अभी सबको थामे रहना होगा सावधानी का हाथ, नए वैरिएंट के लिए टीकाकरण की रणनीति बनानी होगी
उम्मीद है कि इस लहर के बाद महामारी एंडेमिक हो जाएगी। इसके बाद भी मास्क सैनिटाइजेशन और शारीरिक दूरी जैसी सतर्कता बरतने की जरूरत होगी। कोरोना को एंडेमिक बनने में समय लगेगा। यह हमारी सतर्कता से ही संभव होगा।
डा एनके गांगुली। किसी भी वायरस में अधिक म्युटेशन होने से उसकी मारक क्षमता घटती है। बार-बार म्युटेशन की प्रक्रिया में कई बार ऐसे वैरिएंट सामने आते हैं, जो अधिक संक्रामक और कम घातक होते हैं। कोरोना महामारी का कारण बने सार्स कोव-2 वायरस के साथ यही देखा जा रहा है। इसका ओमिक्रोन वैरिएंट बेहद संक्रामक लेकिन कम घातक है। फिर भी अभी इसे बहुत ज्यादा हल्के में नहीं लेना चाहिए। एक साथ बहुत बड़ी संख्या में लोगों के संक्रमित होने से कम घातक वैरिएंट भी परेशानी का कारण बन सकता है। पहले से किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के लिए यह जानलेवा भी हो सकता है।
अभी तक के आंकड़ों के विश्लेषण से यह लग रहा है कि कोरोना की इस तीसरी लहर के बाद महामारी एंडेमिक हो जाएगी। एंडेमिक होने बाद करीब दो-तीन वषों में यह सामान्य वायरस की तरह हो जाएगा। तब तक हमें सावधान रहना होगा और एनफ्लूएंजा की तरह हर साल टीका लेना पड़ सकता है। देश में दैनिक संक्रमण का आंकड़ा एक लाख से ऊपर पहुंच गया है। यह भी ज्ञात तथ्य है कि वास्तविक संक्रमितों की संख्या इससे कहीं ज्यादा होगी। ओमिक्रोन के संक्रमितों में लक्षण बहुत गंभीर नहीं है। बहुत लोगों में कोई लक्षण नहीं दिख रहा है। इससे कम से 50 प्रतिशत लोग ऐसे होंगे जो संक्रमण के बाद भी जांच से दूर होंगे। ऐसे लोग अनजाने में ही वायरस के प्रसार का कारण बन रहे हैं।
यह संभव है कि इस लहर के बाद यह महामारी एंडेमिक हो जाए, लेकिन हमें सतर्कता का साथ नहीं छोड़ना है, क्योंकि फ्रांस में एक नया स्ट्रेन सामने आया है। इसमें ओमिक्रोन से भी ज्यादा म्युटेशन हुआ है। हमें यह भी समझना होगा कि जिन देशों में टीकाकरण कम हुआ है, वहां नए वैरिएंट बनने का खतरा बना रहेगा। कई गरीब देशों में अभी भी टीकाकरण कम हुआ है।
हर म्युटेशन के बाद सामने आने वाला नया वैरिएंट ज्यादा लोगों को संक्रमित नहीं कर पाता है। अभी तक चार वैरिएंट ही ज्यादा संक्रामक साबित हुए हैं। सतर्कता की जरूरत क्यों है, इसे अन्य संक्रामक बीमारियों के उदाहरण से समझा जा सकता है। स्वाइन फ्लू व एनफ्लूएंजा अब सामान्य बीमारियां हैं, लेकिन इनसे बचने के लिए भी हर साल टीका लेना होता है। कोरोना के एंडेमिक होने के बाद भी हो सकता है कि कुछ समूह के लोगों को हर साल टीकाकरण की जरूरत पड़े।
एंडेमिक का अर्थ है कि अलग-अलग समय पर किसी-किसी देश, राज्य या शहर में संक्रमण हो सकता है। इसलिए कोरोना वायरस हमारे बीच से जाने वाला नहीं है लेकिन मौजूदा समय की तरह हर जगह नहीं फैलेगा। वायरस में नए म्युटेशन को ध्यान में रखकर टीके में भी बदलाव करना पड़ सकता है। अभी यह देखा जा रहा है कि टीका लेने वाले भी काफी लोग ओमिक्रोन से संक्रमित हो रहे हैं। इसमें राहत यही है कि टीका लक्षणों को गंभीर होने से रोक रहा है। यह भी पाया गया है कि बूस्टर डोज नहीं लगे होने पर संक्रमण की आशंका ज्यादा है। बूस्टर डोज संक्रमण से बचाव में 75 प्रतिशत कारगर है। इसलिए नए वैरिएंट के लिए टीकाकरण की रणनीति बनानी होगी।
[पूर्व महानिदेशक, आइसीएमआर, नई दिल्ली]