बाद में तस्वीर देखी तो मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के बगल में खड़ी थी : गौरी बनर्जी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सारंगी वादक गौरी बनर्जी (बाएं से ) सौजन्य गौरी बनर्जी
नई दिल्ली, संजीव कुमार मिश्र। पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप परिवार के साथ जब भारत दौरे पर आए तो हैदराबाद हाउस में उनके लिए एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में दिल्ली की गौरी बनर्जी ने सारंगी प्रस्तुति से ऐसा समां बांधा कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इनकी तारीफ किए बिना नहीं रह सके। ट्रंप की बेटी इवांका तो इतनी प्रभावित हुईं कि गौरी के साथ अपनी तस्वीर इंस्टाग्राम पर भी साझा की। दिल्ली के मालवीय नगर में रहने वाली गौरी से हैदराबाद हाउस में उनकी प्रस्तुति पर प्रमुख अंश :
प्रश्न- हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने प्रस्तुति देना, कैसा था वो पल?
उत्तर- एक कलाकार को ऐसे पलों का इंतजार रहता है। सभी ने मेरी सारंगी प्रस्तुति की सराहना की तो बहुत खुशी मिली। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हमें तैयारी के लिए सिर्फ दो दिन ही मिले थे। 25 फरवरी यानी मंगलवार को प्रस्तुति थी और 23 फरवरी यानी रविवार की देर रात यह तय हुआ कि क्या प्रस्तुति देनी है। इसके पहले शुक्रवार को एक फोन आया था। एक अधिकारी ने पूछा कि अगर आपको मौका मिले तो आप क्या नया प्रस्तुत करेंगी। मैंने जवाब दिया कि अभी तक किसी भी कार्यक्रम में सारंगी के साथ सिर्फ वाद्ययंत्र होते हैं, जबकि मैं जुगलबंदी करना चाहूंगी। इसके बाद कोई बातचीत नहीं हुई। बाद में रविवार को फोन पर बताया गया कि आप हैदराबाद हाउस में प्रस्तुति देंगी। मुझसे प्रस्तुति के लिए क्लासिकल, सेमी क्लासिकल, फोक, बालीवुड, इंग्लिश समेत कुल 31 गानों की लिस्ट बनाने को कहा गया था। इसमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पसंदीदा द बीटल्स, माइकल जैक्सन समेत चार कलाकारों के गाने थे। हमनें 51 गानों की लिस्ट भेजी थी।
प्रश्न- प्रस्तुति के बाद अतिथियों की प्रतिक्रिया कैसी थी?
उत्तर- कार्यक्रम करीब एक घंटा चला। प्रस्तुति के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमारी तरफ आए और कहा कि आप ‘सरस्वती’ की देवी हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी हाथ मिलाया। उनकी बेटी इंवाका गले मिलीं, मेरी तो समझ में ही नहीं आ रहा था कि क्या प्रतिक्रिया दूं। फोटो खिंचवाते समय मुझे समझ नहीं आ रहा था कि किधर खड़ी रहूं। बाद में जब तस्वीर देखी तो पता चला कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेरे बगल में खड़े थे।
प्रश्न- महज आठ साल की उम्र में ही आपने सारंगी सीखना शुरू किया? सारंगी ही क्यों?
उत्तर- पिता पं. किशोर बनर्जी (ख्यात तबला वादक), माता तंद्रा बनर्जी संगीत की दुनिया में जाना माना नाम हैं। तब हम जमशेदपुर में रहते थे। रांची से पंडित काशीनाथ मिश्र हमारे यहां प्रस्तुति के सिलसिले में अक्सर आते रहते थे। पिता चाहते थे मैं संगीत सीख कर देश की सेवा करूं, सो एक दिन उन्होंने सारंगी सीखने के लिए कहा। फिर क्या था संगीत साधना का सफर शुरू हो गया। उम्र छोटी थी इसलिए सारंगी बजाने के दौरान अंगुलियों में चोट लग जाती थी। तब मां ने मदद की। गुरु जी के जाने के बाद मां अभ्यास कराती थीं। धीरे-धीरे हाथ बैठता गया और मजा भी आने लगा। इसके बात सिर्फ और सिर्फ यही चाहत रही कि इसके जरिये मैं अपने माता-पिता का नाम रोशन करूं।
प्रश्न- सारंगी सीखने के लिए ट्रेन से सफर कर दिल्ली आती थीं?
उत्तर- गुरु काशी नाथ मिश्र के निधन के बाद मैंने उस्ताद साबरी खान से सारंगी वादन सीखना शुरू किया। इसके लिए हम उत्कल एक्सप्रेस पकड़ कर दिल्ली आते थे। स्कूल से छुट्टी लेकर हफ्ते भर के लिए पिता जी के साथ आती थी। ऐसा दो वर्ष तक 2001 से 2002 तक चला। कई बार टिकट कन्फर्म नहीं होती थी, तो काफी दिक्कत होती थी। किसी तरह मैनेज करके यात्रा करते थे, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। कई बार दिल्ली में ठहरने के लिए होटल भी नहीं मिलता था। इससे परेशानी और भी बढ़ जाती थी। कभी किसी जानकार के यहां भी रुकना पड़ जाता था। पापा टाटा स्टील जमशेदपुर में कार्यरत थे और बार-बार दिल्ली आने में छुट्टी का भी चक्कर रहता था। इसलिए वर्ष 2002 में जब पापा ने वॉलेंटरी रिटायरमेंट ले लिया तो हम दिल्ली के मालवीय नगर में स्थाई रूप से आकर बस गए। इसके बाद जीवन काफी आसान हो गया।