उपहार सिनेमा अग्निकांड के 20 साल, पीडितों को आज भी है न्याय की दरकार
सिनेमा हाल में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं थे। मरने वालों में महिलाओं और छोटे बच्चों की संख्या अधिक थी। ज्यादातर लोगों की मौत दम घुटने से हुई थी।
नई दिल्ली [जेएनएन]। उपहार सिनेमा अग्निकांड की दर्दनाक घटना को आज 20 वर्ष पूरे हो गए हैं। 13 जून 1997 को दिल्ली के ग्रीन पार्क स्थित उपहार सिनेमा घटना की दर्दनाक यादें आज भी सभी के दिलों में ताजा हैं। दुर्घटना में अपनों को गवां देने का दर्द पीड़ित परिवारों की नम आंखों से महसूस किया जा सकता है।
साउथ दिल्ली के ग्रीन पार्क स्थित उपहार सिनेमा में आम शुक्रवार की तरह 13 जून 1997 को फिल्म 'बॉर्डर' का शो चल रहा था। दर्शक फिल्म का आनंद ले रहे थे। इसी दौरान बेसमेंट में लगे जनरेटर से आग धधक उठती है और हादसे से भगदड़ और दम घुटने से 59 की मौत हो जाती है।
जांच में मालूम चलता है कि सिनेमा हाल में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं थे। मरने वालों में महिलाओं और छोटे बच्चों की संख्या अधिक थी। ज्यादातर लोगों की मौत दम घुटने से हुई थी। सिनेमा में क्षमता से अधिक दर्शकों को बिठाने की भी बात सामने आई।
मामले में दया याचिका विचाराधीन
पीड़ित परिवार की ओर से एसोसिएशन बनाकर सिविल कंपनसेशन केस कोर्ट में फाइल किया गया और करीब 60 करोड़ रुपए बतौर हर्जाने की मांग की गई। हालांकि 20 साल गुजर जाने के बाद भी मामले से जु़ड़े तीन केस में अभी फैसला आना बाकी है।
एक दूसरे केस में सुप्रीम कोर्ट की ओर से इसी वर्ष आरोपी गोपाल अंसल को एक साल की सजा सुनाई, जबकि सुशील अंसल की सजा माफ कर दी गयी। सजा में छूट को लेकर उनकी उम्र का हवाला दिया गया। उपहार सिनेमा के मालिक अंसल ब्रदर्स पर 30-30 करोड़ के जुर्माने को अदा करने का आदेश दिया गया है। लेकिन वकील राम जेठमलानी की ओर से गोपाल अंसल की सजा को माफ करने के लिए राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर की गई है। राष्ट्रपति ने याचिका को गृह मंत्रालय स्थानांतरित की दी है। वहीं गृह मंत्रालय ने उपराज्यपाल के पास दया याचिका को भेज दिया है, जिस पर फैसला आना बाकी है।
क्षमता से अधिक दर्शकों को बैठाने का आरोप
उपहार सिनेमा अग्निकांड में अपने दो बच्चों को गंवाने वाली नीलम कृष्णमूर्ति और कुछ अन्य लोगों को धमकाया गया, साथ ही उन्हें जान से मारने की धमकियां दी गईं। मामले में अंसल बंधु और उनके कर्मचारी प्रवीण शर्मा व दीपक कथपालियां के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
उच्च न्यायालय ने आठ वर्ष बाद हुई आधे घंटे की सुनवाई के बाद अदालत ने 3 मार्च 2015 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। उपहार सिनेमा अग्निकांड की जांच में पाया गया कि हाल में क्षमता से ज्यादा दर्शकों को बैठाया गया, उसे लेकर बालकनी में अतिरिक्त सीटें लगाकर पीछे का रास्ता बंद कर दिया गया।
इस आरोप के तहत तत्कालीन डीसीपी लाईसेंसिंग आमोद कंठ पर भी शिकंजा कसा गया। आमोद कंठ ने अपने खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए संबंधित विभाग से मंजूरी न लेने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी। मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
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