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वाहनों को मॉडिफाई करवा कर युवा उड़ा रहे नियमों की धज्‍जियां, पकड़े जाने पर होगी कड़ी सजा

दिल्ली में एसेसरीज का काम करने वाले भी वाहनों को मॉडिफाई करते हैं लेकिन वाहन को माडिफाई कराने के बाद अधिकतर लोग फिर से पंजीकरण नहीं कराते हैं और पुराने पंजीकरण पर ही मॉडिफाई वाहन चलाते रहते हैं। ऐसा करते हुए पकड़े जाने पर सजा का प्रावधान है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 06:01 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 06:01 PM (IST)
वाहनों को मॉडिफाई करवा कर युवा उड़ा रहे नियमों की धज्‍जियां, पकड़े जाने पर होगी कड़ी सजा
राजधानी दिल्‍ली में भी वाहनों को मॉडिफाई कराने के लिए बड़ी संख्या में दुकानें हैं।

नई दिल्ली [राहुल चौहान]। राजधानी दिल्‍ली में भी वाहनों को मॉडिफाई कराने के लिए बड़ी संख्या में दुकानें हैं। ये दुकानें मुख्य रूप से मायापुरी, कश्मीरी गेट, करोलबाग, झंडेवालान में बड़े स्तर पर हैं। इसके अलावा दिल्ली में एसेसरीज का काम करने वाले भी वाहनों को मॉडिफाई करते हैं, लेकिन वाहन को माडिफाई कराने के बाद अधिकतर लोग फिर से पंजीकरण नहीं कराते हैं और पुराने पंजीकरण पर ही मॉडिफाई वाहन चलाते रहते हैं। जबकि नियम के मुताबिक गाड़ी का रंग बदलवाने और रेट्रोफिटमेंट (पेट्रोल से सीएनजी) कराने पर पुन: पंजीकरण कराना जरूरी है।

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दिल्‍ली में करीब 500 से ज्‍यादा दुकानें कर रही कारों को मॉडिफाई

वाहनों को मॉडिफाई कराने वाली दुकानों की संख्या की बात करें तो दिल्ली में इस तरह की 500 से भी ज्यादा दुकानें हैं। इन सभी दुकानों पर वाहनों को मॉडिफाई करने का काम होता है, जो अवैध है। परिवहन विभाग द्वारा वाहनों को मॉडिफाई करने का किसी भी तरह का केंद्र खोलने की अनुमति देने का प्रविधान नहीं है। इसके बावजूद धड़ल्ले से वाहनों को मॉडिफाई करने का खेल चल रहा है।

नियम के बावजूद नहीं होती है कार्रवाई

परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक मॉडिफाई कराने के बाद भी कोई वाहन का फिर से पंजीकरण कराने के लिए आवेदन नहीं करता है। इनके खिलाफ कार्रवाई करने का प्रविधान तो है, लेकिन परिवहन विभाग में पहले से ही अधिकारी व कर्मचारियों की कमी है। इसलिए इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाती। परिवहन विभाग में 2000 पदों के मुकाबले 200 ही लोग तैनात हैं। दिल्ली के लिए कम से कम 23 छापामार दस्ते होने चाहिए। विभाग की हेल्पलाइन आदि के लिए भी पर्याप्त स्टाफ नहीं है। स्टाफ न होने से परिवहन विभाग निगरानी के मामले में यातायात पुलिस पर निर्भर है। यहां जो कार्य परिवहन विभाग को करना चाहिए, वह यातायात पुलिस करती है।

बुलेट की साइलेंसर से निकलती है पटाखे की आवाज

वहीं, यातायात पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक जो लोग वाहनों को मॉडिफाई कराते हैं, उनके पास वाहन को मॉडिफाई कराने की अनुमति तो होती नहीं है, इसलिए पकड़े जाने पर उनका चालान किया जाता है। अधिकतर लोगों के चालान मॉडिफाई सायलेंसर, टायर, शीशों पर काली फिल्म चढ़वाने व रंग बदलवाने पर किए जाते हैं। कुछ युवा बुलेट में पटाखे की तरह तेज आवाज करने वाला सायलेंसर लगवाना पसंद कर रहे हैं। इनके पकड़े जाने पर दस हजार रुपये तक का चालान किया जाता है।

वाहन को मॉडिफाई कराना नियम के खिलाफ

करोलबाग में वाहनों को मॉडिफाई करने वाले एक दुकानदार ने बताया कि चार पहिये वाली गाड़ियों में अधिकांश लोग एलाय व्हील, सीएनजी किट लगवाने और रंग बदलवाने का काम कराते हैं। दुकानदार ने यह भी बताया कि बहुत कम लोगों को ही इसकी जानकारी होती है कि वाहन को मॉडिफाई कराना नियम के खिलाफ है और ऐसा करने पर उनके वाहन का पंजीकरण रद भी हो सकता है।

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