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विहिप ने चुनाव आयोग से की जातिवादी सियासत पर रोक लगाने की मांग

विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि जातिवादी सियासत के द्वारा समाज में जहर घोलने का काम किया जा रहा है। इसका सबसे बुरा असर हिंदू समाज पर पड़ा है। वोट बैंक के लिए हिंदू समाज को जाति और अगड़े-पिछड़ों में बांटने से वैमनस्य बढ़ रहा है।

By Nimish HemantEdited By: Prateek KumarPublished: Thu, 20 Jan 2022 06:52 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 06:52 PM (IST)
विहिप ने चुनाव आयोग से की जातिवादी सियासत पर रोक लगाने की मांग
साम्प्रदायिक सियासत के साथ चुनाव के अपराधीकरण पर रोक तो जातिवाद का जहर क्यों: विहिप

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। उत्तर प्रदेश, पंजाब व उत्तराखंड समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है। इसके साथ ही राजनीतिक दलों में चुनाव जीतने के दांवों के बीच भगदड़ की भी स्थिति है। दिग्गजों से लेकर विधानसभा स्तर के नेता पाला बदल रहे हैं। इसी क्रम में राजनीतिक पार्टियों द्वारा अपने-अपने योद्धा चुनावी मैदान में उतारे जाने लगे हैं। वैसे, पाला बदलने और प्रत्याशियों को उतारने के बीच सबसे अहम रणनीति जाति की सियासत को साधने की है। कोई मौर्य तो कोई राजभर, काेई ब्राह्मण वोट बैंक तो कोई अन्य जाति के वोट बैंक के साथ होने का दावा कर मैदान मार लेने का दावा किया जा रहा है।

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इस पूरे परिदृश्य पर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने गहरी चिंता जताई है तथा चुनाव आयोग से मांग की है कि वह जातिवादी सियासत पर रोक लगाने के लिए कड़े फैसले लें। क्योंकि इससे विकास के मुद्​दे हाशिए पर चले जाते हैं और नेताओं को जीत-हार तय करने के लिए यह सबसे आसान हथियार बन जाता है। इसके चलते राजनीति में भ्रष्टाचार और अपराधीकरण को भी बढ़ावा मिलता है।

विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि जातिवादी सियासत के द्वारा समाज में जहर घोलने का काम किया जा रहा है। इसका सबसे बुरा असर हिंदू समाज पर पड़ा है। वोट बैंक के लिए हिंदू समाज को जाति और अगड़े-पिछड़ों में बांटने से वैमनस्य बढ़ रहा है। इससे नेताओं का हित सध रहा है, लेकिन इससे देश में विघटनकारी और देशद्रोही शक्तियों को बल मिल रहा है। अंतरराष्ट्रीय शक्तियां भी देश को कमजोर करने के लिए इसका इस्तेमाल कर रही है। इसके चलते मतांतरण की साजिश भी बढ़ी है।

विहिप प्रवक्ता ने कहा कि यहीं कारण है कि आजादी के 75 वर्ष बाद भी देश को जातिवाद के जहर से मुक्ति नहीं मिली है। कुछ राजनीतिक दलों व नेताओं द्वारा समाज में सद्भाव पैदा करने की जगह अपने हितों के लिए इसे बढ़ावा दिया गया। इस पर तत्काल रोकथाम की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से चुनाव आयोग ने चुनाव में बाहुबल व धनबल के इस्तेमाल पर लगाम लगाने के साथ धार्मिक रूप से भड़काने वाले लोगों के खिलाफ सख्त रूप अपनाता है। इसी तरह का सख्त रूख जाति के मामले भी होना चाहिए।


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