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चांदनी चौक में हनुमान मंदिर को बचाने की कयावद तेज, विहिप ने केजरीवाल से लगाई गुहार

Chandni Chowk Temple Issue विहिप के प्रांत अध्यक्ष कपिल खन्ना ने दिल्ली सरकार को लिखे पत्र में कहा है कि चांदनी चौक के मुख्य मार्ग पर वर्ष 1974 में पीपल के पेड़ के नीचे भगवान हनुमान स्वयं प्रकट हुए थे। इसके बाद भक्तों ने वहां उनका मंदिर बना दिया।

By JP YadavEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 07:51 AM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 11:27 AM (IST)
चांदनी चौक में हनुमान मंदिर को बचाने की कयावद तेज, विहिप ने केजरीवाल से लगाई गुहार
दिल्ली के मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की फाइल फोटो।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। Chandni Chowk Temple Issue: पूर्वी दिल्ली में स्थित चांदनी चौक में मंदिर तोड़े जाने के मामले में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने दिल्ली सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की है। इसे लेकर विहिप ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा है। यह पत्र उपराज्यपाल अनिल बैजल व उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौर को भी भेजा गया है। विहिप के प्रांत अध्यक्ष कपिल खन्ना ने इस पत्र में कहा है कि चांदनी चौक के मुख्य मार्ग पर वर्ष 1974 में पीपल के पेड़ के नीचे भगवान हनुमान स्वयं प्रकट हुए थे। इसके बाद भक्तों ने वहां उनका मंदिर बना दिया।

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वर्ष 1975 में दुर्गा और शंकर जी का मंदिर पीपल के पेड़ के दूसरी तरफ बनाया गया। इसे लेकर कभी किसी ने भी आपत्ति नहीं की। वर्ष 2007 में दिल्ली उच्च न्यायालय में रिक्शा चालकों के जीवन निर्वाह के लिए मानुषी संगठन बनाम दिल्ली सरकार की याचिका (नंबर 4572/2007)दायर की गई।

उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने बिना मंदिर को पार्टी बनाए और मंदिर का पक्ष सुने इसे तोड़ने के आदेश दे दिए हैं। मंदिर के पुजारी को सरकार द्वारा बुलाया गया और बोला गया कि मंदिर फुटपाथ पर बना दिया जाए। वह फुटपाथ पर मंदिर को स्थानांतरित करने के लिए तैयार हो गए। इसके बाद 2019 तक उन्हें दोबारा नहीं बुलाया गया। 2019 में धार्मिक समिति ने मंदिर के पंडित को बुलाया और कहा कि क्या मंदिर किसी दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है?

उन्होंने किसी अन्य स्थान पर जाने से इन्कार कर दिया। तब समिति ने हाई कोर्ट को लिखा कि मंदिर वहीं पर रहने दिया जाए। जिस आर्किटेक्ट ने 2016 और 2018 में अपने प्लान में मंदिर को वहीं रहने देने की सिफारिश की थी, उसने चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल के दबाव में आकर कहा कि मंदिर हटना चाहिए।

दिल्ली सरकार हाई कोर्ट के इस फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट गई थी। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार इस बारे में हाई कोर्ट में याचिका दायर करे, वहीं इस मामले को सुना जाएगा। इस बीच पिछले माह 31 अक्टूबर को पंडित के पास मंदिर तोड़ने का नोटिस आ गया। उस समय पहली बार यह मालूम पड़ा कि मंदिर टूटने वाला है, क्योंकि मंदिर या पंडित को इसके पहले कभी पक्षकार नहीं बनाया गया।

तीन नवंबर को मंदिर सेवा समिति ने हाई कोर्ट में अपनी अर्जी डाली, जिसे 20 नवंबर को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि दिल्ली सरकार इस संबंध में अर्जी दायर करे।

कपिल खन्ना ने दिल्ली सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि इस फैसले कि अपील सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को ही डाली जा सकती है। पेड़ को हटाने का निर्देश नहीं है, लेकिन मंदिर तोड़ने के निर्देश दे दिए गए हैं। रविवार को मंदिर तोड़ने की बात हो रही है। इस पर मुख्यमंत्री अर¨वद केजरीवाल हस्तक्षेप करें।

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