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विनोद बंसल ने कुतुबमीनार को लेकर कहा- मौजूदा स्ट्रक्चर हिंदुओं को चिढ़ाने के लिए बनाया गया

विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता विनोद बंसल ने कुतुब मीनार को लेकर कहा है कि यह विष्णु स्तंभ है। कतुब मीनार को तब बनाया गया जब 27 हिंदू जैन मंदिर को गिराया गया। बाद में इसकी संरचना को हिंदुओं को चिढ़ाने के लिए बनाया गया था।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sun, 10 Apr 2022 06:34 PM (IST)Updated: Sun, 10 Apr 2022 06:59 PM (IST)
विनोद बंसल ने कुतुबमीनार को लेकर कहा- मौजूदा स्ट्रक्चर हिंदुओं को चिढ़ाने के लिए बनाया गया
विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता विनोद बंसल।

नई दिल्ली, एएनआइ/नेमिष हेंमत। कुतुबमीनार को लेकर चल रहे विवाद में विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने ताजा बयान जारी कर इस स्ट्रक्चर पर एक बार फिर से हिंदू समाज का दावा ठोंका है। विनोद बंसल ने इसे विष्णु स्तंभ बताया है। वहीं उन्होंने यह भी बताया कि यह 27 जैन हिंदुओं के मंदिर को तोड़ कर बनाया गया है। इसके बाद जो संरचना बनाई गई (जो अभी वास्तविक है) वह हिंदुओं को चिढ़ाने के लिए बनाया गया। बंसल ने कहा कि कई मंदिरों को ध्वस्त कर बने विवादित कुतुबमीनार परिसर से मंदिरों और देवी-देवताओं की मूर्तियों की मुक्ति का समय आ गया है। जिन मंदिरों को तोड़ा गया, उनका इस परिसर में फिर से निर्माण होना चाहिए।

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पूजा की मिलनी चाहिए अनुमति

इसी तरह देवी-देवताओं की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा कर हिंदुओं व भारत धरती के विभिन्न धर्म अनुयायियों को पूजा की अनुमति दी जानी चाहिए। बता दें कि विनोद बंसल विहिप प्रतिनिधिमंडल के साथ कुतुबमीनार परिसर के निरीक्षण के बाद यह बातें मीडिया से कहीं। उन्होंने कहा कि भगवान विष्णु के महान स्तंभ को कलंकित कर कुतुबमीनार नाम देकर इस्लामिक स्वरूप देने का कुत्सित कार्य हुआ। विहिप दिल्ली के उपाध्यक्ष सुरेंद्र गुप्ता ने कहा कि पूरे परिसर की दीवारों में हिंदू, बौद्ध व जैन धर्म के मंदिरों को तोड़कर उसके अवशेष लगाए गए हैं। इस दौरान सुनील घावड़ी और विजेंद्र तंवर भी मौजूद रहे।

यह है विवादित ढांचे की कहानी

कुतुबमीनार के विवादित ढांचे की सबसे अलग कहानी है। यहां कुछ भी अनुमान पर आधारित नहीं है, सब कुछ आंखों के सामने है। जिस विवादित ढांचे को कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का नाम दिया गया है। उसकी दीवारें और स्तंभ चिल्ला चिल्लाकर इसे बनाने में मंदिरों की निर्माण सामग्री उपयोग किए जाने का प्रमाण देते हैं। ढांचे पर बाकायदा निर्माणकर्ता कुतुबुद्दीन ऐबक की ओर से अंकित कराया गया है कि इसे 27 हिंदू व जैन मंदिरों को तोड़ कर बनाया गया है। अरबी भाषा में विवादित ढांचे के गेट पर यह आज भी लिखा हुआ है। मगर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) आज तक इस लेख का हिंदी और अंग्रेजी में अनुवाद कराने की हिम्मत नहीं जुटा पाया है।

संस्कृत में लिखा है लेख

ढांचे के निकट ही एक भाग में अष्टधातु का वह स्तंभ लगा है जिसे राजा अनंगपाल ने यहां स्थित विष्णु मंदिर में लगवाया था। राजा अनंगपाल विष्णु पर्वत से विभिन्न धातु के बने इस विष्णु स्तंभ को लेकर आए थे, जो परिसर में स्थित है। इस स्तंभ पर गुप्त काल की लिपि में संस्कृत में एक लेख है।

कहां पर है विवादित ढांचा

एएसआइ के एक पूर्व अधिकारी कहते हैं कि कई साल पहले कुतुबमीनार के पास खोदाई में भगवान विष्णु की मूर्ति निकली थी, जिसे राष्ट्रीय संग्रहालय भिजवा दिया गया था। हालांकि, परिसर या इसके आसपास धरोहर को हासिल करने के लिए कभी खोदाई नहीं की गई है। क्योंकि यहां सब कुछ सामने और प्रमाणित है। जिस कुतुबमीनार परिसर को विश्व धरोहर का दर्जा मिला है, वहीं पर यह विवादित ढांचा स्थित है।


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