा कि राष्ट्रीय गैर संचारी बीमारियों की रोकथाम कार्यक्रम में होम्योपैथी को भी शामिल किया गया है। देश में होम्योपैथी के करीब 2.8 लाख डॉक्टर हैं। यह किफायती चिकित्सा पद्धति है और भारतीय परिवेश के लिए जरूरी है। होम्योपैथिक दवाएं महंगी नहीं होतीं और इनका शरीर पर कोई दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में नैनो व बायोटेक्नोलॉजी जैसे नवीनतम तकनीकों के इस्तेमाल पर शोध सही दिशा में उठाया गया कदम है।

शुद्ध हवा, पानी व पौष्टिक भोजन होता जा रहा है दुर्लभ

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भागदौड़ के बीच जीवनशैली में बदलाव के साथ प्रकृति को भी नुकसान पहुंच रहा है। लोग प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं और प्रदूषण बढ़ रहा है। इसलिए शुद्ध हवा, जल और पौष्टिक भोजन दुर्लभ होता जा रहा है। सूर्य की प्राकृतिक रोशनी शरीर को ऊर्जा देती है। हम कृत्रिम रोशनी में रहने के आदी हो रहे हैं। खानपान में जंक फूड व फास्ट फूड का इस्तेमाल बढ़ रहा है। उन्होंने व्यायाम करने, हरियाली को बढ़ावा देने के लिए प्रकृति से नाता जोड़ने व पेड़ लगाने का संदेश दिया।

इलाज के लिए स्टैंडर्ड दिशा-निर्देश जारी

केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद ने बीमारियों के इलाज के लिए स्टैंडर्ड दिशा-निर्देश तैयार किया है। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू व आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने इसे जारी किया। इस दिशा-निर्देश के तहत करीब 25 बीमारियों का इलाज किया जा सकेगा। श्रीपद नाइक ने कहा कि होम्योपैथी के विकास के लिए शोध को बढ़ावा देने में सरकार पूरा सहयोग करेगी। स्नातकोत्तर स्तर के मेडिकल कॉलेजों के बुनियादी ढांचे में सुधार किया जाएगा। परिषद के महानिदेशक डॉ. राजकुमार मनचंदा ने कहा कि इस सम्मेलन का मकसद नई दवाओं का विकास व शोध को बढ़ावा देना है। सम्मेलन में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मुंबई सहित देश के कई बड़े संस्थानों में होम्योपैथ पर शोध करने वाले वैज्ञानिकों व डॉक्टरों को सम्मानित किया गया। 

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