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डीयू विवाद : शिक्षा मंत्रालय ने कुलपति के फैसलों को पलटा, कार्यकारी कुलपति बहाल

कार्यकारी कुलपति प्रो पीसी जोशी ने कुलसचिव पद के लिए विकास गुप्ता की नियुक्ति बकायदा नोटिफिकेशन भी जारी किया। लेकिन बुधवार रात को ही कुलसचिव प्रो पीसी झा ने कार्यकारी परिषद की बैठक को ही गैरकानूनी करार दिया।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 02:32 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 08:24 PM (IST)
डीयू विवाद :  शिक्षा मंत्रालय ने कुलपति के फैसलों को पलटा, कार्यकारी कुलपति बहाल
डीयू में कुलसचिव की नियुक्ति को लेकर मचा घमासान

नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]।  दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में बुधवार को कुलसचिव की नियुक्ति को लेकर पूरे दिन मचे घमासान के बाद बृहस्पतिवार को प्रो पीसी जोशी की कार्यकारी कुलपति पद से जहां छुट्टी कर दी गई। वहीं कुलपति प्रो योगेश त्यागी ने डॉ गीता भट्ट को कार्यकारी कुलपति पद की कमान सौंप दी। डॉ गीता भट्ट ने बृहस्पतिवार शाम प्रो पीसी जोशी द्वारा कार्यकारी कुलपति रहते हुए लिए गए सभी फैसलों को अमान्य करार दे दिया।

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नाटकीय घटनाक्रम

कुलसचिव की नियुक्ति का विवाद बुधवार को उस समय शुरू हुआ जब डीयू की वेबसाइट पर एक नोटिफिकेशन अपलोड किया गया। जिसमें कहा गया कि प्रो पीसी झा को दक्षिणी कैंपस का निदेशक एवं कुलसचिव पद का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा जाता है। हालांकि करीब एक घंटे के अंदर नोटिफिकेशन हटा लिया गया। बाद में कार्यकारी कुलपति प्रो पीसी जोशी ने पीसी झा की नियुक्ति पर सवाल उठाया। बुधवार देर शाम कार्यकारी परिषद की बैठक में कुलसचिव पद के लिए डॉ विकास गुप्ता के नाम पर मोहर लगी। हालांकि देर रात प्रो पीसी झा ने कार्यकारी परिषद की बैठक को ही गैरकानूनी करार दिया।

कार्यकारी कुलपति प्रो पीसी जोशी ने भी देर रात एक नोटिस जारी करते हुए डीयू कर्मचारियों को कुलसचिव का आदेश ना मानने को कहा। लेकिन विवाद यहीं नहीं थमा। बृहस्पतिवार सुबह डीयू की वेबसाइट पर डॉ विकास गुप्ता को कुलसचिव बनाए जाने संबंधी नोटिफिकेशन अपलोड किया गया। हालांकि इसके बाद कुलपति प्रो योगेश त्यागी ने एक आर्डर जारी किया। जिसमें कहा गया कि डीयू एक्ट 1922 के 11 जी (4) प्रावधानों के तहत मिले अधिकारों का उपयोग करते हुए कुलपति नॉन कॉलेजिएट महिला शिक्षा बोर्ड की निदेशक डॉ गीता भट्ट को प्रो पीसी जोशी की जगह कार्यकारी कुलपति नियुक्त करते हैं। पदभार ग्रहण करने के महज कुछ घंटे के अंदर ही डॉ गीता भट्ट ने एक आदेश जारी कर प्रो पीसी जोशी द्वारा लिए गए सभी निर्णयों काे अमान्य करार दे दिया।

एकेडमिक फॉर एक्शन एंड डेवलपमेंट के सचिव राजेश झा ने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय की साख प्रभावित हुई है। सौ साल पुरानी शिक्षण संस्था का गौरवशाली इतिहास रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन और कॉलेजों में अच्छे पदों को हासिल करने की लालसा और लालच की वजह से वाइस-रीगल लॉज में एक घटिया गैंग-युद्ध की स्थिति पैदा हो गयी। जहां पद और कुर्सियां जबरदस्ती कब्जा की जा रही हैं।

कुलपति कार्यालय ने कहा कि डॉ गीता भट्ट को कार्यकारी कुलपति नियुक्त किया गया है। उन्होने 22 अक्टूबर को पदभार ग्रहण कर लिया है। वह नॉन कॉलेजिएट महिला शिक्षा बोर्ड की निदेशक भी बनी रहेंगी।

घटनाक्रम की टाइम लाइन

-10 अक्टूबर को कुलसचिव पद के लिए साक्षात्कार प्रक्रिया।

-20 अक्टूबर को यूजीसी द्वारा साक्षात्कार के संदर्भ में ऑनलाइन बैठक आयोजित।

-21 अक्टूबर- सुबह दस बजे डीयू वेबसाइट पर प्रो पीसी झा की नियुक्ति संबंधी नोटिफिकेशन जारी।

-बुधवार सुबह 11 बजे तक नोटिफिकेशन हटा लिया गया।

-कार्यकारी कुलपति प्रो पीसी जोशी ने पीसी झा की नियुक्ति पर सवाल उठाया।

-बुधवार देर शाम कार्यकारी परिषद की बैठक शुरू हुई।

-कार्यकारी परिषद ने प्रो सुमन कुंडू को दक्षिणी कैंपस का निदेशक एवं डॉ विकास गुप्ता को कुलसचिव का कार्यभार सौंपा।

-प्रो पीसी झा ने कार्यकारी परिषद को गैरकानूनी करार दिया।

-देर रात कार्यकारी कुलपति ने डीयू कर्मचारियों को प्रो पीसी झा का आदेश ना मानने को कहा।

-बृहस्पतिवार सुबह डॉ विकास गुप्ता की नियुक्ति संबंधी नोटिफिकेशन जारी।

-बृहस्पतिवार को ही कुलपति ने प्रो जोशी को कार्यमुक्त किया। डॉ गीता भट्ट कार्यकारी कुलपति बनाई गईं।

--डॉ गीता भट्ट ने नोटिस जारी किया।

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