विदेशी शोध में हुआ खुलासाः वायु प्रदूषण से बचाव में 'मास्क' नहीं होते हैं कारगर
डॉक्टर कहते हैं कि प्रदूषण से बचाव के लिए मास्क का इस्तेमाल करें पर उसके चयन में सावधानी बरतें। वैसे भी मास्क प्रदूषण से बचाव में ज्यादा असरदार नहीं है।
नई दिल्ली, जेएनएन। प्रदूषण के दुष्प्रभाव से लोगों में दहशत है, इसलिए प्रदूषण से बचाव के लिए लोग तरह-तरह के मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं। यही वजह है कि बाजार में कई प्रकार के मास्क बेचे जा रहे हैं। इस बारे में डॉक्टर कहते हैं कि प्रदूषण से बचाव के लिए मास्क का इस्तेमाल करें पर उसके चयन में सावधानी बरतें। वैसे भी मास्क प्रदूषण से बचाव में ज्यादा असरदार नहीं है। विदेश में हुए शोध भी इस बात की ओर ही इशारा करते हैं।
डॉक्टरों के अनुसार, एन-95 मास्क कपड़ों से निर्मित और सर्जिकल मास्क की तुलना में ज्यादा असरदार है। इसके इस्तेमाल से भी प्रदूषण के दौरान जहरीली गैसें सांस के जरिये शरीर में प्रवेश कर सकती हैं, जिससे स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है, इसलिए डॉक्टरों की सलाह है कि मास्क पहनकर लंबे समय तक खुले वातावरण में रहने से अच्छा है कि जरूरत पड़ने पर ही लोग घर से बाहर निकलें।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि सामान्य मास्क से वातावरण में मौजूद पर्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 और उससे छोटे प्रदूषक कण पूरी तरह नहीं रुक पाते। क्योंकि प्रदूषण बढ़ने पर पीएम 1 और पीएम 0.1 जैसे सूक्ष्म कणों की मात्रा भी बढ़ जाती है। इन कणों की निगरानी अभी नहीं की जाती, जबकि ये कण भी सांस के जरिये शरीर में प्रवेश कर बीमार बना सकते हैं।
उन्होंने कहा कि एन-95 मास्क पर्टिकुलेट मैटर से बचाव कर सकता है पर उसे लगाने के बाद साइड से हवा प्रवेश करती है, जिसके साथ सूक्ष्म कण व अन्य प्रदूषक तत्व शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि नाक में इस्तेमाल होने वाला फिल्टर भी बाजार में बिक रहा है पर यह भी कितना फायदेमंद है, अभी अध्ययन नहीं हुआ।
अपोलो अस्पताल के सांस रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश चावला ने कहा कि प्रदूषण से बचाव के लिए सर्जिकल मास्क का इस्तेमाल भी कर रहे हैं। इससे ज्यादा बचाव नहीं हो पाता। एन-95 मास्क से पीएम 2.5 कण को 90 फीसद तक रोका जा सकता है पर इससे कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैसें सांस के जरिये शरीर में पहुंचकर फेफड़े को प्रभावित कर सकती हैं।
अमेरिका की मैसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी में चार तरह के मास्क पर अध्ययन किया गया, जिसमें तीन कपड़ों और एक सर्जिकल मास्क शामिल था। अध्ययन में यह देखा गया कि कपड़ों से बने जिस मास्क में अंदर की हवा बाहर निकलने के लिए एग्जॉस्ट बना होता है, वह थोड़ा बेहतर है। कपड़ों के सामान्य मास्क से फायदा नहीं होता।
मास्क की गुणवत्ता को लेकर देश में अब तक कोई अध्ययन नहीं किया गया है। किस तरह के मास्क का करें इस्तेमाल विदेश में हुए अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि जिस मास्क में एग्जॉस्ट हों, उसका इस्तेमाल कुछ हद तक प्रदूषण से बचाव कर सकता है। इसलिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि मास्क खरीदते वक्त लोग उसकी गुणवत्ता का ध्यान रखें।